कुछ दिन पूर्व संपन्न ‘भारतीय मोबाइल कांग्रेस’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि भारत 6जी तकनीक के क्षेत्र में दुनिया भर में अग्रणी भूमिका निभाएगा। संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सुरजीत दास गुप्ता को बताया कि भारत 6जी तकनीक को किस तरह आगे बढ़ाएगा और इसके लिए किन उपायों की जरूरत होगी। प्रमुख अंशः
5जी से 6जी की तरफ कदम बढ़ाने में दुनिया के देशों के तरीके किस तरह अलग हैं? 5जी में हम देखते रह गए और मौका निकल गया। 6जी में अगुआ बनाने के लिए हमारी क्या तैयारी है?
तकनीक विकसित करने वाले देश की हैसियत से हमने वर्चुलाइज्ड 4जी एवं 5जी तैयार कर लिया है। इसका इस्तेमाल भी हो रहा है। पेचीदा उच्च तकनीक वाले दूरसंचार उपकरण 70 से ज्यादा देशों को निर्यात किए जा रहे हैं।
मानकों की बात करें तो भारत ने 5जीआई तैयार करने और इसे 3जीपीपी 5जी मानकों के साथ जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है। इससे हमारी क्षमता बढ़ी है और अब हम 6जी मानकों और आईपीआर में महत्त्वपूर्ण योगदान दे पाएंगे।
हाल में आईटीयू ने प्रधानमंत्री मोदी का भारत ‘6जी विजन’ अपनाया है। अपनी व्यापक रणनीति के तहत भारत अगले साल विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा (डब्ल्यूटीएसए) का आयोजन कर रहा है। उसमें अगले कुछ वर्षों के लिए अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) की तकनीकी कार्य सूची तय होगी। इस तरह हमारा मकसद दूरसंचार तकनीक में दुनिया को राह दिखाना है।
भारत का लक्ष्य क्या है? 3जीपीपीपी में मानक तय करने के लिए हमारे पास 6जी पेटेंट होने चाहिए। 5जी में ज्यादातर पेटेंट यूरोपीय देशों और चीन के थे। हमारी क्या तैयारी है?
हमारा लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट है। 6जी ही नहीं किफायती 6जी तकनीक में भी हम दुनिया में शीर्ष पर रहना चाहते हैं। दूरसंचार में नई तकनीक पुरानी तकनीकों पर ही बनाई जाती है। पेटेंट से बुनियाद बनती है और वही तकनीक विकास की दिशा तय करता है।
भारत के पास 230 से अधिक पेटेंट हैं और हमारा लक्ष्य 2030 तक सभी 6जी पेटेंट का 10 फीसदी हिस्सा अपने पास लाना है।
वैश्विक कंपनियों के लिए पेटेंट की राह आसान बनाने को दूरसंचार नियामक ट्राई ने एक परिपत्र जारी किया है। बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के प्रबंधन और भारतीय कंपनियों की सहूलियत के लिए सी-डॉट को अधिकृत एजेंसी का दर्जा दिया गया है।
सभी संबंधित पक्ष तालमेल के साथ काम करेंगे। हमने इसके लिए एक टीम तैयार की है, जिसमें सरकार, उद्योग, शिक्षा क्षेत्र, टेस्टिंग उद्योग, कौशल एवं शिक्षा जगत के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
भारत में बातचीत और मिलजुलकर मानक तैयार होते हैं। इन प्रयासों में समितियां ही नहीं कंपनियां और शिक्षा जगत भी शामिल रहता है। स्वायत्त संस्था दूरसंचार नियामक विकास संस्था (टीएसडीएसआई) के सांगठनिक सदस्य 3जीपीपी और आईटीयू द्वारा विकसित तकनीकी पहलुओं में सक्रिय योगदान करते हैं।
दूरसंचार विभाग, दूरसंचार अभियांत्रिकी केंद्र (टीईसी) और वायरलेस नियोजन एवं समन्वय (डब्ल्यूपीसी) जैसे सरकारी संस्थान शिक्षा जगत एवं उद्योगों के साथ समन्वय स्थापित कर आईटीयू के लक्ष्य, उनकी आवश्यकताओं एवं विनिर्देश में योगदान देते हैं।
6जी पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत सर्वत्र डिजिटल संपर्क तैयार करने और अधिक से अधिक क्षेत्रों को इसकी जद में लाने को प्राथमिकता देगा।
जिन प्रमुख बिंदुओं पर सरकार का ध्यान है उनमें 5जी से 6जी तकनीक तक निर्बाध पहुंच, फिक्स्ड वायरलेस की अधिक उपलब्धता, इंटीग्रेटेड एक्सेस एवं बैकहॉल और 6जी के लिए नया एयर इंटरफेस विकसित करना है।
इसमें बड़े स्तर पर एमआईएमओ तकनीक शामिल है और स्थानीय स्तर पर नवाचार एवं विकास पर विशेष ध्यान है।