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क्या AI White Collar नौकरियों को खतरे में डाल रहा है, कोडर्स और एनालिस्ट को लेकर क्या हैं चुनौतियां?

रिसर्च ने व्हाइट कॉलर नौकरियों में AI के उपयोग के प्रभावों को दिखाना शुरू कर दिया है, और यह सब अच्छी बात नहीं है।

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एजेंसियां   
Last Updated- February 08, 2024 | 6:41 PM IST

क्या थिंक एनालिस्ट, कोडर्स और ओपिनियन कॉलमनिस्ट जैसी नौकरियां बीते जमाने में रहीं मुंशी की नौकरियों की तरह वजूद खो देंगी। हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिका में फाइनेंस और टेक्नॉलजी सेक्टर ने लगभग 39,000 नौकरियों में कटौती की घोषणा की है, डॉक्यूसाइन इंक और स्नैप इंक जैसी कंपनियों ने 900 और छंटनी की है, जो कम खर्च में AI और ऑटोमेशन को अपनाने की दिशा में एक ट्रेंड का संकेत देती है। कुछ डेवलपर मार्क्स के विचारों पर ऑनलाइन भी चर्चा कर रहे हैं और इलेक्ट्रीशियन के रूप में फिर से ट्रेनिंग लेने पर विचार कर रहे हैं।

शेयरधारक और राजनेता AI के प्रभाव को लेकर चिंतित नहीं दिखते। जो मेटा प्लेटफ़ॉर्म इंक का मार्केट कैप एक ही दिन में 197 बिलियन डॉलर बढ़ने से दिखा ही है।

बेरोज़गारी कम है, मांग अधिक है, और राजनेता तकनीकी प्रगति के लिए उत्सुक हैं। बैंक ऑफ इंग्लैंड के एंड्रयू बेली ने आश्वासन दिया कि AI के कारण बड़े पैमाने पर नौकरियां नहीं जाएंगी, जैसा कि उन्होंने बीबीसी को बताया।

रिसर्च ने व्हाइट कॉलर नौकरियों में AI के उपयोग के प्रभावों को दिखाना शुरू कर दिया है, और यह सब अच्छी बात नहीं है।

एक्सपेरिमेंट में प्रोग्रामिंग, प्रोफेशनल राइटिंग और कस्टमर सपोर्ट जैसे रेगुलर जॉब पर फोकस किया गया है, जहां AI वर्कर्स को रिप्लेस करने के बजाय उनकी मदद करता दिखाई देता है।

उदाहरण के लिए, GitHub Copilot और ChatGPT जैसे AI असिस्टेंट के इस्तेमाल से काम की रफ्तार तेज़ हो गई और क्वालिटी में सुधार हुआ। AI का उपयोग करने वाले ग्राहक सहायता एजेंटों ने प्रति घंटे ज्यादा काम कंपलीट किए।

इन अध्ययनों से पता चलता है कि AI कम अनुभवी श्रमिकों को ज्यादा मदद करता है, यही कारण है कि युवा टेक सेवी इन टूल्स को पसंद करते हैं। नौकरियों में कटौती करने के बजाय, AI जूनियर कर्मचारियों को ट्रेन कर सकता है और सीनियर कर्मचारियों की जल्दी काम पूरा करने में मदद कर सकता है।

लेकिन यह सब अच्छी खबर नहीं है। हालांकि लिमिट में एक्सपेरिमेंट हमें इनसाइट दे सकते हैं, लेकिन वे यह नहीं दिखा सकते कि वास्तविक जीवन की स्थितियों में क्या होता है। उदाहरण के लिए, कोपायलट के यूजर्स बग की जांच करने की आवश्यकता का जिक्र करते हैं, क्योंकि उपकरण बड़े-भाषा मॉडल पर निर्भर करता है जो गलतियां कर सकता है।

अनुभवी कोडर इन एरर को पहचानने में बेहतर हैं। ड्यूक यूनिवर्सिटी के लेक्चरर नूह गिफ्ट के अनुसार, कोपायलट हर किसी को थोड़ा बेहतर बनाने में मदद करता है, लेकिन अगर आप कोडिंग में स्किल्ड नहीं हैं, तो भी आपको संघर्ष करना पड़ेगा।

इससे ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है जहां अनुभवहीन कोडर्स को संघर्ष करना पड़ेगा, जिससे नौकरी की आवश्यकताओं का स्तर और भी ऊंचा हो जाएगा।

दूसरी ओर, AI सबसे अच्छा परफॉर्म करने वालों की क्षमताओं को काफी बढ़ा सकता है, जिससे संभावित रूप से मानव श्रमिकों की आवश्यकता कम हो सकती है।

इस बात को लेकर भी चिंता है कि क्या AI से तेज कंटेंट क्रियेशन से क्रियेटर्स के काम की वैल्यू कम हो जाएगी और मांग बढ़ने के बजाय वेतन कम हो जाएगा। ऑक्सफोर्ड मार्टिन स्कूल के प्रोफेसर कार्ल-बेनेडिक्ट फ्रे बताते हैं कि भले ही AI कम स्किल वाले लोगों को लाभ पहुंचाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सभी को लाभ होगा।

उदाहरण के तौर पर वह उबर टेक्नोलॉजीज इंक की ओर इशारा करते हैं, जहां राइड-हेलिंग सेवाओं तक आसान पहुंच के कारण अधिक ड्राइवरों ने साइन अप किया लेकिन मौजूदा ड्राइवरों की कमाई कम हो गई।

IMF ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि एडवांस अर्थव्यवस्थाओं में नौकरियां विशेष रूप से AI से प्रभावित हो सकती हैं, जिससे श्रम की मांग कम हो सकती है, वेतन कम हो सकता है और नौकरी के अवसर कम हो सकते हैं। कुछ नौकरियां पूरी तरह से गायब हो सकती हैं।

इसका मतलब यह नहीं है कि हमें नौकरी संकट से घबरा जाना चाहिए। लॉन्ग टर्म में, जब हम पीछे मुड़कर देखेंगे तो हमें आश्चर्य होगा कि हम कैसे AI को मैनेज करते हुए आगे बढ़े।

लेकिन बढ़ती असमानता और कम वेतन से बचने के लिए शॉर्ट टर्म को ठीक से संभालना महत्वपूर्ण है। “रीस्किल” या “पायथन सीखना” उस दुनिया में उतना जरूरी नहीं होगा जहां मशीनें कोड लिख सकती हैं लेकिन टपकते नल को ठीक नहीं कर सकती।

ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्या किया जाए? हमारे पास विचार करने के लिए तीन अच्छे आइडिया हैं। सबसे पहले, वर्कर्स के डेटा को गलत तरीके से इस्तेमाल होने से बचाने के लिए बड़ी AI कंपनियों को बारीकी से रेगुलेट करें।

दूसरा, अधिक लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए AI से संबंधित नए रोजगार सृजित करें, जैसे कंप्यूटर चिप्स बनाना। तीसरा, सुनिश्चित करें कि हर किसी को यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी सहायता मिले, अगर उन्हें इसकी ज़रूरत हो। (ब्लूमबर्ग के इनपुट के साथ)

First Published : February 8, 2024 | 6:18 PM IST