प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अमेरिका भारतीय बाजार के इच्छुक अपने डेटा सेंटर परिचालकों के लिए ज्यादा पहुंच पर दबाव डाल रहा है। उम्मीद है कि वह बड़े स्तर वाले नए डेटा सेंटर पार्क और छोटे स्तर वाली नई इकाइयां स्थापित करने अथवा पुरानी इकाइयों के विस्तार के लिए अधिक सुव्यवस्थित प्रक्रिया की मांग करेगा। सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी।
सूत्रों ने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) की बातचीत के दौरान अमेरिका अपनी कंपनियों के लिए अनुकूल शर्तों की मांग कर सकता है। इसमें सस्ती जमीन और निर्बाध बिजली आपूर्ति, कर छूट तथा कुछ आयातित उत्पादों जैसे स्विच और स्विचगियर के लिए शुल्क छूट शामिल हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘यह उनके द्वारा की गई मांगों में से एक है। हालांकि हम भारत में डेटा सेंटर के लिए 100 प्रतिशत एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की अनुमति देते हैं, लेकिन कुछ प्रक्रियाओं को बेहतर किया जा सकता है। हम इस पर विचार कर रहे हैं।’
घरेलू डेटा सेंटर बाजार 10 अरब डॉलर होने का अनुमान है। इसमें से करीब 70 प्रतिशत वृद्धि मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद और दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र जैसे बड़े शहरों में हो रही है। रियल एस्टेट क्षेत्र की सलाहकार कंपनी एनारॉक ने रिपोर्ट में कहा कि कंप्यूट पावर, स्टोरेज और डेटा प्रबंधन क्षमताओं की मांग बढ़ने से साल 2025 तक यह वृद्धि कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों के अनुसार डिजिटल को तेजी से अपनाने और बड़ी मात्रा में डेटा के उत्पादन की वजह से देश को साल 2028 तक 1.7 गीगावॉट से लेकर 3.6 गीगावॉट तक की अतिरिक्त कोलोकेशन डेटा सेंटर क्षमता की जरूरत होने की संभावना है।
भारत में डेटा सेंटर पार्कों के विस्तार में प्रमुख बाधाओं में से एक है सतत बिजली आपूर्ति की कमी। खबरों के अनुसार इस साल की शुरुआत में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारत में डेटा सेंटर और एआई कंप्यूटिंग इकाइयों के लिए पर्याप्त बिजली सुनिश्चित करने के लिए बिजली मंत्रालय के साथ बातचीत शुरू की थी।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अपनी डेटा सेंटर कंपनियों के लिए अधिक बाजार पहुंच के अलावा यह भी पता चला है कि अमेरिका ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) अधिनियम के तहत प्रस्तावित नियमों के कुछ पहलुओं के संबंध में स्पष्टता मांगी है।
अधिकारी ने कहा,‘वे सीमा पार डेटा ट्रांसफर और इससे संबंधित मानदंडों के संबंध में आश्वासन चाहते हैं। हमने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है और उनके इनपुट का इंतजार कर रहे हैं।’ वर्तमान में भारत और अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत कर रहे हैं, जिसे इस साल के अंत में किसी भी समय औपचारिक रूप दिए जाने की संभावना है।