जिंस की ऊंची कीमतों का भार ग्राहकों पर डालने की भारतीय वाहन निर्माताओं की योजना से मांग में सुधार का परिदृश्य कमजोर होगा। कीमतोंं में बढ़ोतरी अगले महीने होनी है। यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हो रही है जब कुछ श्रेणियों की मांग में सुधार और त्योहारी खर्च की उम्मीद धुमिल हो गई और कोरोनावायरस महामारी से पडऩे वाले आर्थिक असर इसकी गवाही देते हैं। फिच रेटिंग्स का ऐसा मानना है।
लॉकडाउन में धीरे-धीरे ढील से मांग थोड़ी सुधरी, जिससे भारतीय यात्री वाहनों की मासिक थोक बिक्री जुलाई 2020 के बाद बढ़त की राह पर लौट आई। यात्री वाहनों की थोक बिक्री सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 13 फीसदी बढ़ी। वाहन निर्माताओं के संगठन सायम के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
त्योहारी मांग ने सितंबर के बाद बढ़त को टिकाए रखने में मदद की लेकिन नवंबर 2020 में इस बढ़त की रफ्तार सालाना आधार पर घटकर 5 फीसदी रह गई, जो अक्टूबर में 14 फीसदी रही थी। साल 2020 में दीवाली नवंबर में होने के बावजूद ऐसा हुआ जबकि साल 2019 में दीवाली अक्टूबर में थी। रेटिंग एजेंसी ने कहा, इससे संकेत मिलता है कि मंग कम हो रही है।
वाहन क्षेत्र की अन्य श्रेणियोंं में मांग कमजोर बनी रही। भारतीय वाणिज्यिक वाहनों की थोक बिक्री सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 20 फीसदी घटी। इससे पहले जून तिमाही में 85 फीसदी की भारी-भरकम गिरावट आई थी, जो अत्यधिक फ्रेट कैपेसिटी और वित्त की कमजोर उपलब्धता जैसे कारकों से मिलने वाली चुनौतियों को प्रतिबिंबित करती है।
इसके अलावा मध्यम व भारी वाणिज्यिक वाहनों की मांग पर भी असर पड़ा। अशोक लीलैंड, टाटा मोटर्स और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा समेत अग्रणी विनिर्माताओं के वाणिज्यिक वाहनों की थोक बिक्री अक्टूबर व नवंबर में सामान्य स्थिति की ओर बढ़ी। लेकिन फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के आंकड़े बताते हैं कि पंजीकरण में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज हुई।