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मजबूत डॉलर की मार से महंगी हो सकती हैं लक्जरी कार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 9:42 PM IST

डॉलर और यूरो के  मुकाबले कमजोर होते रुपये की मार अंतरराष्ट्रीय कार कंपनियों पर भी पड़ने लगी है।


रुपये के कमजोर होने से कंपनियों का मुनाफा मार्जिन भी कम हो गया है। इसीलिए इस बाजार में मौजूद अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अपनी कारों के  दाम बढ़ाने पर विचार कर रही हैं। आने वाले कुछ महीनों में कंपनियां कारों के दाम बढ़ा सकती हैं।

फिलहाल डैमलर (मर्सिडीज), बीएमडब्ल्यू, वोल्वो, निसान, पोर्शे और होंडा ने आयात होने वाले मॉडलों की कीमत नहीं बढ़ाई है। दरअसल पहले से ही कुछ कारों की बुकिंग होने के कारण इन कंपनियों को ग्राहकों को उसी कीमत पर कार मुहैया करानी पड़ेगी और नुकसान उठाना पड़ेगा।

पिछले 18 महीनों में रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। साल की शुरुआत में 1 डॉलर 39.29 रुपये के बराबर था। जबकि अब यह 46.34 रुपये के बराबर है।  इसी तरह यूरो भी मजबूत होकर जनवरी के 57.60 रुपये से बढ़कर 65.82 रुपये के बराबर हो गया है।

फिलहाल कार आयात करने पर 114 फीसदी आयात शुल्क लगाया जाता है। इसमें सीमा शुल्क, सीमा शुल्क पर अधिभार और उत्पाद शुल्क भी शामिल हैं। इन सभी शुल्कों के कारण कार असल कीमत से लगभग दोगुनी महंगी हो जाती है।

भारत में लक्जरी कारों का सबसे ज्यादा आयात करने वाली कंपनी मर्सिडीज ने बताया कि कंपनी फिलहाल कीमत नहीं बढ़ाने की कोशिश कर रही है। लेकिन अगर हालात नहीं सुधरते हैं तो हमें कीमत बढ़ानी पड़ेगी। डैमलर के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम अंतररराष्ट्रीय बाजार में विनिमय दरों में होने वाले बदलाव से अच्छी तरह वाकिफ हैं। हम ग्राहकों को इससे दूर रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हमारे पास पहले से ही बुकिंग है। सवाल यह है कि हम कितने दिनों तक मुनाफे में यह कमी झेल पाते हैं।’

मर्सिडीज भारत में 35 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये की कीमत के  लगभग 6 मॉडल भारत में बेचती है। कंपनी पूरी तरह तैयार इन कारों का आयात करती है। अभी तक इन कारों की कीमत में लगभग 22 फीसदी का इजाफा हुआ है।

निसान मोटर इंडिया के निदेशक (सेल्स और मार्केटिंग) नीरज गर्ग ने कहा, ‘फिलहाल कीमत बढ़ाने पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। लेकिन हम हालात पर नजर रखे हुए हैं। अगर जरूरी हुआ तो हम कुछ समय बाद कीमतें बढ़ा सकते हैं।’ कंपनी भारत में 20 लाख रुपये से ज्यादा कीमत वाले एक्स ट्रेल और टियाना समेत दो मॉडल बेचती हैं।

वोल्वो इंडिया स्वीडन से एक्ससी 90 और एस 80 जैसे मॉडल आयात कर भारत में बेचती है। वोल्वो का भारत में निर्माण संयंत्र नहीं है। वोल्वो कार इंडिया के प्रबंध निदेशक पॉल डी वोजिस ने कहा, ‘हम बाजार की हालत से काफी चिंतित हैं। हम इन हालात पर नजर रखे हुए हैं और इस बारे में कोई फैसला लेंगे। भारत में हमारी कारों की मांग बढ़ रही है।

भारत में 25 लाख रुपये से ज्यादा की कीमत वाली कारों का बाजार काफी तेजी से बढ़ रहा है। जल्द ही यह आंकड़ा 10,000 कार सालाना हो जाएगा।’ भारत में अभी तक कंपनी ने मात्र 100 कार बेची हैं। लेकिन कर्मचारियों, लॉजिस्टिक्स और जमीन की कमी के कारण कंपनी ने अपने विस्तार की योजना को फिलहाल टाल दिया है।

First Published : September 18, 2008 | 12:11 AM IST