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बस और ट्रक भी दौड़े पीछे

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 6:39 PM IST

वाणिज्यिक वाहन बनाने वाली कंपनियों के दिन फिर से फिरते दिखाई दे रहे हैं।
कुछ वक्त पहले तक मांग में कमी के चलते अपना उत्पादन तक घटाने को मजबूर हुई इन कंपनियों की बिक्री में एक बार फिर से तेजी से इजाफा हुआ है।
इस क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टाटा मोटर्स और अशोक लीलैंड का मानना है कि बुरा वक्त बीत चुका है, और आगे बिक्री में और भी इजाफा होगा।
वाणिज्यिक वाहन बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी टाटा मोटर्स के कार्यकारी निदेशक पी एम तेलंग कहते हैं, ‘पिछले कुछ हफ्तों में देश में वाणिज्यिक वाहनों की मांग में इजाफा हुआ है। हमनें कुछ वक्त पहले उत्पादन में कमी की थी, लेकिन अब बढ़ी हुई मांग को देखते हुए हमें अपनी रणनीति में तब्दीली करनी पड़ी है।’
कारोबार के जानकारों का मानना है कि इस उद्योग पर सरकार की घुट्टी का असर होता दिखाई दे रहा है। जनवरी के पहले हफ्ते में सरकार ने इस उद्योग के लिए कुछ रियायतें दी थी, जिसका अब फायदा होता दिख रहा है। इन घोषणाओं में सरकार ने एक अहम रियायत देते हुए गैर वित्तीय बैंकिंग कंपनियों (एनबीएफसी) को वाणिज्यिक वाहनों को फाइनैंस करने के लिए अतिरिक्त नकदी मुहैया कराई थी। 
अशोक लीलैंड को भी मौजूदा तिमाही में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। पिछले साल इसी अवधि के दौरान हुई बिक्री की तुलना में मौजूदा आंकड़े कंपनी के लिए उम्मीद बंधाते लगते भी हैं। कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी के श्रीधरन कहते हैं, ‘मांग में इजाफा हो रहा है और मुझे लगता है कि इंडस्ट्री का बदतरीन दौर अब बीत चुका है।’
टाटा मोटर्स के मुताबिक जनवरी 2009 में कंपनी ने 17,373 ट्रक, बस और दूसरे हल्के वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री की थी, लेकिन फरवरी में यही आंकड़ा बढ़कर 23,454 तक पहुंच गया।महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के तिपहिया वाहनों की बिक्री में भी फ रवरी के दौरान पिछले साल समान अवधि की तुलना में 45.5 फीसदी का इजाफा हुआ।
तेजी से बढ़ी वाणिज्यिक वाहनों की मांग
टाटा मोटर्स और अशोक लीलैंड की बिक्री बढ़ी
टाटा के भारी वाणिज्यिक वाहनों की मांग पहुंची अपने चरम पर
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के तिपहिया वाहनों की बिक्री में भी आई तेजी

First Published : March 2, 2009 | 9:27 PM IST