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यूएसडीए ने बढ़ाया गेहूं का वैश्विक उत्पादन अनुमान, भारत के लिए संभव हो सकता है आयात

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 4:38 PM IST

 यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (यूएसडीए) की ताजा (12 अगस्त)  रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर गेहूं के उत्पादन अनुमान में  बढोतरी की गई है। जिसकी वजह से गेहूं की कीमतों पर शुक्रवार को सीबोट में दबाव दिखा। यूएसडीए के इन अनुमानों का असर कीमतों पर आगे भी बने रहने की संभावना है।

यूएसडीए के मुताबिक वर्ष 2022 -23 में वैश्विक स्तर पर 779.60 मिलियन टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान है। जबकि पिछले महीने यूएसडीए ने 771.64 मिलियन टन उत्पादन का अनुमान लगाया था। साथ ही एजेंसी ने वैश्विक स्तर पर खपत में भी बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है। जबकि पिछले महीने कीमतों में तेजी की वजह से खपत में कमी की आशंका जताई गई थी। यूएसडीए के मुताबिक वर्ष 2022 -23 के दौरान 788.60 मिलियन टन गेहूं की खपत हो सकती है जबकि पिछले महीने इसके 784.22 मिलियन टन रहने का अनुमान जताया था।

वहीं दूसरी ओर भारत में गेहूं के उत्पादन अनुमान को 106 मिलियन टन से घटाकर 103 मिलियन टन कर दिया है। साल के अंत में बच जाने वाले स्टॉक यानी क्लोजिंग स्टॉक के भी 16.49 मिलियन टन से घटकर 11.53 मिलियन टन रहने का एजेंसी ने अनुमान लगाया है।

जानकारों के अनुसार वैश्विक स्तर पर उत्पादन अनुमान में अच्छी खासी बढोतरी और यूक्रेन से आपूर्ति मे आगे और सुधार आने की संभावना के बीच गेहूं की वैश्विक कीमतों पर दबाव बढ सकता है। वहीं ठीक इसके विपरीत भारत में उत्पादन और स्टॉक में गिरावट, साथ ही धान के बोआई रकबे में कमी के मद्देनजर घरेलू कीमतों में तेजी जारी रह सकती है।

बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय बाजार, शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबोट) पर गेहूं की कीमतों में पिछले तीन महीनों में 31 फीसदी की कमी आई है। वहीं घरेलू थोक बाजारों  में गेहूं की औसत कीमत 2,400 रुपये प्रति क्विंटल के आस पास है। जबकि गेहूं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,015 रुपये प्रति क्विंटल है।

इस तरह से देखें तो फिलहाल भारतीय गेहूं की कीमत 300 डॉलर प्रति टन के करीब है। वहीं  वैश्विक बाजारों में गेहूं की  कीमत  400 डॉलर प्रति टन के आस पास है। मतलब दोनों के बीच 100 डॉलर प्रति टन का अंतर है। इसके अतिरिक्त भारत में गेहूं के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क का भी प्रावधान है।

नेशनल कमोडिटी मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड (एनसीएमएल) के चेयरमैन सिराज चौधरी के मुताबिक, ‘अगर घरेलू कीमतों में तेजी जारी रहती है तो सरकार या तो आयात शुल्क में कटौती कर सकती है या इसे पूरी तरह हटा सकती है। मतलब यह हुआ कि अगर आने वाले दिनों में भी कीमतों में मौजूदा रुख जारी रहा तो वैश्विक और घरेलू कीमतों के बीच अंतर या तो बहुत कम हो जाएगा या वैश्विक और घरेलू कीमतें आस पास आ सकती है। और अगर ऐसी स्थिति बनती है तो सरकार के लिए घरेलू कीमतों पर अंकुश लगाने में आसानी होगी। सरकार आयात शुल्क में कटौती या इसे पूरी तरह से हटाकर, साथ ही अन्य मात्रात्मक प्रतिबंधों के साथ गेहूं के  आयात को प्रोत्साहित कर सकती है। परिणामस्वरूप घरेलू कीमतों में तेजी थम सकती है।’

सरकार से जारी आंकड़ों के मुताबिक 1 अगस्त तक देश के केंद्रीय पूल में 266.45 लाख टन गेहूं का स्टॉक था। जो अगस्त 2008 के बाद सबसे कम है। लेकिन गेहूं के स्टॉक में कमी को लेकर सरकार पहले से ही सचेत है। तभी तो सरकार ने 2022-23 में लोक कल्याणकारी योजनाओं (पीएमकेजीएवाई और एनएफएसए) के तहत वितरण के लिए जरूरी 117 लाख टन गेहूं के बदले चावल आवंटित करने का निर्णय किया है। सरकार के इस कदम का मकसद केंद्रीय पूल में कम से कम इतना  इतना गेहूं बचाकर रखना है ताकि कीमतों पर लगाम लगाने के लिए भविष्य में ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत खुले बाजार में गेहूं बेचा जा सके।  इसके अतिरिक्त सरकार ने गेहूं और गेहूं के आटे, मैदा, सूजी और साबुत आटे के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।  

वर्ष
1 अगस्त को गेहूं का केंद्रीय पूल में स्टॉक ( लाख टन)

2022
266.45

2021
564.80

2020
513.28

2019
435.88

2018
408.58

2017
300.59

2016
275.90

2015
367.78

2014
381.08

2013
403.78

2012
475.26

2011
358.75

2010
320.47

2009
316.23

2008
243.80

केंद्रीय पूल में कम स्टॉक की वजह इस वर्ष रबी सीजन के दौरान गेहूं की सरकारी खरीद में आई कमी है। 31 जुलाई तक देश में कुल 187.94 लाख टन गेहूं की खरीद हुई जो पिछले सीजन की तुलना में तकरीबन 57 फीसदी कम है। पिछले सीजन में कुल 433.44 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी। इस सीजन में किसानों को निजी क्षेत्र यानी प्राइवेट में गेहूं बेचना ज्यादा मुफीद लगा क्योंकि वहां उन्हें एमएसपी से ज्यादा कीमतें मिल रही थी। साथ ही मार्च और अप्रैल में हीट वेव यानी लू चलने की वजह से उत्पादन में भी कमी आई। इस तरह से कम उत्पादन भी खरीद में कमी के लिए जिम्मेदार रही। सरकार के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार पिछले साल के 109 लाख टन की तुलना में उत्पादन इस साल 106.41 मिलियन टन  रह सकता है। हालांकि मार्केट में उत्पादन 100 मिलियन टन से भी नीचे जाने का अनुमान है।

First Published : August 14, 2022 | 7:48 PM IST