Categories: विशेष

टीकाकरण के लिए मुस्तैद स्वास्थ्य केंद्र

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 6:36 AM IST

दिन बुधवार… समय दिन के 11 बजे। महाराष्ट्र में नासिक राजमार्ग से थोड़ी दूर पडघा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर जुटे ग्रामीणों को एक स्वास्थ्यकर्मी टोकन बांट रहा है। यहां टीके लगने का काम जल्द ही शुरू होने वाला है और स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य गलियारे में 30-35 लोग इक_े भी हो चुके हैं।
इसी भीड़ में 65 साल की लेखाबाई भी हैं। स्वास्थ्य केंद्र से कुछ दूर बसे अर्जुनाली गांव की लेखाबाई अपनी बहू और पोते के साथ आई हैं। वह कहती हैं, ‘मेरे गांव में कई लोगों को कोविड-19 की बीमारी हो चुकी है। मैं आसपास टीकाकरण शुरू होने का इंतजार कर रही थी। हालांकि मुझे थोड़ा डर लग रहा है मगर आशाकर्मी ने कहा है कि अगर मुझे कोविड-19 हो भी गया तो मुझे अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ेगा।’ लेखाबाई की बारी जल्द ही आ जाती है और उन्हें टीका लगवाने के लिए पहली मंजिल पर भेज दिया जाता है।
आम स्वास्थ्य केंद्रों से बड़े और काफी साफ-सुथरे पडघा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तीन कमरे टीकाकरण के लिए कर दिए गए हैं। एक कमरे में डॉक्टर चिकित्सा संबंधी दस्तावेज, रक्तचाप वगैरह की जांच करते हैं, दूसरे कमरे में टीके लगाए जाते हैं और तीसरा कमरा इंतजार के लिए है, जहां टीका लगवाने के बाद लोगों को 30 मिनट तक बिठाया जाता है। महाराष्ट्र के दूसरे स्वास्थ्य केंद्रों के साथ ही पडघा केंद्र में भी 8 मार्च को टीकाकरण शुरू हुआ था और रोजाना करीब 60-70 लोगों को टीके लगाए जाते हैं।
पडघा स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. एस जी पावरा का कहना है कि कोविड-19 टीकाकरण में काफी लोग लगाए गए हैं। को-विन पर ग्रामीणों के पंजीकरण से लेकर टीका लगवाने और रिकॉर्ड रखने में ये सभी मदद करते हैं। पावरा कहते हैं, ‘हम हफ्ते में तीन दिन टीकाकरण कर रहे हैं मगर किसी भी 100 टीकों का आंकड़ा पार नहीं कर पाए हैं।’ पावरा के कमरे में यूनिसेफ का निशान लगे दो बड़े रेफ्रिजरेटर हैं, जिनमें टीके रखे जाते हैं। स्वास्थ्य केंद्र हर हफ्ते तय कार्यक्रम के मुताबिक टीके मंगाता है और उससे ज्यादा स्टॉक नहीं रखा जाता। मगर पिछले हफ्ते से भीड़ बढऩे लगी है क्योंकि आसपास के गांवों में कोविड की ‘दूसरी लहर’ का डर पसर गया है।
तमिलनाडु में चेन्नई से करीब 100 किलोमीटर दूर मदुरांतकम नगर निगम क्षेत्र में दो हफ्ते पहले स्वास्थ्यकर्मियों को घर-घर जाकर लोगों को टीका लगवाने के लिए मनाना पड़ रहा था। मगर संक्रमण में तेज बढ़ोतरी के बाद घबराए लोग खुद ही घरों से निकलकर टीके लगवाने पहुंच रहे हैं। पहले दिन में दो-तीन लोग ही टीके लगवाते थे मगर अब रोजाना कम से कम 50-60 लोग टीके के लिए आने लगे हैं।
50 साल के स्थानीय कारोबारी एम के वरदान टीकाकरण कार्यक्रम से प्रभावित दिखे। उन्होंने कहा, ‘प्रक्रिया एकदम दुरुस्त है। केवल 45 मिनट के भीतर मैं टीका लगवाकर यहां से निकल भी गया।’ पहले लोगों में टीके के दुष्प्रभाव होने की आशंका थी। मगर जब उन्होंने देखा कि टीका लगवाने वाले ज्यादातर लोगों के साथ कोई समस्या नहीं हो रही है तो वे भी आश्वस्त हो गए। इसीलिए टीकाकरण जोर पकड़ रहा है। अपने परिवार के साथ मदुरांतकम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर टीका लगवाने आए रियल एस्टेट कारोबारी धामू कहते हैं, ‘हम कुछ समय इंतजार करना चाहते थे ताकि पता लग जाए कि टीके का कोई दुष्प्रभाव तो नहीं हो रहा। लेकिन अब कोविड संक्रमण फिर बढऩे लगा है, इसलिए हमने टीका लगवाने का फैसला किया और यहां आ गए।’
चिंता अब भी बरकरार
उत्तर प्रदेश में लखनऊ के बख्शी का तालाब इलाके में रहने वाले 65 साल के रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी सोभन सिंह तय ही नहीं कर पाए हैं कि टीका लगवाया जाए या नहीं। लखनऊ में एक बड़े खुदरा ब्रांड के साथ काम करने वाले उनके 36 साल के बेटे की नौकरी पिछले साल लॉकडाउन की वजह से चली गई। अब सिंह का पूरा परिवार उनकी पेंशन पर ही आश्रित है, इसलिए उन्हें टीके के दुष्प्रभावों का डर है। टीके ने सेहत को नुकसान पहुंचाया तो उनके परिजनों की जिंदगी और दुश्वार हो जाएगी। इसी डर से वे अभी तक टीके से दूर हैं।
बख्शी का तालाब लखनऊ शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर लखनऊ-सीतापुर राजमार्ग पर है। यहां करीब 2 लाख की ग्रामीण आबादी है, जिसमें लगभग 15 फीसदी 60 साल से ऊपर उम्र के हैं। यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर 4,000 लोगों को टीके लग चुके हैं।

कर्मचारियों की कमी
टीकाकरण अभियान शुरू हुए कुछ हफ्ते बीत चुके हैं और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अभी तक सब कुछ सही से चल रहा है। ठाणे जिले में पडघा से करीब 10 किलोमीटर दूर खडावली में टीके बिल्कुल भी बरबाद नहीं हो रहे हैं। खडावली में टीकाकरण कार्यक्रम की देखरेख करने वाले डॉ. पी खानकर बताते हैं कि अगर ऐसा लगता है कि दिन खत्म होते-होते नया पैक खोलना पड़ेगा तो बचे दो-तीन लोगों को अगले दिन आने के लिए कहकर घर भेज दिया जाता है। वह कहते हैं, ‘टीके की बरबादी रोकने के लिए हम ऐसा करते हैं या कई बार अपने कुछ कर्मचारियों को ही टीके की दूसरी खुराक लगा देते हैं। एक दिन में हम एक या दो से अधिक खुराक बरबाद नहीं होने देते।’
टीकाकरण कार्यक्रम जल्द ही दूरदराज के इलाकों में भी शुरू होने की उम्मीद है। प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के दायरे में 6-7 उपकेंद्र आते हैं। जब अभियान उपकेंद्र स्तर पर पहुंचेगा तो टीके की खुराकें आइस बॉक्स में रखकर उपकेंद्र या स्थानीय स्कूल तक पहुंचाई जाएंगी, जहां टीका लगाने वाला अपना काम करेगा। बची खुराकें केंद्र में भेज दी जाएंगी, जहां उन्हें फ्रिज में रख दिया जाएगा।
इसके लिए ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत होगी। खडावली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ने 700 रोजाना के हिसाब से सहायक नर्स (एएनएम) को टीकाकरण में लगा दिया है। इस स्वास्थ्य केंद्र पर रोजाना 40-45 लागों को टीके लग रहे हैं और हफ्ते में तीन दिन टीकाकरण किया जा रहा है। सरकार ने अब 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को टीके लगाने का फैसला किया है, जिससे भीड़ बढऩा तय है। खानकर कहते हैं कि शहर के उपनगरीय इलाकों से कई लोग टीके लगवाने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही पहुंच रहे हैं क्योंकि वहां पर भीड़ कम रहती है।
कर्मचारियों की किल्लत छोड़ दें तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बुनियादी ढांचे के मामले में एकदम चाकचौबंद नजर आ रहे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 62,000 की कुल आबादी वाले 46 गांवों का खयाल रखने वाले पडघा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दो महीने का बिजली बिल 35,000 रुपये आया है क्योंकि अब वहां शून्य से 80 डिग्री और शून्य से 20 डिग्री कम तापमान वाले डीप फ्रीजरों के साथ सुविधासंपन्न आरटी-पीसीआर प्रयोगशाला खुल गई है। अगर शून्य से कम तापमान पर रखे जाने वाले टीके भेजे गए तो ये सुविधाएं काफी काम आएंगी। इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अभी तक कोविशील्ड टीके ही लगाए जा रहे हैं मगर 1 अप्रैल से स्वदेशी टीके कोवैक्सीन की पहली खेप पहुंचने के आसार हैं।

First Published : March 27, 2021 | 12:07 AM IST