नए मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने आर्थिक विकास के मसलों समय समय पर लिखित रूप से विचार दिए हैं। विभिन्न मसलों पर उनकी प्रतिक्रियाओं से उनका आर्थिक चिंतन सामने आता है। हमने विभिन्न मसलों पर उनके विचार संकलित किए हैं, जो निम्नवत है…
नोटबंदी पर
नोटबंदी की कीमत धीमी वृद्धि की तुलना में कहीं ज्यादा होगी (5 सितंबर, 2017)। नए युग की शुरुआत करने वाले नीतिगत फैसलों पर किसी निष्कर्ष पर तत्काल या किसी एक छोटे नियत समय में नहीं पहुंचा जा सकता। बैंकों का राष्ट्रीयकरण एक उदाहरण है। पहले दो दशकों की समाप्ति पर बैलेंस के हिसाब से सकारात्मक स्थिति रही। पांच दशक के बाद मिली-जुली से नकारात्मक स्थिति रही। इतिहासकार यह दर्ज करेंगे कि नोटबंदी का सच इसके विपरीत है। (9 नवंबर, 2020 इंडियन एक्सप्रेस)
जीडीपी गणना
यह संभव है कि कम वृद्धि दर को स्वीकार करने की विफलता ने वास्तव में लंबे समय तक वृद्धि में स्थिरता ला दी हो। सरकार आसानी से सीईए या आर्थिक मामलों के विभाग से कह सकती है कि वह जीडीपी वृद्धि के अनुमानों पर 2015 से उपजे विवाद की कवायद से बाहर निकले। इससे पिछले 4 साल के दौरान मौद्रिक और राजकोषीय नीति ज्यादा जवाबदेह हुई है (19 जून, 2019, मिंट)।
बैड बैंक
यह बेहतर होगा कि ‘बैड बैंक’ के गठन के बजाय खराब कर्ज के सृजन को रोका जाए। (18 जनवरी, 2021, मिंट)
बजट 2021-22
यह बजट भारत को 2021-22 और उसके आगे के लिए बहुत अच्छी स्थिति में खड़ा करेगा (1 फरवरी, 2021, मिंट)
क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी मौजूदा कुलीनों व ऐसा बनने को इच्छुक अभिजात्य वर्ग के बीच चल रहे शक्ति के संघर्ष का शुरुआती अंत है। संभवत: यह दोनों के लिए अच्छा नहीं होगा (15 फरवरी, 2021, मिंट)
सौर ऊर्जा क्षमता
भारत के सौर ऊर्जा क्षमता का 75 प्रतिशत चीन के सेल और मॉड्यूल से तैयार किया गया है। सौर सेल विनिर्माण क्षमता 3 गीगावॉट की और मॉड्यूल की 5 गीगावॉट की है, जबकि सौर बिजली क्षमता 32 गीगावॉट है (7 अप्रैल, 2021, मिंट)
लॉकडाउन
कोविड की दूसरी लहर में प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया है कि राज्य सरकारें लक्षित और स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाएं, जिसकी वकालत तमाम लोगों ने पहली लहर में की थी। लेकिन अब देश भर में लॉकडाउन न लगाने और स्वास्थ्य व जिंदगियों की जगह अर्थव्यवस्था व आर्थिक वृद्धि को प्राथमिकता देने की बात कहकर उनकी आलोचना हो रही है (5 मई, 2021, द गोल्ड स्टैंंडर्ड, जो बाद में स्वराज में प्रकाशित हुआ)
कॉर्पोरेट कर
सरकार को 2021-22 में इस वित्त वर्ष के लाभों पर एकमुश्त अतिरिक्त कर लेने पर विचार करना चाहिए, जिस तरह से सितंबर 2019 में कर कम करने के लिए एक अध्यादेश लाया गया था। अगर पूंजी का सृजन तेज नहीं होता है और अगर कॉर्पोरेट कर राजस्व वृद्धि तुलनात्मक रूप से आने वाले वर्षों में कम रहती है तो यह जरूरी हो जाता है कि देश के शीर्ष मार्जिनल कॉर्पोरेट कर दरों पर पुनर्विचार किया जाए (1 जून, 2021, मिंट)
ईंधन पर जीएसटी
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने में एक दशक से ज्यादा लग गए, उसी तरह ईंधन को इसके तहत लाने की परियोजना में एक दशक लग सकते हैं, जिससे इस पर कर दरें बहुत कम हो जानी हैं (29 जून, 2021, मिंट)
कोविड से मौतें
हमारा मानना है कि कोविड से हुई मौतों के बारे में अनुमान लगाने में जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है, इससे जरूरी है कि स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा में सुधार किया जाए और देश को भविष्य में ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए तैयार किया जाए। इस हिसाब से भारत ने प्रगति की है (एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार के साथ 27 जुलाई, 2021 को लिखे लेख में, इंडियन एक्सप्रेस)
निवेश बहाली
यह जरूरी नहीं कि कम मांग की स्थिति में पूंजीगत व्यय रुक जाए। निवेश में तेजी से आपूर्ति और मांग का चक्र बन सकता है। अगर भारत तीसरी लहर के डर को छोड़ देता है तो भारत में 2003 से 2008 वाली तेजी दिख सकती है। हमारी चुनौती कर्ज में वृद्धि कि ए बगैर इसे टिकाऊ बनाए रखना है (17 अगस्त, 2021, मिंट)
भूख सूचकांक
कोविड और बड़े पैमाने पर आंतरिक विस्थापन के दौरान भूख से होने वाली मौतों को रोका जा सका है, इस पर गर्व किया जा सकता है। यह प्रत्यक्ष नकदी अंतरण मिशन और सरकार की अन्य योजनाओं जैसे अनाज देने की योजना की वजह से हो सका है। (19 अक्टूबर, 2021, मिंट)
एमएसएमई कर्ज
रिटर्न के इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग के माध्यम से जीएसटी के दौर में एमएमएमई अनुपालन के औपचारिक चैनल में शामिल हुए हैं। बहरहाल उन्हें औपचारिक कर्ज के दायरे में लाने की जरूरत है (1 नवंबर, 2021, मिंट)
स्कूल खुलें?
महामारी को दो साल होने के हैं, स्कूल बंद होने व एकतरफा लॉकडाउन के मामला नहीं आया है। बच्चों के मानसिक, बौद्धिक और शारीरिक स्वास्थ्य को दीर्घकालीन नुकसान की तुलना में ऐसे कदमों का लाभ ज्यादा है (18 जनवरी, 2022, मिंट)
टिकाऊ वृद्धि
रूढि़वादी धारणा के हिसाब से देखें तो शेष दशक के लिए रियल जीडीपी वृद्धि की दर 6.7 से 7 प्रतिशत के बीच रह सकती है (25 जनवरी, 2022, मिंट)
संकलन: इंदिवजल धस्माना