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‘बीएस मंथन’ में तलाशी जाएगी विकसित भारत @2047 की डगर, बिज़नेस स्टैंडर्ड तय कर रहा 50 साल का सफर

50 साल पहले 10 पैसे कीमत के साथ शुरू हुए बिज़नेस स्टैंडर्ड को इस सम्मेलन के जरिये उन लोगों की नजरों से अपना अब तक का सफर देखने का मौका मिलेगा, जो अखबार की नब्ज को पकड़ते हैं।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- March 20, 2024 | 10:54 PM IST

भारत की 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा है और इस महत्त्वाकांक्षा को साकार करने के लिए उसे क्या करना चाहिए? भारत और दुनिया भर के नीति निर्णायक, सरकार और उद्योग जगत की शीर्ष हस्तियां अगले हफ्ते नई दिल्ली में बिज़नेस स्टैंडर्ड के वैचारिक लीडर्स के राष्ट्रीय सम्मेलन ‘बिज़नेस मंथन’ में इस प्रश्न पर विचार-विमर्श करने के लिए जुटेंगे।

दो दिन के इस सालाना सम्मेलन का यह पहला आयोजन है, जो बिज़नेस स्टैंडर्ड के प्रकाशन के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर किया जा रहा है। सम्मेलन का आगाज 27 मार्च को भारत मंडपम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के उद्घाटन भाषण के साथ होगा।

सम्मेलन में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, रेलवे और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव तथा जी20 के शेरपा और नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ कांत कारोबार, अर्थव्यवस्था, सूचना प्रौद्योगिकी और दूसरे पहलुओं पर विचार व्यक्त करेंगे। 28 मार्च को वित्त सचिव टीवी सोमनाथन के भाषण के साथ सम्मेलन का समापन हो जाएगा।

‘2047 तक विकसित भारत: रोडमैप’ के व्यापक विषय पर बातचीत का दायरा भी बहुत बड़ा होगा। इसमें दुनिया भर के दिग्गज इस बात पर चर्चा करेंगे कि भारत के बारे में दुनिया क्या सोचती है? भारत खुद को किस तरह देखता है? उसे किस तरह की क्षमता की जरूरत है और किन चुनौतियों से उसे निपटना होगा? जलवायु संकट का समाधान कैसे करना चाहिए?

फाइनैंशियल टाइम्स के मुख्य आर्थिक टिप्पणीकार मार्टिन वुल्फ ‘लोकतांत्रिक पूंजीवाद के संकट’ विषय पर चर्चा में रहेंगे और दुनिया के सबसे बड़े तथा सबसे जीवंत पूंजीवादी लोकतांत्रिक देशों में शुमार भारत पर अपने विचार रखेंगे। पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन सम्मेलन के दौरान पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवकुमार मेनन तथा ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त रह चुके नलिन सूरी के साथ चर्चाकरेंगे कि भारत कैसे पश्चिमी दुनिया की चीन प्लस वन की छवि से छुटकारा पा सकता है।

विकसित देश बनने के लिए भारत को कई मोर्चों पर अपनी पूरी ताकत दिखानी होगी। इसका मतलब यह है कि केंद्र और राज्यों को अलग-अलग दिशा में काम करने के बजाय एकजुट होकर काम करने की जरूरत है। देश में केंद्र-राज्य के संबंधों के पेचों की बारीकियों पर पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणयन और योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया चर्चा करेंगे।

इसी हफ्ते जारी आईक्यूएयर रिपोर्ट में देश की हवा खराब होने की चिंता जताई गई है। सम्मेलन के दौरान एक पैनल इससे होने वाली विभिन्न पर्यावरणीय समस्याओं पर भी चर्चा करेगा।

देश के वित्तीय बाजार और उनकी क्षमता भारत की वृद्धि की कहानी को परिभाषित करते हैं। इस पहलू पर जीक्वांट इन्वेस्टेक के संस्थापक शंकर शर्मा के साथ चर्चा की जाएगी। खेलों और विलासिता की दुनिया में भारत का बढ़ता दबदबा भी बातचीत का हिस्सा होगा। ये दोनों ऐसे क्षेत्र हैं जहां एक बार ब्रांड बनने के बाद लोगों का भावनात्मक जुड़ाव हो जाता है और लंबे समय तक साथ बना रहता है।

पचास साल पहले 27 मार्च, 1975 को 10 पैसे कीमत के साथ शुरू हुए बिज़नेस स्टैंडर्ड को इस सम्मेलन के जरिये उन लोगों की नजरों से अपना अब तक का सफर देखने का मौका मिलेगा, जो अखबार की नब्ज पकड़ते हैं। आगे का रास्ता पढ़ने और उस पर बढ़ने में भी अखबार को मदद मिलेगी।

First Published : March 20, 2024 | 10:46 PM IST