राजनीति

मंदी से बचने के लिए उपाय जरूरीः कांग्रेस

कांग्रेस ने जारी की 'अर्थव्यवस्था की वास्तविक ​​स्थिति' रिपोर्ट, सरकार की नीतियों पर साधा निशाना

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- January 30, 2025 | 11:14 PM IST

संसद में 2024-25 के लिए आर्थिक समीक्षा पेश किए जाने की पूर्व संध्या पर कांग्रेस ने गुरुवार को ‘अर्थव्यवस्था की वास्तविक ​​स्थिति’ शीर्षक वाली रिपोर्ट जारी कर आरोप लगाया कि केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की आर्थिक नीतियां देश को मध्यम आय के जाल में फंसा रही हैं। केंद्र की नीतियों की वजह से भारत गैर प्रतिस्पर्धी और अनुत्पादक होता जाएगा, जिससे असमानता बढ़ेगी।

पूर्व राज्य सभा सदस्य एमवी राजीव गौड़ा के नेतृत्व वाले कांग्रेस के शोध विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट को पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जारी किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6 फीसदी के दायरे में है। ऐसे वक्त में जब तेज तकनीकी बदलाव के चलते भविष्य में नौकरियों पर आशंका के बादल मंडरा रहे हैं, यह ​वृद्धि दर देश की बढ़ती युवा आबादी के लिए रोजगार के अवसर तैयार करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘इससे भारत में बहुत अ​धिक असमानता बढ़ेगी। जहां हमारी दो-तिहाई आबादी सरकार के मुफ्त अनाज पर निर्भर है, वहीं प्रधानमंत्री के कुछ चहेते लोग तेजी से संपत्ति बना रहे हैं।’ गौड़ा ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य की रिपोर्ट का जिक्र किया, जिसमें बताया गया है कि पांच कॉरपोरेट समूहों का अर्थव्यवस्था के 40 प्रमुख क्षेत्रों पर एकाधिकार है। उन्होंने कहा, ‘आप जो देख रहे हैं, यह वितरण के बजाय संचय है और अर्थव्यवस्था के भीतर ही प्रतिस्पर्द्धा की स्थिति है।’ उनका तर्क है कि इस तरह से अन्य समूह इन क्षेत्रों में निवेश नहीं कर पा रहे हैं।

कांग्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2024-25 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि 6.4 फीसदी रहने की उम्मीद है, लेकिन वृद्धि की यह दर जश्न मनाने के लिए काफी नहीं है, क्योंकि अगर भारत को अपनी युवा आबादी का फायदा उठाना है तो इसके लिए निरंतर 8 फीसदी जीडीपी वृद्धि की दरकार है। इसमें कहा गया है कि सरकार अपने कॉरपोरेट समर्थकों की मंडली को समृद्ध बनाने पर ध्यान दे रही है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘वर्ष 2019 में सरकार ने कंपनियों के लिए बड़े पैमाने पर कर कटौती की घोषणा की, लेकिन इसके बदले निजी क्षेत्र ने निवेश नहीं बढ़ाया। आम लोग और छोटे कारोबार पेट्रोल-डीजल पर दंडात्मक कर और वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के बोझ के तले दबे हैं।’

क्या भारत को मंदी का सामना करना पड़ सकता है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत में भले ही कोई सरकार न हो, फिर भी यहां की अर्थव्यवस्था में मंदी नहीं आएगी। उन्होंने कहा, ‘हम 4-5 फीसदी की वृद्धि करते रहेंगे, क्योंकि किसान, मजदूर और लघु उद्योग अनाज और अन्य सेवाओं के उत्पादन में जुटे हैं। वास्तविक सवाल यह है कि सरकार अर्थव्यवस्था को 4-5 प्रतिशत से कितना बढ़ा सकती है।’

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की नीतियों ने अंतर्निहित वृद्धि दर में 1.5-2 फीसदी की वृद्धि की है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हम वास्तव में दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था हैं लेकिन इस बात को याद रखें कि पिछले साल 2.7 फीसदी की वृद्धि के साथ अमेरिका ने एक वर्ष में अपनी जीडीपी में 787 अरब डॉलर जोड़े। इस बीच चीन ने भी पिछले साल 4.91 फीसदी की वृद्धि की और इसने अपने जीडीपी में 895 अरब डॉलर जोड़े। हम तेज दर से वृद्धि कर रहे हैं लेकिन हमने अपने जीडीपी में केवल 256 अरब डॉलर जोड़े हैं। इसलिए हमें वास्तव में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि को देखने की आवश्यकता है न कि वृद्धि दरों की तुलना करने की जरूरत है।’

कांग्रेस ने कहा कि अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में पहला कदम इस बात को स्वीकारना है कि आखिर क्या चीजें गलत हो रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया, ‘सरकार ने हमेशा से प्रतिकूल डेटा को लगातार नजरअंदाज किया है और यह हमेशा से खारिज करने पर जोर देती रही है। इस रिपोर्ट का मकसद अर्थव्यवस्था के विभिन्न महत्त्वपूर्ण आयामों की स्पष्ट तस्वीर मुहैया कराना है। इस तरह की सकारात्मक आलोचना का मकसद उन तरीकों पर जोर देना है जिससे भारत भविष्य की समृद्धि, अवसर और समावेशी वृद्धि के लिए तैयार हो सके।’

इस रिपोर्ट में भारत की आर्थिक चुनौतियों के विभिन्न आयामों में बेरोजगारी संकट, असमान जीडीपी वृद्धि और स्थिर आमदनी, कम घरेलू खपत और बचत में कमी का जिक्र किया गया है।

First Published : January 30, 2025 | 11:14 PM IST