संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को लोक सभा और राज्य सभा ने देश में संसदीय और विधान सभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले विधेयक पर विचार के लिए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 39 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित कर दी। समिति में लोक सभा के 27 तथा राज्य सभा से 12 सदस्य होंगे। भाजपा के पीपी चौधरी को इसका अध्यक्ष बनाया गया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से समिति में अनुराग ठाकुर, पुरुषोत्तम रुपाला, पीपी चौधरी, बांसुरी स्वराज, संबित पात्रा, अनिल बलूनी, विष्णु दत्त शर्मा, बैजयंत पांडा, सीएम रमेश और संजय जायसवाल का नाम है, जबकि कांग्रेस से मनीष तिवारी, प्रियंका गांधी वाड्रा और सुखदेव भगत सदस्य बनाए गए हैं।
उच्च सदन से इस समिति में भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी, भुनेश्वर कालिता, के लक्ष्मण, कविता पाटीदार, जनता दल (यूनाइटेड) के संजय झा, कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला और मुकुल वासनिक, तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले, द्रविड़ मुनेत्र कषगम के पी विल्सन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, बीजू जनता दल के मानस रंजन मंगराज और वाईएसआर कांग्रेस के वी विजय साई रेड्डी को शामिल किया गया है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार इस बात पर सहमत हुई कि मामला बहुत महत्त्वपूर्ण है और यह हमारे देश की चुनाव प्रक्रिया के सुधार से संबंधित है, इसलिए हम ज्यादातर प्रमुख राजनीतिक दलों को शामिल करने पर सहमत हुए।’ उन्होंने कहा कि संसद की संयुक्त समिति के आकार की कोई सीमा नहीं है और केंद्र-राज्य संबंधों की जांच करने वाली एक संसदीय समिति में 51 सदस्य थे।
कुल 39 सदस्यों वाली समिति में 16 सांसद भाजपा, 5 कांग्रेस, 2-2 सपा, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक से लिए गए हैं। इसके अलावा शिव सेना, तेदेपा, जदयू, रालोद, लोजपा (पासवान), जेएसपी, शिवसेना (उद्धव), राकांपा (शरद), माकपा, आप, बीजद और वाईएसआरसीपी से एक-एक सांसद लिया गया है। समिति में राजग के घटक दलों के 22 और इंडिया गठबंधन के 10 सांसद शामिल किए गए हैं। बीजद और वाईएसआरसीपी ऐसे दल हैं, जो सत्ता पक्ष या विपक्ष किसी भी गठजोड़ का हिस्सा नहीं हैं।
इससे पहले, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने निचले सदन में लोक सभा और विधान सभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ को संसद की संयुक्त समिति के विचार के लिए भेजे जाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। समिति को आगामी बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है।
संसद में अंतिम दिन कोई काम नहीं
भारत की विधायिकाओं के कामकाज का अध्ययन करने वाली संस्था पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार शीतकालीन सत्र के दौरान लोक सभा में 52 प्रतिशत तथा राज्य सभा में 39 प्रतिशत कामकाज हुआ। सत्र के दौरान भारी हंगामा हुआ, क्योंकि कांग्रेस अदाणी समूह के खिलाफ कथित रिश्वत के आरोपों की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग कर रही थी, जबकि भाजपा ने कांग्रेस नेतृत्व पर निवेशक जॉर्ज सोरोस से संबंध रखने के आरोप लगाए। बाद में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बाबासाहेब आंबेडकर पर टिप्पणी को लेकर भी विपक्ष आक्रामक रहा।
सत्र के दौरान प्रमुख कार्यों में संविधान के 75 वर्षों पर चर्चा रही, जिस पर दोनों सदनों में 33 घंटे बहस हुई। पीआरएस के अनुसार लोक सभा में 20 दिनों में से 12 दिन प्रश्न काल 10 मिनट से अधिक नहीं चला। निचले सदन में स्थगन प्रस्ताव के लिए कई नोटिस दिए गए, लेकिन एक को भी स्वीकार नहीं किया गया। सत्र के अंतिम दिन विपक्ष के भारी हंगामे के चलते दोनों सदनों में कोई कामकाज नहीं हुआ।
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी। यह दिशा निर्देश आंबेडकर के कथित अपमान के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से व्यापक विरोध प्रदर्शन किए जाने के बाद आए हैं। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद परिसर में सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच हुई कथित धक्का-मुक्की की घटना का हवाला देते हुए कहा, ‘संसद की मर्यादा और गरिमा सुनिश्चित करना सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। संसद के किसी भी द्वार और परिसर के भीतर धरना-प्रदर्शन नहीं करना है और यदि ऐसा होता है तो उचित कार्रवाई की जाएगी।’