शास्त्रों में कहा गया है कि हर विपत्ति से बचने का उपाय विद्या है। इसलिए शास्त्रों की सलाह को मानते हुए रियल एस्टेट कंपनियों ने भी मंदी से बचने और मुनाफा कमाने के लिए भारी संभावनाओं वाले शैक्षिक क्षेत्र में निवेश करना शुरु कर दिया है।
रियल एस्टेट विश्लेषकों का मानना है कि 11वीं पंचवर्षीय योजना का स्वरुप ज्ञान आधारित योजना का होने के कारण शैक्षिक संस्थानों, स्कूलों, कालेज, विश्वविद्यालयों और तकनीकि संस्थानों का बड़ी संख्या में निर्माण किया जाना है।
सरकार ने शैक्षिक क्षेत्र के लिए केंद्रीय बजट सहायता को भी पिछली पंचवर्षीय योजना के 8 फीसदी से बढ़ाकर चालू पंचवर्षीय योजना में 19 फीसदी कर दिया है। इसलिए ऐसी परियोजनाओं में रियल एस्टेट निवेशक काफी रुचि ले रहें है। अंसल एपीआई के प्रवक्ता कुणाल बैनर्जी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘हम अपनी योजनाओं में शैक्षिक क्षेत्र के लिए भारी निवेश कर रहें है।
भविष्य में हम लखनऊ, आगरा, मेरठ, जयपुर, पानीपत और सोनीपत में विश्वविद्यालयों के निर्माण की योजना बना रहें है। इसके अलावा हम शिक्षा क्षेत्र की कंपनी एडुकॉम्प के साथ मिलकर अपनी योजनाओं में मिलेनियम विद्यालयों की स्थापना भी कर रहें है। हमारा उद्देश्य इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए विदेशी निवेशकों को भी आर्कषित करना है।’ उन्होंने बताया कि एनसीआर में अंसल इंस्टीच्यूट ऑफ इंजीनियरिंग और सुशांत स्कूल ऑफ आर्ट एंड आर्किटेक्चर के नाम से हमारे शैक्षिक संस्थान भी चल रहे हैं। पार्श्वनाथ ने भी कुछ दिनों पहले पंचकुला में नैनो सिटी नाम से योजना की घोषणा की है।
पार्श्वनाथ की प्रवक्ता नीतल नांरग ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि 11 हजार एकड़ में फैली इस योजना में आईटी पार्क, बायोटेक पार्क बनाने में भारी निवेश किया जाएगा। नॉलेज सिटी की तर्ज पर आधारित इस योजना में एक विश्वविद्यालय जिला भी होगा। शैक्षिक क्षेत्र में निवेश के सवाल पर नांरग ने बताया कि आने वाला समय नैनो तकनीक पर आधारित होगा। इसलिए इस योजना में तकनीकि क्षेत्र के लिए भारी निवेश किया जाएगा।
दिल्ली स्थित संस्था टेक्नोपेक के अनुसार देश में निजी शिक्षा का वार्षिक बाजार लगभग 40 अरब डॉलर के करीब है। मांग अधिक होने के कारण कंपनियां अपनी रिहायशी योजनाओं में भी शैक्षिक संस्थानों के निर्माण को ज्यादा से ज्यादा तरजीह दे रही है।