उत्तर प्रदेश में दवा, ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड की मारामारी के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर महामारी के शहरों से निकल कर गांवों में फैलने पर चिंता जताई है। प्रियंका गांधी ने अपने पत्र में लिखा है कि जिस तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं उसके मुकाबले प्रदेश में कोरोना जांच की दर न के बराबर है। बड़ी संख्या ऐसे मामलों की भी है जो रिपोर्ट ही नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने पत्र में कहा है कि ग्रामीण इलाकों में तो जांच तक नहीं हो रही है, शहरी इलाकों के लोगों को जांच कराने में काफी मुश्किलें हैं। कई दिन तक रिपोर्ट नहीं आती। पत्र में कहा गया है कि 23 करोड़ की आबादी वाले राज्य में प्रदेश सरकार के पास केवल 126 परीक्षण केंद्र और 115 निजी जांच केंद्र हैं।
उन्होंने पत्र में कहा है कि दूसरी सबसे बड़ी चिंता अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, दवाईयों की घोर किल्लत और इनकी बड़े पैमाने पर कालाबाजारी को लेकर है। आयुष्मान कार्ड योजना फेल हो चुकी है, उसे कोई अस्पताल नहीं मान रहा। लोगों को ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और अन्य जीवन रक्षक दवाओं के तीन-चार गुनी कीमत चुकाने को मजबूर किया जा रहा है।
प्रियंका गांधी ने पत्र में लिखा है कि प्रदेश सरकार की चिंता श्मशान घाटों पर निर्ममता से हो रही लूट-खसोट और कुल मौतों के आंकड़ों को कम बताने को लेकर है। उन्होंने लिखा है कि हमारी चिंता उत्तर प्रदेश में सुस्त टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर है। टीकाकरण शुरू हुए 5 महीने बीत गए लेकिन प्रदेश के 20 करोड़ लोगों में से 1 करोड़ से भी कम लोगों को ही अब तक टीका लगाया गया है।
कांग्रेस महासचिव ने मांग की है कि सभी स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के कल्याण के लिए एक समर्पित आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाए। सभी बंद किए जा चुके कोविड अस्पतालों और देखभाल केंद्रों को फिर से तुरंत अधिसूचित करें और कोरोना संक्रमण व मौत के आंकड़ों को ढंकने, छुपाने के बजाय श्मशान, कब्रिस्तान और नगरपालिका निकायों से परामर्श कर पारदर्शिता से लोगों को बताया जाए। उन्होंने मांग की है कि आरटी-पीसीआर जांच की संख्या बढ़ाई जाए। महत्त्वपूर्ण जीवन रक्षक दवाइयों के दाम फिक्स किए जाएं। साथ ही ऑक्सीजन के भंडारण की एक नीति तुरंत बनाई जाए ताकि आपात स्थिति के लिए हर जिला मुख्यालय पर ऑक्सीजन का रिजर्व भंडार तैयार हो सके। इस संकट के चलते बंदिशों का दंश झेल रहे सभी गरीबों, श्रमिकों, रेहड़ी पटरी वाले और देश के अन्य राज्यों से अपनी रोजी-रोटी छोड़कर घर लौटने वाले गरीबों को नकद आर्थिक मदद की जाए।
प्रदेश में युद्ध स्तर पर तुरंत टीकाकरण की शुरुआत हो। प्रदेश की 60 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण करने के लिए प्रदेश को कम से कम 10,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, जबकि इसके लिए उसे केवल 40 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं। उन्होंने इसके लिए बुलंदशहर में बने भारत इम्युनोलॉजिकल ऐंड बायोलॉजिकल कॉर्पोरेशन में टीके के निर्माण की संभावना तलाशने को कहा है।