हरियाणा में जमीन की कीमतों में हुई बेशुमार बढ़ोतरी के कारण स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (आईपीपी) का कारोबारी गणित बिगड़ने लगा है।
राज्य में बायोमास आधारित बिजली परियोजनाओं को 2009 के मध्य से चालू किया जाना है लेकिन हालत यह है कि अभी तक परियोजनाओं के लिए उचित कीमत पर जमीन की खोज ही नहीं हो सकी है। राज्य में फरवरी 2007 से लेकर अप्रैल 2008 के दौरान 6 कंपनियों ने हरियाणा अक्षय ऊर्जा विभाग प्राधिकरण के साथ 183 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए सहमति पत्र (एमओयू) पर दस्तखत किए।
राज्य में पहली बार बायोमास (गेहूं और धान की भूसी तथा प्लाईवुड का कचरा) के जरिए बिजली उत्पादन के लिए एमओयू पर दस्तखत किए गए। इसके लिए राज्य में यमुना नगर, करनाल, जींद, सोनीपत, हिसार, भिवानी, महेंद्रगढ़, कुरुक्षेत्र और फतेहबाद का चयन किया गया।
इन परियोजनाओं को एमओयू के 30 माह के भीतर और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट दाखिल होने के 18 महीने के भीतर तैयार हो जाना चाहिए था। ज्यादातर परियोजनाओं को राज्य के विभिन्न विभागों से आवश्यक मंजूरियां मिल चुकी हैं लेकिन अनुमानित लागत पर जमीन नहीं मिलने के कारण इन परियोजनाओं की प्रगति ठप पड़ी है।
सूत्रों के मुताबिक एनसीआर और दक्षिणी हरियाणा में ढांचागत और रियल एस्टेट परियोजनाओं के कारण जमीन की कीमतों में 5 गुना तक वृद्धि हो चुकी है। इस कारण आईपीपी परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं। ज्यादातर मामलों में जमीन खरीदने के लिए अभी मोलतोल की जा रही है।
राज्य की नई पुनर्चक्रवत ऊर्जा उत्पादन नीति के मुताबिक इन परियोजनाओं के लिए पंचायतों की जमीन नहीं दी जा सकती है। प्रत्येक परियोजना के लिए 8 से 10 एकड़ जमीन की जरुरत है।
इन परियोजनाओं के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की उपलब्धता भी जरूरी है ताकि भाप बनाकर टर्बाइन को चलाया जा सके।
इस कारण जमीन के चयन के दौरान पानी की उपलब्धता का भी ध्यान रखा जाता है। राज्य सरकार की नीतियों के मुताबिक आईपीपी आईपीपी राज्य ग्रिड को बिजली 4.16 रुपये प्रति यूनिट की दर से बेचेगी। हालांकि राज्य का नियामक प्राधिकरण हर साल इस दर की समीक्षा करेगा।
राज्य में 1,000 रुपये से 3,000 प्रति टन की दर से बायोमास मौजूद है। समय पर परियोजना पूरी नहीं कर पाने वाले कंपनियों की सुरक्षा राशि को जब्त कर लिया जाएगा। यह राशि प्रति मेगावाट 2 लाख रुपये है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में दिल्ली, हरियाणा और चेन्नई की कंपनियां 7.5 मेगावाट से लेकर 12 मेगावाट तक की परियोजनाएं स्थापित कर रही हैं।