फसल कैसी भी हो, खेती कर दरिया में डाल

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 10:03 PM IST

बंपर फसल, मांग में कमी और भंडारण सुविधा के अभाव में उत्तर प्रदेश के आलू उत्पादक खुदकशी को मजबूर हो रहे हैं।


आलू किसानों को राहत देने की सरकारी कोशिश दमतोड़ चुकी है। राज्य सरकार के आलू खरीद केंद्रों पर सन्नाटा पसरा है और किसान अपनी उपज थोक बाजार में औने पौने दामों पर बेंचने को मजबूर हैं। कल राज्य के इटावा जिले में आलू किसान मनोज राजपूत की खुदकशी ने सरकार के किसानों को उपज का सही दाम दिलाने की घोषणा पर पानी फेर दिया है।


इटावा जिले के इकदिल थाना क्षेत्र के मनोज ने 55 बीघा जमीन पर 3.5 लाख रुपए कर्ज लेकर आलू बोया था और वह बाजार में इसकी सही कीमत न मिल पाने से परेशान था। आलू की बंपर फसल के बाद किसान राज्य भर में भंडारण की समस्या से रोज दो चार हो रहे हैं और कोल्ड स्टोरों पर जगह नही है के बोर्ड उनका स्वागत कर रहे हैं। इटावा जिले के इसी इकदिल थाना क्षेत्र में कुछ दिन पहले कोल्ड स्टोर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया था।


किसान कोल्ड स्टोर में अपना आलू रखने की मांग कर रहे थे। हालांकि इटावा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामपाल आलू की कीमत न मिलने से खुदकशी को नकार रहे हैं पर स्थानीय लोगों का कहना है कि मनोज ने साहुकारो से कर्ज लेकर आलू बोया था और अब उस पर पैसा वापस करने का दबाव था। रामपाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि खुदकशी के पीछे घरेलू परेशानियां हो सकती हैं अकेले आलू को इसके लिए दोषी नही ठहराया जा सकता है।


इटावा में जहां आलू किसान की खुदकशी की खबर है वहीं एटा जिले के सोरों कस्बे में बीते दो दिन से किसान थोक मंडी में आलू की नीलामी कर रहे हैं।  उत्तर प्रदेश का आलू बेल्ट कहे जाने वाले जिलों फर्रुखाबाद, अलीगढ़, एटा, फिरोजाबाद, इटावा में आलू की कीमत थोक मंडी में 2 रुपये प्रति किलो से ज्यादा नही मिल पा रही है।


आलू किसानों की बदहाली को देखते हुए राज्य सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत एक लाख टन आलू खरीदने के लिए उद्यान विभाग, यूपी एग्रो सहित कई सरकारी एजेसिंयों को खरीद केंद्र खोलने का आदेश दिया था। 


अप्रैल 15 से 30 मई तक की जोने वाली इस खरीद में अब तक राज्य सरकार की एजेंसियों को कोई खास सफलता नही मिली है। लखनऊ सहित राज्य के दो दर्जन जगहों पर खोले गए अधिकांश केंद्रों पर अभी खाता खुलना बाकी है। सरकार के निर्धारित दाम 2.50 रुपए किलो के दाम पर आलू न बेच किसान बिचौलियों को अपना माल 1.50 से 2 रुपए प्ति किलो की दर पर बेंचने को मजबूर हैं।


राज्य सरकार ने किसानों का आलू 2.50 रुपए प्ति किलो के दाम पर खरीदने का फैसला तो किया पर साथ में इसकी ग्रेडिंग की शर्त भी लगा दी जिसके चलते किसान इसे घाटे का सौदा मान रहे हैं। किसानों का कहना है कि ग्रेडिंग के बाद बचे हुए छोटे साइज के आलू का कोई खरीददार मिलना मुश्किल है जिसके चलते वे सरकारी खरीद से दूर हैं।


अब किसे कोसें, आलू को या सरकार को?
उत्तर प्रदेश में इस साल आलू की बंपर फसल हुई है।
राज्य सरकार ने 2.50 रुपये प्रति किलो की दर से आलू खरीदने का फैसला किया है।
ग्रेडिंग की शर्त के कारण सरकारी एजेंसियों को आलू करने में कोई खास सफलता नहीं मिली है।
किसान बिचौलियों को डेढ से 2 रुपये प्रति किलो की दर से आलू बेचने को मजबूर हैं।
आलू के हाथों धोखा खाने के बाद किसानों से खुदकशी करनी शुरू कर दी है। इसके साथ ही किसानों को सही दाम दिलाने की सरकार की घोषणा पर पानी फिर गया है।

First Published : May 8, 2008 | 10:10 PM IST