जम्मू कश्मीर की बहुप्रतीक्षित जोजिला परियोजना जल्द ही हकीकत में तब्दील हो सकती है। केंद्र सरकार सुरंग बनाने का काम मेघा इंजीनियरिंग ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) देने को है, जिसने इस काम के लिए 4,509.50 करोड़ रुपये की सबसे कम बोली लगाई है।
सरकारी निकाय राष्ट्रीय राजमार्ग एवं औद्योगिक विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) को पहाड़ी राज्य में बुनियादी ढांचा विकास की इस परियोजना का काम सौंपा गया है, जिसने शुक्रवार को बोली खोली और मेघा इंजीनियरिंग इस परियोजना के लिए सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में सामने आई।
जोजिला परियोजना का निर्माण दो खंडोंं में होगा, जिसकी कुल लंबाई 33 किलोमीटर है। पहले खंड में 18.5 किलोमीटर लंबी और दूसरे खंड में 14.15 किलोमीटर लंबी सुरंग पर काम होगा।
30 जुलाई को 3 कंपनियों ने एनएचआईडीसीएल को बोली पेश की थी और वित्तीय बोली 21 अगस्त को खोली गई।
लद्दाख में श्रीनगर से लेह तक की सड़क पूरे साल तक वाहन चलने योग्य नहीं होती है। श्रीनगर लद्दाख हाइवे 6 महीने तक पूरी तरह बंद रहता है, खासकर जाड़े के समय में। यहां तक कि उन स्थितियों में सेना के वाहनों की भी आवाजाही नहीं हो पाती है। इन परिस्थितियोंं को देखते हुए करगिल होकर सोनमर्ग से लेह और लद्दाख तक सुरंग वाली सड़क बनाने का प्रस्ताव किया गया।
इस साल फरवरी में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि लेह और श्रीनगर के बीच सभी मौसम के लिए प्रस्तावित जोजिला सुरंग की डिजाइन में कुछ बदलाव किया जा सकता है, जिससे लागत कम किया जा सके क्योंकि सरकार पहले अनुमानित 6,800 करोड़ रुपये में यह काम पूरा करना चाहती है। पाकिस्तान व चीन से निकटता को देखते हुए रणनीतिक महत्त्व की इस परियोजना की अवधारणा सबसे पहले 2013 में आई थी।
इसका मकसद लेह से श्रीनगर के बीच हर मौसम में संपर्क वाली सड़क का निर्माण था, अन्यथा यह इलाका बर्फबारी की वजह से 6 महीने तक अलग रहता है। जोजिला को पहली बार 2013 में कैबिनेट की मंजूरी मिली थी। उसके बाद इसके लिए लिए 5 बार बोली आमंत्रित की गई। एक बार कोई कंपनी बोली लगाने सामने नहीं आई, जबकि अन्य मौकोंं पर परियोजना के लिए सिर्फ एक कंपनी ने बोली लगाई।
पिछली बार इसके लिए मई 2017 में बोली लगाई गई थी
और इसमें एलऐंडटी, आईएलऐंडएफएस, जेपी इन्फ्राटेक और रिलायंस इन्फ्रा ने हिस्सा लिया था। जून 2017 में यह ठेका आईएलऐंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन को दिया गया, जिसने 4,899 करोड़ रुपये लागत से 7 साल में सुरंग बनाने के लिए बोली
लगाई थी।
जनवरी 2018 में आईएलऐंडएफएस को परियोजना पर काम करने के लिए एनएचआईडीसीएल से स्वीकार्यता पत्र (एलओए( मिला था। मार्च 2019 में आईएलऐंडएफएस के दिवालिया होने के बाद परियोजना रद्द कर दी गई।