मुंबई में उत्तर भारतीयों के खिलाफ प्रदर्शन और असम में हुए बम धमाकों की गूंज कानपुर के व्यापार जगत में भी सुनाई दे रही है।
कानपुर के व्यापारियों का अनुमान है कि इन वजहों से रोजाना 50 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। सामान्य परिस्थिति में कानपुर से लगभग 100 करोड़ रुपये का कारोबार दूसरे राज्यों में होता है।
उत्तर प्रदेश मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (यूपीएमटीए) के अध्यक्ष श्याम मनोहर गुप्ता ने बताया, ‘महाराष्ट्र और असम में उत्तर भारतीयों के साथ मारपीट और हत्या की घटनाओं को देखते हुए ट्रक ड्राइवरों और हेल्परों में दहशत है। इस वजह से माल ढुलाई का काम बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘पहले कानपुर मुंबई रूट पर कम से कम 900 ट्रक की आवाजाही होती थी और लगभग 1 लाख टन कच्चा माल लाया ले जाया जाता था। लेकिन उत्तर भारतीयों के साथ हाल के बर्ताव की वजह से इस पर बुरा प्रभाव पड़ा है। अब तो माल की ढुलाई आधे से भी कम हो गई है। लगभग 4400 ट्रक माल नहीं होने की वजह से खाली पड़े हुए हैं।’
इस वजह से शहर का परिवहन व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पूरे उत्तर प्रदेश में ट्रकों की सबसे ज्यादा संख्या कानपुर में ही है। यहां परिवहन व्यापार से जुड़े ट्रकों की संख्या करीब 22000 है। व्यापारियों को यह लग रहा था कि दिवाली के बाद स्थितियां सामान्य हो जाएगी, लेकिन बिहार, असम और महाराष्ट्र में हो रहे लगातार विरोध प्रदर्शन की वजह से हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है।
स्थिति इतनी भयावह है कि विरोध प्रदर्शन की वजह से बिहार और असम में 800 वाहन फंसे हुए हैं और इस पर 40 करोड़ रुपये का माल लदा हुआ है। रसायन और चमड़ा व्यापारी प्रेम मनोहर गुप्ता ने कहा, ‘बिहार के लोगों के पलायन की वजह से माल ढुलाई करने और उसे उतारने के लिए मजदूरों की कमी हो गई है। व्यापारी टेलीफोन से बातचीत के जरिये ही थोड़ा बहुत व्यापार कर रहे हैं।’
कानपुर से मुख्य तौर पर चमड़ा उत्पाद, खाद्यान्न, दाल, मशीन आदि का व्यापार दूसरे राज्यों के साथ होता है। जबकि रसायन, रेडीमेड कपड़े आदि दूसरे राज्यों से कानपुर मंगाए जाते हैं।
सुप्रीम प्लास्टिक लिमिटेड के राजेंद्र पांडेय का कहना है, ‘परिवहन में बाधा की वजह से कच्चे माल की आपूर्ति में लगभग 30 फीसदी तक की गिरावट आई है।’ कानपुर में असम से रोजाना 80 टन चाय मंगाई जाती है।
चाय के थोक विक्रेता दिनेश अग्रवाल कहते हैं, ‘पिछले सप्ताह से असम से चाय की आने वाली खेप काफी कम हो गई है।’ असम से 30 लाख रुपये से अधिक की लकड़ी भी रोजाना मंगाई जाती है, जो बम धमाके की घटना के बाद से काफी कम हो गई है।