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उप्र: औद्योगिक कॉरिडोर की पहल

Last Updated- December 08, 2022 | 5:01 AM IST

उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वी कॉरिडोर (ईसी) के अलावा अन्य औद्योगिक कॉरिडोर के विकास की संभावना तलाशने का भी फैसला किया है।


पूर्वी कॉरिडोर का विकास डेडिकेटेड फ्राइट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (डीएफसीसीआई) द्वारा किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास आयुक्त (आईडीसी) वी के शर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘औद्योगिक कॉरिडोर के  सही दिशा में विकास के लिए डीएफसीसीआई द्वारा सुझाए गए सुझावों पर हम लोग विचार करेंगे।’

डीएफसीसीआई ने पूर्वी और पश्चिमी कॉरिडोर के विकास के लिए करीब 37,000 करोड़ रुपये का लागत प्रस्तावित किया है। कंपनी इसकी फंडिंग जापान और विश्व बैंक से करेगी।

लखनऊ में हाल ही में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान डीएफसीसीआई के प्रबंध निदेशक वी के कौल ने आर्थिक विकास में तेजी लाने और निजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार को पूर्वी कॉरिडोर के साथ अन्य औद्योगिक कॉरिडोर के विकास संभावनाओं को तलाशने का सुझाव दिया है।

लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन (एलएमए) के वार्षिक सम्मेलन 2008 को संबोधित करते हुए कौल ने कहा, ‘नैनो परियोजना का गुजरात जाने के पीछे एकमात्र कारण जमीन की उपलब्धता ही नहीं है बल्कि प्रस्तावित पश्चिमी कॉरिडोर भी है जोकि आने वाले समय में टाटा को निर्यात में मदद पहुंचाएगी।’

उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वी कॉरिडोर को फीड करने और दो लॉजिस्टिक केंद्रों के विकास करने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फिलहाल दो स्थानों का चुनाव भी किया है।

यह उम्मीद जताई जा रही है कि सूबे में कॉरिडोर के विकास पर करीब 15,000 करोड़ रुपये निवेश किए जाएंगे। कौल ने बताया, ‘कॉरिडोर का काम इसी साल से शुरू कर दिया जाएगा।’

First Published - November 24, 2008 | 9:21 PM IST

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