किराया नहीं बढ़ा तो गाड़ी नहीं चल पाएगी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 4:04 AM IST

मायावती सरकार के तेल और गैस के दाम घटाने के फैसले का दूरगामी असर राज्य की खस्ताहाल रोडवेज पर सबसे ज्यादा पड़ने की संभावना है।


किराये को बढ़ाने का राज्य सड़क परिवहन निगम का प्रस्ताव ठुकराने के सरकार के फैसले के बाद निगम पर करीब 120 करोड़ रुपए सालाना का बोझ पड़ेगा। साथ ही रसोई गैस पर वैट खत्म करने व पेट्रोल और डीजल पर कर घटाने से भी राज्य सरकार के खजाने पर 2500 करोड़ रुपये सालाना का बोझ पड़ेगा।

तेल के दाम घटाने के साथ ही मायावती ने यह साफ कर दिया है कि इससे प्रदेश सरकार के विकास के कामों पर असर पड़ेगा और कुछ योजनायें बंद की जा सकती हैं। मायावती ने स्पष्ट किया है कि केंद् सरकार की तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के फैसले का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा।

गौरतलब है कि तेल की कीमतें बढ़ने के साथ ही परिवहन निगम ने राज्य सरकार को किराया बढ़ाने का प्रस्तावव भेजा था। जिसे अब तक मंजूर नही किया गया है। निगम ने पहले सरकार को 8 पैसा प्रति किलोमीटर किराया बढ़ाने का प्रस्तावव भेजा था जिस पर आपत्ति होने पर इसे घटाकर 6 पैसा प्रति किलोमीटर कर दिया गया था। लेकिन कल मायावती सरकार ने तेल पर करों की दर मे कटौती ककरने के साथ ही यह साफ कर दिया है कि रोडवेज की बसों का किराया नही बढ़ाया जाएगा।

सरकार ने रसोई गैस पर लगने वाले 4 फीसदी के वैट को पूरी तरह से खत्म कर देने का भी फैसला कल ही ले लिया है। अब पेट्रोल पंप मालिक सरकारी अधिसूचना का इंतजार कर रहे हैं जिसके बाद प्रदेश में नयी दरों पर तेल बिकेगा।

गौरतलब है कि कल मायावती सरकार ने करों की दर में कमी कर पेट्रोल 1 रुपए, डीजल 1.50 रुपये और रसोई गैस के दामों में 11.35 रुपये की जनता को राहत दी थी। इससे पहले एक जनवरी 2008 को वैट लागू होने के बाद प्रदेश में डीजल 23 पैसे और मिट्टी का तेल करीब 40 पैसे सस्ता हो गया था। अगर गैस एजेंसियों की मानें तो अभी रसोई गैस के दाम प्रदेश मे 2 रुपए और गिर सकते हैं क्योंकि सरकार ने करों की गणना सही नही की है।

First Published : June 8, 2008 | 9:41 PM IST