उत्तराखंड सरकार इस बात पर सहमत हो गई कि टाटा मोटर्स को हाउसिंग के लिए दी जाने वाली 55 एकड़ जमीन की बकाया राशि पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय को जल्द ही दी जाएगी।
बैठक में टाटा मोटर्स को दी गई इस जमीन से जुड़े विवाद को हल करने की पूरी कोशिश की गई। उत्तराखंड की राज्य औद्योगिक विकास कॉरपोरेशन लिमिटेड (सिडकुल) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि औद्योगिक एस्टेट विकसित करने के लिए ली गई जमीन के बदले विश्वविद्यालय को एक बड़ी राशि की पेशकश की जा रही है और बकाया राशि तुरंत भुगतान की जाएगी।
कृषि सचिव ओम प्रकाश ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस संबंध में सिडकुल विश्वविद्यालय को बकाया 25 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। पहली किश्त में सिडकुल ने 55 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। यह जमीन सरकार टाटा को हाउसिंग परियोजना शुरु करने के लिए मुहैया कराएगी।
सरकार का यह निर्णय तब विवादों में आ गया जब स्वयं कृषि मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसका विरोध किया और कहा कि कृषि योग्य भूमि का औद्योगिक उद्देश्यों से इस्तेमाल करना उचित नहीं है। प्रकाश के अलावा मुख्य सचिव आई के पांडे, पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति बी एस बिष्ट और सिडकुल के अधिकारियों ने भी शिरकत की।
अधिकारियों ने कहा कि हाल में हुई हर बैठक में राज्य सरकार टाटा को यह जमीन देने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन कंपनी को माहौल ठीक-ठाक होने तक थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है। विष्ट ने कहा कि टाटा को दी जाने वाली जमीन पर उन्हें कोई एतराज नहीं है, क्योंकि विश्वविद्यालय की सारी जमीन राज्य सरकार के जिम्मे है और 99 साल के ठेके पर है।
दूसरी तरफ सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि टाटा ने पंतनगर के पास 1000 प्लॉट, जहां नैनो की पहली खेप बनने वाली है, की लीज रेंट को 5 रुपये प्रति वर्ग मीटर से कम कर 1 रुपये प्रति वर्ग मीटर करने की बात पर सरकार ने अभी निर्णय नहीं लिया है।
बैठक में यह भी महसूस किया गया कि जमीन आवंटन के ऐसे मुद्दे जिस पर पिछली सरकार ने कैबिनेट का मत हासिल कर लिया था, उस पर फिर से कैबिनेट की मंजूरी लेने की कोई जरूरत नहीं है।