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एयर इंडिया-विस्तारा का विलय…ब्रांडों की दास्तान

करीब 30 वर्ष और कई सुधारों के बाद विस्तारा के जाने का असर उन यात्रियों द्वारा महसूस किया जा रहा है जिन्हें उड़ान के एक विशेष अनुभव की आदत हो गई थी।

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निवेदिता मुखर्जी   
Last Updated- September 10, 2024 | 9:45 PM IST

भारत में पांच साल के भीतर विमान क्षेत्र से ओझल हो जाने वाला दूसरा प्रमुख विमानन ब्रांड विस्तारा (Vistara) होगा जिसका विलय इस साल नवंबर में पूरा होगा। इससे पहले जेट एयरवेज का विमान परिचालन अप्रैल 2019 में बंद हो गया था जबकि इससे करीब साढ़े छह साल पहले ही किंगफिशर ने अक्टूबर 2012 में अपनी उड़ान सेवाएं बंद कर दी थीं।

इससे पहले, सहारा ब्रांड ने 2007 में जेट के साथ एक करार कर अपनी सेवाएं देनी बंद कर दी। इसके अलावा कई छोटी विमानन कंपनियों ने भी अपना परिचालन बंद किया जिनमें एयर एशिया इंडिया भी शामिल था जिसने अक्टूबर 2023 में विमान क्षेत्र को अलविदा करते हुए एयर इंडिया (Air India) के एआईएक्स कनेक्ट और गोएयर के लिए राह बना दी जिसने मई 2023 में अपना परिचालन बंद कर दिया।

इसके अलावा, स्पाइसजेट (SpiceJet) जैसी विमानन कंपनियां भी हैं जो वित्तीय और कानूनी मसले में उलझी हुई हैं क्योंकि हवाईअड्डा परिचालक डीआईएएल अब कंपनी को बकाया राशि का भुगतान करने के लिए कह रहा है, वहीं दूसरी ओर विमानन क्षेत्र की नियामक, डीजीसीए ने इस पर निगरानी और बढ़ा दी है। इससे पहले 1990 के दशक में दमानिया एयरवेज और मोदीलुफ्त जैसे बड़े एयरलाइन ब्रांड थे जिन्हें अपना कारोबार समेटना पड़ा।

भारतीय विमानन क्षेत्र को निजी विमानन कंपनियों के लिए खोल दिए जाने के तुरंत बाद ही आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 1994 से करीब 30 सूचीबद्ध विमानन कंपनियों ने अपना कारोबार बंद कर दिया या फिर दूसरी विमानन कंपनियों ने उनके कारोबार का अधिग्रहण या विलय कर लिया।

वर्ष 1990-91 में भारतीय नागरिक विमानन क्षेत्र के विनियमन में ढील दिए जाने से कुछ बदलाव देखे गए जब निजी विमानन कंपनियों को ‘एयर टैक्सी’ योजना के तहत चार्टर और गैर-सूचीबद्ध सेवाएं देने की अनुमति दी गई। तिरुवनंतपुरम की ईस्ट-वेस्ट कंपनी, सरकार की इस नीति के तहत लाभ पाने वाली पहली कुछ कंपनियों में शामिल थी जिन्हें 1994 में घरेलू विमानन कंपनी का दर्जा मिला।

करीब 30 वर्ष और कई सुधारों के बाद विस्तारा के जाने का असर उन यात्रियों द्वारा महसूस किया जा रहा है जिन्हें उड़ान के एक विशेष अनुभव की आदत हो गई थी। इस अनुभव में टाटा संस और सिंगापुर के 51-49 प्रतिशत वाले संयुक्त उपक्रम, विस्तारा द्वारा उड़ान के दौरान परोसे गए भोजन की केवल विविधता ही नहीं शामिल है बल्कि इसमें यह बात भी जुड़ी हुई है कि ब्रांड के प्रति वफादार लोग कैसे इस ब्रांड की चर्चा लिविंग रूम के साथ-साथ बोर्डरूम में भी करना पसंद करते हैं।

इसके विमान में इस्तेमाल किए जाने वाला एंटरटेनमेंट यूनिट और घरेलू यात्रा के दौरान भी प्रीमियम इकॉनमी सीट देने की सुविधा ने ब्रांड विस्तारा को आकर्षक बनाया और यह तुलनात्मक रूप से अन्य विमानन कंपनियों की तुलना में खुद को अलग साबित करने में सफल रही और इसने दूसरी किफायती विमानन कंपनियों को भी इस तरह की सेवाएं देने के लिए प्रेरित किया।

विस्तारा के प्रशंसक यह सामान्य सवाल पूछ रहे हैंः नवंबर 2022 में घोषित एक सौदे के मुताबिक जब इस ब्रांड का विलय एयर इंडिया में हो जाएगा तब क्या विस्तारा में उड़ान भरने का विशेष अनुभव भी खत्म हो जाएगा? इसका जवाब इस बात पर निर्भर करेगा कि विस्तारा और एयर इंडिया का विलय कैसे किया जाता है और क्या एयर इंडिया खुद में बड़ा बदलाव लाने के लिए तैयार है।

विलय की घोषणा के बाद से ही यह स्पष्ट नहीं है कि विलय के बाद विस्तारा ब्रांड की स्थिति क्या होगी। इसके अलावा इस बात को लेकर भी स्पष्टता नहीं है कि विलय के बाद विमानन कंपनी का नाम क्या होगा।

लेकिन निश्चित रूप से यह नाम एयर इंडिया ही होगा। इसका अर्थ यह है कि जिन विमानों का परिचालन विस्तारा करता है उसके पूरे दस्ते की दोबारा ब्रांडिंग होगी, विमान के चालक दल के पोशाक में बदलाव करने के साथ ही खाने-पीने के मेन्यू में बदलाव के साथ ही रोस्टर पर भी दोबारा काम करना होगा।

इसके साथ ही एयरपोर्ट के डेस्क और कर्मचारियों के आवंटन में फेरबदल से लेकर वेतन से जुड़े बदलाव भी इसमें शामिल होंगे। इसके अलावा कई तरह की समीक्षा की जाएगी जिसके चलते कई महीने तक कई तरह की बाधाएं और मशक्कत झेलनी पड़ सकती है। निश्चित रूप से इसका पूरा असर ब्रांड विस्तारा की जगह विलय वाले ब्रांड एयर इंडिया की सेवाएं लेने वाले ग्राहकों की पूरी उड़ान पर पड़ेगा।

टाटा समूह ने 18,000 करोड़ रुपये के करार के साथ अक्टूबर 2021 में सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया का अधिग्रहण तब किया, जब सरकार 2018 में इस विमानन कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी बेचने में विफल रही थी। अब टाटा समूह के भीतर यह उम्मीद है कि ब्रांड नाम खत्म होने के बावजूद विस्तारा का अनुभव खत्म नहीं होगा।

यह भरोसा इस वजह से है कि विलय वाली कंपनी में सिंगापुर एयरलाइंस (एसआईए) के पास 25.1 फीसदी की हिस्सेदारी रहेगी। हाल ही में सरकार ने विलय के आखिरी चरण की प्रक्रिया पूरी करते हुए, विलय वाली इकाई एयर इंडिया में एसआईए के 2,058 करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी दी। टाटा समूह की मूल कंपनी टाटा संस के निदेशक मंडल की इस हफ्ते की बैठक में संभवतः एयर इंडिया के कारोबार और परिचालन की समीक्षा की गई।

कंपनी के निदेशक मंडल में इस बात पर भी चर्चा की गई कि विस्तारा का अनुभव ग्राहकों को कैसे मिलता रहेगा क्योंकि एसआईए की विलय वाली इकाई में अच्छी-खासी हिस्सेदारी है। इसका अर्थ यह भी है कि एयर इंडिया में चाहे सेवाएं या प्रशिक्षण की बात हो, उसमें एसआईए की अहम भूमिका होगी।

भारत में विमानन ब्रांड के बंद होने के अधिकांश पिछले उदाहरणों के विपरीत विस्तारा का मामला इसके प्रदर्शन से जुड़ा नहीं है। हालांकि एक दशक पहले अपनी शुरुआत के वक्त से ही यह विमानन कंपनी घाटे में चल रही थी। घरेलू विमान यात्रियों के बाजार में इंडिगो के बाद यह दूसरे पायदान पर रही है और विस्तारा अपने ग्राहकों को बेहतर अनुभव देने के लिहाज से अलहदा कंपनी साबित हुई।

हाल के महीने में विस्तारा के चालक दल के बीच कुछ अशांति, कई वजहों से विमान यात्रियों को उड़ान में हुई देरी की असुविधा के बावजूद यह ब्रांड गुणवत्ता के मोर्चे पर अव्वल रहा। उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण बात कही। हालांकि यह बात अलग संदर्भ में कही गई थी। उन्होंने कहा कि कहानियां ब्रांड बनाती हैं और ब्रांड कई कहानियों का एक समूह मात्र है। सवाल यह है कि क्या विस्तारा की कहानी एयर इंडिया के साथ जारी रहेगी?

First Published : September 10, 2024 | 9:37 PM IST