संपादकीय

Editorial: डॉट कॉम बुलबुले के सबक

2025 में सबसे उम्दा प्रदर्शन करने वाले तकनीकी शेयरों में केवल दो ऐसे हैं, जो 2000 में सूचीबद्ध हुए थे - ऐपल और माइक्रोसॉफ्ट।

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- March 12, 2025 | 10:14 PM IST

ठीक 25 साल पहले मार्च 2000 में दुनिया भर के शेयर बाजार नई बुलंदी पर पहुंच गए और उसके बाद तेज गिरावट का सिलसिला शुरू हुआ, जो तीन साल तक चलता रहा। बाजार के दौड़ने की वजह इंटरनेट अर्थव्यवस्था से ऊंची उम्मीदें थीं, जिन्हें डॉटकॉम बूम कहा जा रहा था। मगर निवेशकों को जल्द ही महसूस हो गया कि डॉटकॉम शेयर जरूरत से ज्यादा महंगे हो गए हैं। इसी के बाद यह बुलबुला फूटने लगा और शेयर ढहने लगे। इसी बीच 11 सितंबर 2001 को मैनहटन के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमले ने दुनिया हिला दी और बाजार गिरता रहा। बाद में अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले से निवेशक और भी सहम गए तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था का संभलना दूभर हो गया।

उफान और गिरावट के सिलसिले के बीच भारत में तकनीकी अर्थव्यवस्था मजबूत होती गई और निवेशकों को पता चल गया कि भारत दुनिया भर को सूचना-प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवाएं देने में कितना सक्षम है। एक वजह उस समय चर्चित ‘Y2K (वाई2के)’ संकट था। पुराने कंप्यूटर सिस्टम में केवल 2 अंक लिखकत साल बताया जाता था, इसलिए वे 1 जनवरी 2000 जैसी तारीखों को नहीं समझते थे और वापस 1 जनवरी 1900 दर्शाने लगते। इसे ठीक करने के लिए कोड की अरबों पंक्तियां लिखनी पड़ीं। इस समस्या से निपटने के लिए भारतीय आईटी सेवा प्रदाताओं ने इंजीनियरों और कोडरों की पूरी फौज लगा दी। उसके बाद भी विकसित देशों की सेवा प्रदाता कंपनियों के मुकाबले उन्हें बहुत कम खर्च करना पड़ा। ये भारतीय कोडर बेहद बारीक और तकनीकी काम में भी माहिर थे।

‘Y2K’ से छुटकारा दिलाते ही भारतीय आईटी कंपनियां वैश्विक बाजार में छा गईं और बेंगलूरु दुनिया के मानचित्र पर आईटी सेवाओं का नया चमकता सितारा बन गया। इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल जैसी भारतीय आईटी कंपनियों का कारोबार बेहद तेज रफ्तार से बढ़ा और उनके मूल्यांकन भी नई ऊंचाई छूने लगे। कई भारतीय कंपनियां अमेरिकी डिपॉजिटरी रिसीट जारी करने लगीं और पहली बार कई भारतीय कंपनियां विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध हो गईं। मगर भारत का आईटी क्षेत्र धांधली और फर्जीवाड़े का शिकार भी होने लगा, जहां शेयरों को खूब ऊपर चढ़ाकर बेच दिया जाता था।

केतन पारेख की अगुआई में ट्रेडरों के एक गिरोह ने आईटी शेयरों के भाव इतने चढ़ा दिए, जितने हो ही नहीं सकते थे। मौके का फायदा उठाने पहुंचे प्रवर्तकों को भी लगा कि जिस कंपनी के नाम के साथ ‘डिजिटल’ या ‘इन्फोसिस्टम्स’ या ‘टेक’ लगा होगा उसका मूल्यांकन आसमान छू लेगा। मगर 2000 के मार्च-अप्रैल आते-आते हालात बदलने लगे।

जब वित्तीय बुलबुला फूलता है तो कंपनियों के मूल्यांकन बेवजह चढ़ते जाते हैं और जब फूटता है तो उसी तेजी से गिरते जाते हैं। दुनिया भर की तकनीकी कंपनियों के साथ ऐसा होता है। ध्यान रहे कि नई इंटरनेट अर्थव्यवस्था के ठोस फायदे मिलने से बहुत पहले ही डॉटकॉम बुलबुला फूल और फूट गया था। यह भी ध्यान रहे कि 2025 में सबसे उम्दा प्रदर्शन करने वाले तकनीकी शेयरों में केवल दो ऐसे हैं, जो 2000 में सूचीबद्ध हुए थे – ऐपल और माइक्रोसॉफ्ट। एमेजॉन, अल्फाबेट, फेसबुक, नेटफ्लिक्स और एनविडिया बुलबुला फूटने के बाद आए। निवेशकों ने सही सोचा था कि इंटरनेट जैसी नई तकनीक अर्थव्यवस्था में क्रांति ला देगी। मगर कब लाएगी, इसका सही अंदाजा नहीं होने के कारण ज्यादातर निवेशकों ने नुकसान उठाया। आपको याहू और नेटस्केप या पेंटाफोर तो याद ही होगा? ये सभी कंपनियां निवेशकों की चहेती थीं मगर अर्श से फर्श पर आ गईं।

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) आने के बाद 2024 में ऐसा जोश दिखा कि लगा इससे जुड़ी हर कंपनी का मूल्यांकन छप्पर फाड़कर निकल जाएगा। इसके बाद डीपसीक आई और लगने लगा कि कारगर एआई एजेंट तैयार करने के लिए भारी निवेश शायद नहीं करना पड़ेगा। कई टीकाकारों ने एआई के प्रति इस जोश और उसमें भारी निवेश की बड़ी कंपनियों की घोषणा को डॉटकॉम बुलबुले की तरह बताया है। देखने वाली बात यह होगी कि निवेशक डॉट कॉम बुलबुले के 25 साल बाद भी बाजार में मिले सबक याद रख पाते हैं या नहीं।

First Published : March 12, 2025 | 10:14 PM IST