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सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी की शुरुआत को लेकर जारी चर्चा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 1:51 AM IST

डिजिटल मुद्रा लाने की योजना पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर के वक्तव्य के बाद चर्चा जोर-शोर से शुरू हो गई है। शंकर ने कहा था कि केंद्रीय बैंक चरणबद्ध तरीके से सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) लाने की दिशा में काम कर रहा है। कई लोग सीबीडीसी को आभासी मुद्राओं (क्रिप्टोकरेंसी) के विकल्प के रूप में देख रहे हैं। वैसे आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बहुत उत्साहित नहीं रहा है। सीबीडीसी क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता कम करने का साधन नहीं बल्कि  महज एक वॉलेट या इलेक्ट्रॉनिक बटुआ होगी। 
दुनिया के कम से कम 60 केंद्रीय बैंक सीबीडीसी उतारने की तैयारी के विभिन्न चरणों में हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व, बैंक ऑफ इंगलैंड (बीओई) और यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) सहित विकसित देशों के ज्यादातर केंद्रीय बैंक सीबीडीसी की तरफ सुस्त चाल से कदम बढ़ा रहे हैं लेकिन चीन डिजिटल युआन मुद्रा का सफलतापूर्वक परीक्षण करने का दावा कर चुका है। मई में करीब 1,81,000 ग्राहकों को शांघाई के निकट सुझोऊ सिटी में ‘डबल फाइव शॉपिंग फेस्टिवल’ में खर्च करने के लिए 55 युआन डिजिटल वॉलेट में मुफ्त दिए गए थे। हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार जून तक डिजिटल युआन से 34.5 अरब युआन (5 अरब डॉलर) मूल्य के 7.075 करोड़ लेनदेन हुए थे। क्रेडिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग और वॉलेट की तरह सीबीडीसी भी भुगतान प्रणाली का हिस्सा होगी और नकदी रखने की जरूरत कम करेगी लेकिन यह नकदी का विकल्प नहीं होगी। यह वॉलेट के जरिये वस्तु एवं सेवा के लिए भुगतान करने का मात्र एक जरिया होगी। भारतीय वित्तीय प्रणाली में कई ऐसे वॉलेट परिचालन में हैं। सीबीडीसी इनमें एक है, बस एक अंतर यह है कि इसे देश का केंद्रीय बैंक जारी करेगा।

अगर डिजिटल मुद्रा की इतनी ही उपयोगिता है तो केंद्रीय बैंक इसे क्यों जारी करना चाहता है? आरबीआई की दो आंतरिक समितियों ने सीबीडीसी पर काम किया है और एक प्रायोगिक परियोजना जल्द ही सामने आ सकती है। चूंकि, सीबीडीसी नकदी की जरूरत कम करेगी इसलिए मुद्रा छापने, इनका वितरण और पुराने नोट के प्रबंधन पर आने वाले खर्च काफी कम हो जाएंगे। इससे आरबीआई के पास उपलब्ध अधिशेष रकम में भी इजाफा होगा। लोगों के लिए भी लेनदेन करना आसान हो जाएगा और उन्हें नकदी रखने की जरूरत कम से कम होगी। रवि शंकर ने कहा कि आरबीआई यह समझने की कोशिश कर रहा है कि इसका इस्तेमाल केवल खुदरा भुगतान के लिए ही होगा या इससे मोटा (थोक) भुगतान भी संभव हो पाएगा।
थोक भुगतान के लिए सीबीडीसी का इस्तेमाल आसान होगा क्योंकि सभी अंतर-बैंकिंग लेनदेन डिजिटल हो चुके हैं और नकदी की विशेष जरूरत नहीं रह गई है। जब लोग टूथपेस्ट और नमक के लिए सीबीडीसी का इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे तो नकदी की जरूरत कम करने का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। आदर्श रूप में इसके सफल क्रियान्वयन के लिए इसकी शुरुआत थोक खंड से हो सकती है और फिर खुदरा खंड में भी इसे आजमाया जा सकता है। एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि सीबीडीसी पर ब्याज का भुगतान होना चाहिए या नहीं? क्या आरबीआई को सीबीडीसी सीधे जारी करना चाहिए या बैंकों को माध्यम बनाना चाहिए? जब कोई अपनी रकम बैंक में रखता है तो उसे ब्याज मिलता है।
अगर सीबीडीसी पर ब्याज नहीं मिलेगा तो लोग नकदी छोड़ इसे क्यों अपनाएंगे? इससे भी एक बड़ा प्रश्न यह है कि अगर ब्याज भुगतान होता है और आरबीआई सीबीडीसी जारी करता है तो क्या बैंकों से लोग जमा रकम निकालना नहीं शुरू कर देंगे? अगर नियामक का टकराव बैंकों से शुरू हो जाए तो बैंकिंग प्रणाली में जमा रकम कम पड़ जाएगी और वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता पर असर होगा। 

आदर्श रूप में आरबीआई द्वारा चुने गए बैंकों के एक समूह को सीबीडीसी जारी करना चाहिए। सीबीडीसी एक डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर (कई संस्थानों एवं लोगों के बीच सूचनाएं साझा करने वाली व्यवस्था) के जरिये जारी की जा सकती है जिस पर बैंक और आरबीआई दोनों का नियंत्रण होगा।  वास्तव में ‘नो योर कस्टमर’ (केवाईसी) शर्तों एवं डेटा सुरक्षा सहित सीबीडीसी के क्रियान्वयन की राह में परिचालन संबंधी मुद्दे आएंगे। किसी अन्य भुगतान प्रणाली की तरह इसमें भी फर्जीवाड़े का जोखिम होगा। चूंकि, यह वॉलेट आरबीआई स्वयं जारी करेगा इसलिए यह भुगतान खंड में सबसे सुरक्षित लेनदेन होगा। इससे नकदी रखने की जरूरत कम हो जाएगी और मुद्रा छापने एवं इनके प्रबंधन पर आरबीआई का खर्च भी कम हो जाएगा। इससे वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा मिलेगा। बैंकिंग सेवा के दायरे से बाहर के लोग भी सीबीडीसी का इस्तेमाल कर पाएंगे।
सीबीडीसी न ही क्रिप्टोकरेंसी का विकल्प होगी और न ही इससे प्रतिस्पद्र्धा करेगी। सीबीडीसी पर ब्याज मिल सकता है लेकिन इसमें कयास के लिए जगह नहीं होगी। कयास क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में उतार-चढ़ाव का बड़ा कारण होता है। चीन की तरह आरबीआई भी कई कारणों से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर उत्साहित नहीं है। यह जिंस, मुद्रा किसी श्रेणी में नहीं आती हैं और न ही भुगतान प्रणाली का हिस्सा हैं। कई केंद्रीय बैंक नियामक क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा नहीं मानते हैं क्योंकि वे इन्हें जारी नहीं करते हैं। लिहाजा, यह सरकार द्वारा प्रत्याभूत भी नहीं होती है।  

आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी को एक परिसंपत्ति श्रेणी में रखने से इनकार करता रहा है क्योंकि कीमतें लगातार ऊपर-नीचे होती रहती हैं। संसद में उपयुक्त कानून पारित होने के बाद ही सीबीडीसी रफ्तार पकड़ सकती है। ऐसा कब होगा? बजट सत्र में क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 पारित होना था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। यह विधेयक सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाकर भारत में सीबीडीसी का रास्ता तैयार कर सकता है। 
(लेखक बिज़नेस स्टैंडर्ड के सलाहकार संपादक, लेखक और जन स्मॉल फाइनैंस बैंक में वरिष्ठ सलाहकार हैं।)

First Published : August 17, 2021 | 1:06 AM IST