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प्रतिबंधों की छाया से उबर रही क्रिप्टोकरेंसी

क्रिप्टोकरेंसी की जीत एसईसी द्वारा अमेरिका के एक्सचेंज पर स्पॉट बिटकॉइन ईटीएफ को सूचीबद्ध करने की अनुमति के साथ मिली है।

Last Updated- January 22, 2024 | 9:37 PM IST
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लगभग 15 साल पहले सतोशी नाकामोतो ने एक महत्त्वपूर्ण शोध पत्र प्रकाशित किया था जिसमें बिटकॉइन की अवधारणा का जिक्र था और इसने वित्तीय परिसंपत्तियों के एक नए वर्ग क्रिप्टोकरेंसी को जन्म दिया। उथल-पुथल वाले इस दौर में टिके रहने से इन्हें स्वीकृति मिली है।

क्रिप्टोकरेंसी की हाल की जीत अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसी) द्वारा अमेरिका के एक्सचेंज पर स्पॉट बिटकॉइन एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) को सूचीबद्ध करने की अनुमति के साथ मिली है। अब आसार हैं कि कई ऐसे और ईटीएफ सूचीबद्ध होंगे। इससे संस्थागत निवेशकों के लिए क्रिप्टोकरेंसी में पैसा लगाने का रास्ता तैयार होता है।

वर्ष 2008 के शोध पत्र में एक ऐसी ही मुद्रा की अवधारणा के बारे में बताया गया जो किसी भी संस्था (केंद्रीय बैंक) द्वारा नियंत्रित नहीं होती है। प्रत्येक ‘कॉइन’ एक अनूठा इलेक्ट्रॉनिक कोड है जिसे 10 करोड़ अनूठी उप-इकाई में बांटा जा सकता है। इस मुद्रा की आपूर्ति एक ऐसे अल्गोरिदम द्वारा होती है जो नई मुद्रा तैयार करती है और इसमें जटिल गणितीय पहेली हल करना शामिल है।

इस तरह की संपत्ति एक अपरिवर्तनीय इलेक्ट्रॉनिक बहीखाता, ब्लॉकचेन में पंजीकृत होती है जिसे कोई भी सत्यापित कर सकता है। इसका मालिकाना स्वामित्व अनाम होता है। ब्लॉकचेन में प्रत्येक कॉइन के पिछले रिकॉर्ड यानी इसके तैयार होने के वक्त से लेकर प्रत्येक लेनदेन तक की चीजें दर्ज होती हैं। प्रत्येक कॉइन को एक इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट में रखा जाता है और इसके मालिक के पास ही इसका पासवर्ड होता है। आप इस वॉलेट को एक पारदर्शी बैंक लॉकर की तरह मान सकते हैं जिसमें सभी सामग्री दिखाई देती है लेकिन इसका पासवर्ड जिसके पास हो वही इसे संचालित कर सकता है।

यह लेन-देन तब होता है जब किसी वॉलेट का मालिक एक कॉइन को एक वॉलेट से दूसरे वॉलेट में ले जाने का प्रस्ताव करता है। प्रत्येक लेनदेन को सामूहिक रूप से सत्यापित किया जाता है। एक बार जब ब्लॉकचेन को देखने वाले अधिकांश लोग सहमत होते हैं कि कॉइन ‘एक्स’ वॉलेट ‘1’ में था और इसे वॉलेट ‘2’ में हस्तांतरित किया जा सकता है तब इस लेनदेन को सत्यापित किया जाता है और ब्लॉकचेन अद्यतन हो जाता है। इस बीच टाइमस्टैम्प दोहरे लेनदेन को रोकते हैं और गुमनाम लेनदेन किए जा सकते हैं।

इसमें समस्याएं भी होती हैं। जैसे कि अगर कोई पासवर्ड भूल जाता है तब उसे दोबारा पाया नहीं जा सकता है और अगर इसे हैक कर लिया जाए तब इसे साबित करना काफी मुश्किल होता है। इसके अलावा निश्चित पूंजी की आपूर्ति और ब्लॉकचेन डिजाइन के कारण इसमें आंशिक-आरक्षित बैंकिंग असंभव है। ऐसे में ऋण काफी मुश्किल होता है। गुमनाम तरीके से ऋण देना भी अवैध लेनदेन है।

यह मुद्रा किसी भी चीज से जुड़ी नहीं है। ऐसे में शेयरों या विदेशी मुद्रा की तुलना में इसमें बेतहाशा तेजी देखी जाती है। शेयर और विदेशी मुद्रा व्यापार और सकल घरेलू उत्पाद के डेटा से जुड़े होते हैं। गुमनाम होने के अलावा, क्रिप्टोकरेंसी के लिए फायदे की बात यह है कि इनका दायरा सीमा पार तक हो सकता है। इसके लिए सिर्फ एक वॉलेट के पासवर्ड को साझा करना होता है।

इस प्रकार यूरो से बिटकॉइन और अमेरिकी डॉलर में हस्तांतरण की लागत, यूरो से डॉलर में सीधे हस्तांतरण की तुलना में कम खर्चीला हो सकता है बशर्ते कारोबारी कीमतों की अस्थिरता का प्रबंधन कर सकें। इसके अलावा, यह प्रतिबंधों को भी दरकिनार कर देता है जैसा कि यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने देखा जब साइप्रस से बाहर यूरो से अन्य सरकारी मुद्रा में हस्तांतरण रोक दिया गया था।

दूसरी जगह भेजी गई राशि का प्रबंधन आसानी से किए जाने के कारण ही अल सल्वाडोर ने बिटकॉइन को वैकल्पिक कानूनी मुद्रा के तौर पर स्वीकार किया है। यही कारण है कि ब्राजील, अर्जेंटीना और मैक्सिको में इसकी ज्यादा मात्रा दिखती है। भारत में 100 अरब डॉलर से अधिक राशि विदेश से भेजी जाती है, ऐसे में इस पर गौर करने की जरूरत है।

कई उत्साही लोगों का दावा है कि जब मुद्रास्फीति बढ़ने वाले माहौल में निश्चित मुद्रा आपूर्ति को लेकर चुनौती हो तो ऐसे में बिटकॉइन को ‘वर्चुअल सोने’ की तरह रखा जाता है। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2023 में एक शानदार वर्ष था जब व्यापारियों ने इसकी बोली लगाई थी।

इसी तरह के समान मॉडल पर हजारों क्रिप्टोकरेंसी तैयार की गई हैं। इनका दायरा फर्जी क्रिप्टोकरेंसी से लेकर बेहतर डिजाइन वाले एथेरियम जैसे मामलों से जुड़ा है जिनमें एक बेहतर ब्लॉकचेन होता जो ‘विश्वास रहित अनुबंधों’ को शामिल करने की अनुमति देता है।

ब्लॉकचेन को कई तरह के कार्यों के लिए अपनाया गया है। बैंक इनका इस्तेमाल आंतरिक रूप से धोखाधड़ी विरोधी उपकरण के तौर पर करते हैं। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (यूएनएचसीआर) इनका इस्तेमाल शरणार्थियों को मदद देने के लिए करता है। फिनलैंड और एस्तोनिया में नगर निगमों ने शहरी परियोजनाओं पर नागरिकों की प्रतिक्रिया का आकलन करने के लिए इनके साथ प्रयोग किया है। वहीं चीन के छात्रों ने सेंसरशिप को नजरअंदाज करने के लिए इनका उपयोग किया है।

गैर परिवर्तनीय टोकन (एनएफटी) जैसे कई ऐप्लिकेशन भी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े हुए हैं। ब्लॉकचेन डेवलपरों को अक्सर क्रिप्टोकरेंसी में भुगतान की पेशकश की जाती है।

भारत ने इस परिसंपत्ति वर्ग पर अपना रुख स्पष्ट करने से इनकार कर दिया जिससे इन बाजारों में इसकी भागीदारी धीमी हो गई है। किसी को यह नहीं पता था कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी को कैसे वर्गीकृत किया जाता है। क्या उन्हें मुद्रा मानी या कला की वस्तुएं मानी जाए?

क्रिप्टोकरेंसी पर उच्चतम कर दर लगाने के निर्णय ने भी इससे जुड़े कारोबार की मात्रा को दबाने या विदेश में ले जाने के लिए बाध्य किया है। हालांकि, ईटीएफ खरीदना कानूनी रूप से संभव होना चाहिए और इस पर दंडात्मक कर नहीं लगने चाहिए। यह क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े वैश्विक नियमन में नया कदम है और भारत को जल्द से जल्द इस पर विचार करना ही होगा।

First Published - January 22, 2024 | 9:37 PM IST

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