संपादकीय

गो फर्स्ट की विफलता के क्या मायने हैं?

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बीएस संपादकीय
Last Updated- May 03, 2023 | 11:27 PM IST

गो फर्स्ट एयरलाइंस का दिवालिया होने का आवेदन नागर विमानन उद्योग में व्याप्त शाश्वत दबाव को ही रेखांकित करता है। भारत दुनिया का तीसरा बड़ा विमानन बाजार है और उसके अगले दशक के दौरान तेजी से विकसित होने की बात कही जाती है। उसके विकास में आ​र्थिक वृद्धि का भी योगदान होगा और क्षेत्रीय संपर्क योजना के तहत इसका दूरदराज इलाकों में विस्तार भी हुआ है। इस क्षेत्र में लगभग 40 लाख लोग काम करते हैं और भारतीय विमानन कंपनियों के पास 1,100 विमान हैं।

सालाना औसतन 100 विमान इसमें जुड़ते हैं। परंतु मौजूदा माहौल में इनकी परिचालन लागत बहुत अ​धिक है और आपूर्ति श्रृंखला को लेकर भी कुछ समस्याएं हैं। इनके चलते विमानन कंपनियां संघर्ष के दौर से गुजर रही हैं। कोविड के दौरान भी इन कंपनियों को भारी घाटा सहना पड़ा। गो फर्स्ट का दावा है कि इंजन की नाकामियों के कारण उसे दिवालिया होने की घोषणा करनी पड़ी। गो एयर की 25 एयरबस ए 320 नियोस को इंजन की खराबी के कारण जमीन पर खड़ा करना पड़ा। यह उसके ​कुल विमानों की आधी संख्या है। वि​मान निर्माता प्रैट ऐंड ​​व्हिटनी (पीऐंडडब्ल्यू) का दावा है कि आपूर्ति श्रृंखला की दिक्कतों की वजह से वह नए इंजनों की आपूर्ति नहीं कर पाई।

अन्य विमानन कंपनियों मसलन इंडिगो, एयर बा​ल्टिक, टर्किश एयरलाइंस आदि ने भी अपने विमानों के खराब होने के लिए पीऐंडडब्ल्यू के इंजन की नाकामी को वजह बताया। गो फर्स्ट ने डेलवेयर में पीऐंडडब्ल्यू के ​खिलाफ मामला दायर करके 8,000 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति मांगी है और साथ ही पीऐंडडब्ल्यू से यह मांग भी की है कि वह सिंगापुर इंटरनैशनल आर्बिट्रेशन सेंटर के उस आदेश का पालन करे जिसमें पीऐंडडब्ल्यू से कहा गया था कि वह 27 अप्रैल, 2023 तक कम से कम 10 इंजनों को बदले। गो फर्स्ट के ऊपर वित्तीय और परिचालन कर्जदाताओं की करीब 10,000 करोड़ रुपये की रा​शि बकाया है।

अगर कंपनी तीन दिनों तक उड़ान निरस्त रखने के बाद दोबारा उड़ानें शुरू करती है तो भी वह तब तक उस बकाये को चुकाने के लिहाज से पर्याप्त नकदी नहीं जुटा पाएगी जब तक कि उसके सभी विमान सुचारु रूप से उड़ान नहीं भरने लगते। गो फर्स्ट पहली भारतीय विमानन कंपनी नहीं है जिसे मु​श्किलों का सामना करना पड़ रहा है। स्पाइसजेट का समेकित घाटा करीब 6,000 करोड़ रुपये हो चुका है, हालां​कि उसने 2022-23 की तीसरी​ तिमाही में मामूली मुनाफा अर्जित किया। जेट एयरवेज भी स्वामित्व में परिवर्तन के बाद दोबारा उड़ान नहीं भर सकी। कंपनी के नामित मुख्य कार्यपालक अ​धिकारी ने हाल ही में पद छोड़ा है।

सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो के 25 विमान भी पीऐंडडब्ल्यू इंजन की समस्या के कारण उड़ान नहीं भर पा रहे हैं लेकिन उसके पास सेवाएं संचालित करने के लिए पर्याप्त विमान मौजूद हैं। इंडिगो ने वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में अच्छे नतीजे घो​षित किए। परंतु 2021 और 2022 तथा 2023 की पहली छमाही में उसे नुकसान उठाना पड़ा। एयर विस्तारा और एयर इंडिया इसलिए संचालित हो पा रही हैं क्योंकि टाटा समूह और सिंगापुर एयरलाइंस के पास बहुत पैसा है।

आकाश एयर और फ्लाई91 जैसी नई कंपनियां ज्यादा समय से संचालित नहीं है इसलिए विमानन क्षेत्र के ​विश्लेषक उन्हें लेकर कोई सार्थक निष्कर्ष नहीं निकाल सकते। मार्च 2023 में हवाई यातायात कोविड पूर्व के स्तर को पार कर गया। बहरहाल, परिचालन व्यय ऊंचा बना हुआ है। ईंधन की कीमत भी काफी महत्त्वपूर्ण है। कच्चे तेल की कीमतों में थोड़ी कमी आई है लेकिन अभी भी वह काफी अ​धिक है और निकट भविष्य में उसके ऊंचा बने रहने का अनुमान है। भारत में विमानन क्षेत्र विनियमन के बाद से कई उतार-चढ़ाव से गुजर चुका है।

मोदीलुफ्त, ईस्ट-वेस्ट, दमानिया जैसी शुरुआती कंपनियां परिचालन बरकरार रखने में नाकाम रहीं और बाद में किंगफिशर, एयर डेक्कन और सहारा एयरलाइंस का पतन हुआ। एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (जिनका बाद में विलय हो गया) केवल इसलिए परिचालित होती रहीं कि सरकार घाटा सहने को तैयार थी। ध्यान रहे कि जाने माने निवेशक वारेन बफेट ने एक बार कहा था कि उत्तरी कैरोलाइना के किटी हॉक में जहां राइट ब्रदर्स ने पहला विमान उड़ाया था, वहां अगर कोई दूरदर्शी पूंजीपति मौजूद होता तो वह उसने उन्हें गोली मारकर निवेशकों की भविष्य की पीढ़ी पर एक बड़ा अहसान किया होता। उनकी आधी बात ही मजाक थी। विमानन उद्योग ने हमेशा झटके दिए हैं। मौजूदा हालात भी नए नहीं हैं और ऐसा भी नहीं है कि गो फर्स्ट उड़ानें बंद करने वाली कोई आ​खिरी कंपनी होगी।

First Published : May 3, 2023 | 11:27 PM IST