आपका पैसा

अपने पोर्टफोलियो को करें रीबैलेंस, विविधता से मिलेगा बेहतर रिटर्न; विशेषज्ञ बता रहे निवेश की सही रणनीति

शेयरों के भीतर उप आवंटन में भी (जैसे लार्जकैप के लिए 50 फीसदी, मिडकैप और स्मॉलकैप के लिए 25-25 फीसदी) तेजी के दौरान घट-बढ़ हो सकता है।

Published by
कार्तिक जेरोम   
Last Updated- October 23, 2024 | 9:56 PM IST

नोएडा के सेक्टर 93 में रहने वाली 43 वर्षीय नेहा कोहली एंथ्रोपोलॉजी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने के लिए अध्ययन अवकाश पर हैं। वह अपनी पढ़ाई और रोजमर्रा के खर्चों के लिए अपने निवेश कोष से सिस्टेमेटिक विड्रॉल प्लान (एसडब्ल्यूपी) पर निर्भर हैं। उनके पोर्टफोलियो को शेयर बाजार में आई तेजी से फायदा मिला है, फिर भी अक्सर वह इस पर दुविधा में रहती हैं कि क्या मुनाफावसूली की जाए और भारी तेजी के बाद बड़े पैमाने पर निश्चित आय में वाले साधनों में पैसा लगाया जाए। उन्हें यह डर है कि कहीं ऐसा न हो इस बदलाव के बाद वह बाजार की तेजी बरकरार रहने पर मिलने वाला फायदा उठाने से वंचित रह जाएं, हालांकि गिरावट की स्थिति में संपदा में गिरावट की भी चिंता सताती है।

पोर्टफोलियो में विविधता लाएं

नए निवेशक जिन्होंने केवल पिछले प्रदर्शन के आधार पर (खासकर मिडकैप और स्मॉलकैप फंड, जिन्होंने हाल के दिनों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है) फंड को चुना है, उन्हें अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने पर विचार करना चाहिए। यह बात ध्यान रहे कि अलग-अलग परिसंपत्ति वर्ग अलग-अलग समय पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं। शेयरों के भीतर भी प्रदर्शन बाजार पूंजीकरण और स्थान के अनुसार अलग-अलग होता है।

इसी तरह, अल्पावधि और दीर्घावधि डेट फंड अलग-अलग बाजार चरण के दौरान बेहतर प्रदर्शन करते हैं। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के चीफ फाइनैंशियल प्लानर विशाल धवन कहते हैं, ‘यह अनुमान लगाना संभव नहीं है कि किसी भी वक्त कौन सा परिसंपत्ति वर्ग बेहतर प्रदर्शन करेगा। बाजार का अनुमान लगाने की बजाय पोर्टफोलियो में विविधता लाने पर विचार करना चाहिए। अगर आप तेजी के लहर में सवार होने के लिए बार-बार पोर्टफोलियो में बदलाव लाएंगे तो इससे एग्जिट लोड और करों के रूप में आपकी लागत काफी बढ़ जाएगी।’

समझदारी से करें परिसंपत्ति आवंटन

शेयरों का आवंटन समझदारी से करना चाहिए। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत निवेश सलाहकार (आरआईए) और फिडुसिएरीज के संस्थापक अविनाश लूथड़िया ने कहा, ‘इक्विटी आवंटन ऐसे करें कि बाजार में 50 से 60 फीसदी तक की गिरावट आने पर भी आपको निवेश से बाहर निकलने की जरूरत न पड़े।’ अपने पोर्टफोलियो का 10 से 15 फीसदी हिस्सा सोना में निवेश करें और शेष हिस्से को निश्चित आय वाले साधनों में निवेश करें।

धवन का कहना है, ‘निश्चित आय की अस्थिरता से असहज रहने वाले निवेशकों को अल्पावधि के डेट फंडों का विकल्प चुनना चाहिए।’ इसके अलावा, फंड की पोर्टफोलियो अवधि के साथ निवेश अवधि मिलाकर भी डेट फंड श्रेणी चुनी जा सकती है।

ऊंचे कर दायरे में आने वाले लोगों के लिए लूथड़िया का सुझाव है कि वे डेट फंड के बदले आर्बिट्राज फंड चुन सकते हैं। वह कहते हैं, ‘इन फंडों की शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) स्थिर तरीके से बढ़ती है और उन पर इक्विटी फंड जैसे कर लगता है। आप इनको बेचने तक कर नहीं देना होगा, जबकि इसके विपरीत सावधि जमा पर मिलने वाले ब्याज पर सालाना कर लगता है।’

समय-समय पर करें रीबैलेंस

यदि परिसंपत्ति आवंटन के लिए आपका लक्ष्य 60:30:10 (इक्विटी, डेट और गोल्ड) का है तो बाजार की तेजी में आप शेयर आवंटन को 65 फीसदी या उससे अधिक तक बढ़ा सकते हैं। सेबी से पंजीकृत निवेश सलाहकार (आरआईए) दीपेश राघव का कहना है, ‘स्पष्ट नियम पर चलें। जब आपका इक्विटी आवंटन 5 फीसदी बदलता है या निश्चित अंतराल पर, जैसे हर छह महीने या सालाना, अपने पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित करें।’बाजार में तेजी के दौरान पुनर्संतुलन से पोर्टफोलियो जोखिम कम हो जाता है। राघव कहते हैं, ‘आपको इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है कि बाजार में तेजी है अथवा गिरावट है या इसके भविष्य के बारे में भी अनुमान लगाने से बचना चाहिए।’

शेयरों के भीतर उप आवंटन में भी (जैसे लार्जकैप के लिए 50 फीसदी, मिडकैप और स्मॉलकैप के लिए 25-25 फीसदी) तेजी के दौरान घट-बढ़ हो सकता है। पुनर्संतुलन के लिए अपने मिडकैप और स्मॉल कैप होल्डिंग्स (जो अधिक बढ़ गए हैं) के कुछ हिस्सों को बेचें और लार्जकैप फंड, निश्चित आय अथवा गोल्ड की तरफ जाएं।

शेयरों की बिक्री से कर और एग्जिट लोड बढ़ सकता है। इनसे बचने के लिए नए सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) को निश्चित आय अथवा सोने जैसे कमतर प्रदर्शन करने वाले परिसंपत्ति वर्ग में करने पर विचार करें। लूथड़िया कहते हैं, ‘इस तरीके से आपको तुरंत खर्च किए बगैर धीरे-धीरे अपने लक्षित आवंटन पर लौटने का मौका मिलता है।’ इन तरीके को तब ही अपनाएं जब आपका लक्ष्य दूर हो।

First Published : October 23, 2024 | 9:56 PM IST