आपका पैसा

ITR Filing: बाकी रह गए केवल 3 दिन, देर से फाइल किया आईटीआर तो नहीं मिलेंगे ये फायदे

ITR Filing: यदि आप 31 जुलाई की समय सीमा चूक जाते हैं, तो आप पुरानी कर व्यवस्था (old tax regime) के तहत इस तिथि के बाद अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर सकते हैं।

Published by
अंशु   
Last Updated- July 28, 2024 | 6:44 PM IST

ITR Filing: वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने की डेडलाइन 31 जुलाई है। आयकर विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर एक पोस्ट में बताया कि विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर 26 जुलाई 2024 तक मूल्यांकन वर्ष 2024-25 के लिए पांच करोड़ से ज्यादा आईटीआर दाखिल किए जा चुके हैं। यह पिछले साल में फाइल किए गए आईटीआर से आठ फीसदी अधिक है।

आमतौर पर टैक्सपेयर्स के मन में यह सवाल आता है कि तय समय पर आईटीआर दाखिल न करने पर क्या होगा? डेडलाइन के बाद भी आप आईटीआर दाखिल कर सकते है, मगर आपको ये तीन बड़े नुकसान उठाने पड़ सकते हैं।

देर से ITR फाइल करने पर भरना होगा जुर्माना

31 जुलाई की डेडलाइन चूकने का मतलब है कि आयकर विभाग (आई-टी) अधिनियम की धारा 234एफ के तहत 5,000 रुपये का विलंब शुल्क लगा सकता है। हालांकि, यदि आपकी आय 5 लाख रुपये से कम है, तो देर से दाखिल करने का शुल्क घटाकर 1,000 रुपये कर दिया गया है।

इसके अलावा, यदि कोई कर देनदारी है, तो टैक्सपेयर्स को देय तिथि से बकाया कर राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 234ए के अनुसार 1 प्रतिशत प्रति माह की दर से ब्याज का भुगतान करना पड़ता है।

Old tax regime में दी गई छूट का नहीं मिलेगा लाभ

यदि आप 31 जुलाई की समय सीमा चूक जाते हैं, तो आप पुरानी कर व्यवस्था (old tax regime) के तहत इस तिथि के बाद अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए, नई कर व्यवस्था (new tax regime) डिफ़ॉल्ट व्यवस्था है। टैक्सपेयर्स पुरानी कर व्यवस्था के तहत मिलने वाले कर-बचत उपकरणों में निवेश पर छूट और कटौती का लाभ नहीं उठा पाएंगे।

आसान भाषा में कहे तो, इसका सीधा मतलब है कि 31 जुलाई की समय सीमा के बाद, टैक्सपेयर्स इन लाभों का दावा नहीं कर पाएंगे क्योंकि वे नई कर व्यवस्था में स्थानांतरित हो जाएंगे, जिसमें ये लाभ अनुपस्थित हैं।

Also read: सोशल मीडिया पर फूटा जनता का गुस्सा; सरकार का आया स्पष्टीकरण, टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट सभी के लिए नहीं

नहीं मिलेगा नुकसान को आगे बढ़ाने का विकल्प

यदि किसी टैक्सपेयर्स को शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, संपत्तियों या उनके किसी बिजनेस में निवेश के कारण नुकसान होता है, तो उनके पास इन नुकसानों को आगे बढ़ाने और बाद के वर्षों में आय के खिलाफ भरपाई करने का विकल्प होता है।

यह प्रावधान भविष्य के वर्षों में टैक्सपेयर्स की कर देनदारी को काफी हद तक कम कर देता है। हालांकि, जब टैक्सपेयर्स समय सीमा के बाद अपना रिटर्न दाखिल करते हैं तो इसकी अनुमति नहीं है।

आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए अब केवल तीन दिन ही बाकी रह गए है। बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स परंपरा के तौर पर समय सीमा बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं। इस पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सलाह दी जाती है कि टैक्सपेयर्स को समय से पहले अपना आईटीआर दाखिल कर देना चाहिए।

First Published : July 28, 2024 | 6:44 PM IST