आपका पैसा

डीमैट अकाउंट को Aadhaar से लिंक करना हुआ आसान, चुटकियों में हो जाएगा काम

Aadhaar and Demat linking: अगर डिमैट अकाउंट आधार से लिंक नहीं है, तो उसे फर्जी माना जाएगा और तय समय सीमा के बाद तुरंत बंद कर दिया जाएगा।

Published by
मानसी वार्ष्णेय   
Last Updated- March 17, 2025 | 9:39 AM IST

Aadhaar and Demat linking: अगर आपने डीमैट अकाउंट खोला है या आप पहले से डीमेट अकाउंट होल्डर हैं, तो आप आधार से इसे घर बैठे ऑनलाइन लिंक कर सकते हैं। डीमैट को आधार से जोड़ने के कई फायदे हैं, जिससे आपकी ट्रेडिंग प्रक्रिया सुगम और सुरक्षित हो जाती है।

सेबी (SEBI) ने डीमैट अकाउंट को आधार से लिंक करना अनिवार्य कर दिया है। अगर आपका डीमैट अकाउंट आधार से लिंक नहीं है, तो ब्रोकर को उस खाते को फ्रीज करना पड़ेगा और जब तक आधार लिंक नहीं होगा, तब तक कोई लेनदेन संभव नहीं होगा। इसलिए, अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो जल्द से जल्द अपने डीमैट अकाउंट को आधार से लिंक करें ताकि आपकी ट्रेडिंग में कोई रुकावट न आए।

डीमैट अकाउंट को आधार से लिंक करना चाहते हैं, तो इन आसान स्टेप्स को फॉलो कर के अपना  काम फटाफट निपटा सकते हैं।

ऑनलाइन ऐसे करें लिंक

  • NSDL (www.nsdl.co.in) या CDSL (www.cdslindia.com) की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
  • वहां आधार को डीमैट खाते से लिंक करने का ऑप्शन चुनें और दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
  • अब आपको डीपी नाम, डीपी आईडी, क्लाइंट आईडी और पैन नंबर जैसी डिटेल्स भरनी होंगी।
  • जानकारी सबमिट करने पर रजिस्टर्ड मोबाइल और ईमेल पर OTP मिलेगा। इसे वेबसाइट पर दर्ज करें।
  • इसके बाद डीमैट खाते की डिटेल्स स्क्रीन पर दिखेंगी। आपको नाम, पता, मोबाइल नंबर, लिंक्ड बैंक अकाउंट और ईमेल जैसी जानकारी वेरिफाई करनी होगी।
  • फिर आधार नंबर, लिंग और जन्मतिथि दर्ज करें और आगे बढ़ें।
  • अब UIDAI से आने वाला OTP दर्ज करें और सबमिट बटन पर क्लिक करें।
  • प्रोसेस पूरी होते ही आपको SMS और ईमेल के जरिए कन्फर्मेशन मिल जाएगा।

आधार को डीमैट से लिंक करने के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स

अगर आप अपना आधार नंबर डीमैट खाते से लिंक करना चाहते हैं, तो ऑनलाइन प्रोसेस शुरू करने से पहले कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स तैयार रखें। इनमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, डीमैट अकाउंट डिटेल (डीपी आईडी और क्लाइंट आईडी), रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी तक एक्सेस शामिल है। अगर ये सब आपके पास हैं, तो पूरी प्रक्रिया 10 मिनट में पूरी हो सकती है।

डीमैटअकाउंट को आधार से लिंक करने के फायदे

अगर डीमैट अकाउंट आधार से लिंक नहीं है, तो उसे फर्जी माना जाएगा और तय समय सीमा के बाद तुरंत बंद कर दिया जाएगा। इसलिए निवेशकों के लिए अपने अकाउंट को आधार से जोड़ना जरूरी है।

आधार लिंक करने की प्रक्रिया बेहद आसान है और इससे e-KYC भरना भी सरल हो जाएगा, क्योंकि आधार नंबर से डिटेल्स अपने आप वेरिफाई हो जाएंगी।

निवेशकों के लिए यह भी एक बड़ा फायदा है कि वे आधार लिंक करने के बाद आसानी से अपनी ब्रोकरेज फर्म बदल सकते हैं। इससे निवेश क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ब्रोकरेज चार्ज कम होने की संभावना है।

इसके अलावा, निवेश रेगुलेटर के लिए लेनदेन पर निगरानी रखना आसान होगा, जिससे धोखाधड़ी के मामलों को रोका जा सकेगा। इससे निवेश प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी और सुरक्षित हो जाएगी, जिससे लेनदेन करना भी आसान होगा।

निवेश में पारदर्शिता बढ़ने से ज्यादा लोग बाजार से जुड़ेंगे और इंडस्ट्री को फायदा होगा। इसके साथ ही, ऑप्शन और फ्यूचर्स ट्रेडिंग के लिए दस्तावेजी प्रक्रिया भी कम हो जाएगी, जिससे नए और पुराने निवेशकों के लिए खाता प्रबंधन आसान हो जाएगा।

डीमैट अकाउंट खोलने के फायदे: निवेशकों के लिए क्यों जरूरी है?

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो डीमैट अकाउंट (Demat Account) होना बेहद जरूरी है। SEBI के नियमों के मुताबिक, सभी लिस्टेड शेयरों के लेन-देन का निपटान डिमैट मोड में होना अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि, 500 शेयर तक के लेन-देन फिजिकल फॉर्म में किए जा सकते हैं, लेकिन सिग्नेचर मिसमैच, जालसाजी और नकली सर्टिफिकेट जैसी दिक्कतों के कारण अब फिजिकल शेयर ट्रांजैक्शन लगभग खत्म हो चुके हैं।

डीमैट अकाउंट के फायदे

  • सुरक्षित और सुविधाजनक: फिजिकल शेयर रखने के मुकाबले डीमैट अकाउंट ज्यादा सुरक्षित और आसान है।
  • स्टांप ड्यूटी नहीं: डीमैट में रखे शेयर ट्रांसफर करने पर कोई स्टांप ड्यूटी नहीं लगती।
  • तेजी से शेयर ट्रांसफर: इंस्टेंट ट्रांसफर से लिक्विडिटी बनी रहती है।
  • धोखाधड़ी का खतरा नहीं: चोरी, फर्जीवाड़े और गुम होने जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
  • एक ही निर्देश में सभी बदलाव: एड्रेस चेंज या पावर ऑफ अटॉर्नी का रजिस्ट्रेशन सिर्फ DP (Depository Participant) को एक बार बताने से हो जाता है।
  • ऑड-लॉट की समस्या नहीं: बाजार में 1 शेयर की लॉट साइज होने से ऑड-लॉट की परेशानी खत्म हो जाती है।
  • पेपर वर्क से छुटकारा: एक डिलीवरी इंस्ट्रक्शन के जरिए कई शेयर ट्रांसफर किए जा सकते हैं, जिससे बार-बार फॉर्म भरने की जरूरत नहीं पड़ती।
  • लोन की सुविधा: डीमैट में रखे शेयरों के बदले लोन या एडवांस आसानी से लिया जा सकता है।
  • बोनस और राइट्स शेयर का फायदा: बोनस, राइट्स इश्यू और IPOs में मिलने वाले नए शेयर सीधे डीमैट अकाउंट में क्रेडिट हो जाते हैं।
First Published : March 17, 2025 | 9:39 AM IST