प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो: Freepic
ITR Filing 2025: भारत में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना हर साल करोड़ों टैक्सपेयर्स के लिए एक जरूरी काम होता है। वित्त वर्ष 2024-25 (AY 2025-26) के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हाल ही में ऑफलाइन यूटिलिटीज जारी किया है, जिसकी मदद से टैक्सपेयर्स आसानी से रिटर्न फाइल कर सकते हैं। अभी केवल ITR-1 (सहज) और ITR-4 (सुगम) फॉर्म्स के लिए ऑफलाइन यूटिलिटीज उपलब्ध है। यह कदम टैक्सपेयर्स के लिए, खासकर उन लोगों के लिए राहत है, जो ऑनलाइन फाइल करने के बजाय ऑफलाइन तरीके से ITR फाइल करना चाहते हैं। इस साल की प्रक्रिया में कुछ बदलाव और देरी के कारण टैक्सपेयर्स को थोड़ा इंतजार करना पड़ा, लेकिन अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस दिशा में ठोस कदम उठाए हैं।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 30 मई 2025 को ITR-1 और ITR-4 के लिए एक्सेल आधारित ऑफलाइन यूटिलिटीज जारी कर दी है। इसके बाद, 10 जून 2025 को जावास्क्रिप्ट/JSON आधारित सामान्य ऑफलाइन यूटिलिटी (Common Offline Utility) को भी लॉन्च किया गया। ये यूटिलिटीज टैक्सपेयर्स को ऑफलाइन मोड में रिटर्न तैयार करने की सुविधा देती हैं। इनका डिजाइन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की निए सिस्टम पर आधारित है, जो पहले से भरे हुए डेटा के साथ बेहतर सिस्टम, डायनामिक फॉर्म और आसान वेरिफिकेशन की सुविधा देता है। यह सुविधा खास तौर पर उन टैक्सपेयर्स के लिए उपयोगी है, जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये तक है और जिनकी आय का स्रोत सैलरी, एक मकान, ब्याज जैसी अन्य आय या छोटे व्यवसाय आदि है।
ITR-1 फॉर्म, जिसे ‘सहज’ भी कहा जाता है, उन व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स के लिए है, जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये तक है। इसमें सैलरी, एक मकान की संपत्ति, अन्य सोर्स (जैसे ब्याज) से आय और 5,000 रुपये तक की फार्मिंग इनकम शामिल है। इस साल एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि ITR-1 में अब 1.25 लाख रुपये तक के ‘लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन’ को शामिल किया गया है।
वहीं, ITR-4, जिसे ‘सुगम’ कहा जाता है, उन व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) और फर्मों (LLP को छोड़कर) के लिए है, जिनकी आय 50 लाख रुपये तक है और जिनकी आय व्यवसाय या पेशे से है, जो कि धारा 44AD, 44ADA, या 44AE के तहत गणना की जाती है।
इन यूटिलिटीज की खासियत यह है कि ये टैक्सपेयर्स को पहले से भरे हुए डेटा को इनकम टैक्स पोर्टल से डाउनलोड करने की सुविधा देती हैं। इसके बाद, टैक्सपेयर अपने डिटेल्स को ऑफलाइन भर सकते हैं, डेटा वेरिफिकेशन कर सकते हैं और JSON फाइल बनाकर पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं। यह प्रक्रिया न केवल समय बचाती है, बल्कि गलतियों की संभावना को भी कम करती है।
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इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया हर साल 1 अप्रैल से शुरू होती है, लेकिन इस साल इसमें देरी हुई। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR फॉर्म्स को नोटिफाई करने में करीब एक महीने का समय लिया, और फिर इनके लिए यूटिलिटीज को जारी करने में और समय लगा। टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन का कहना है कि इस देरी का कारण फॉर्म्स में किए गए कई बदलाव और सिस्टम को अपडेट करने की जरूरत थी। वित्त अधिनियम 2024 ने कई संशोधन किए, जैसे कि न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट बनाना और कुछ टैक्स कटौतियों के लिए अतिरिक्त जानकारी मांगना। इन बदलावों को लागू करने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को अपने सिस्टम में तकनीकी अपडेट करने पड़े, जिसके कारण यूटिलिटीज को जारी करने में समय लगा।
इसके अलावा, TDS स्टेटमेंट्स, जो 31 मई 2025 तक फाइल किए जाने थे, जून के पहले हफ्ते में टैक्सपेयर्स के फॉर्म 26AS और AIS/TIS में दिखाई देने शुरू हुए। इस वजह से, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख को 31 जुलाई 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया। यह विस्तार टैक्सपेयर्स को अपने डॉक्यूमेंट्स इकट्ठा करने और सटीक जानकारी के साथ रिटर्न फाइल करने के लिए अतिरिक्त समय देता है।
ऑफलाइन यूटिलिटी का उपयोग करने के लिए टैक्सपेयर्स को कुछ आसान चरणों का पालन करना होगा। सबसे पहले, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के ई-फाइलिंग पोर्टल (www.incometax.gov.in) (www.incometax.gov.in) पर जाकर ‘डाउनलोड’ सेक्शन से ITR-1 या ITR-4 के लिए जरूरी यूटिलिटी डाउनलोड करें। इसके बाद, इस यूटिलिटी को अपने कंप्यूटर पर इंस्टॉल करें। अगर पहले से इंस्टॉल है, तो इंटरनेट से कनेक्ट होने पर यह अपने आप अपडेट हो जाएगी। यूटिलिटी खोलने के बाद, टैक्सपेयर को अपना PAN नंबर और आकलन वर्ष (2025-26) चुनना होगा। फिर, पहले से भरे हुए डेटा को JSON फाइल के रूप में डाउनलोड या आयात करना होगा। इस डेटा में आपकी आय, TDS, और अन्य जानकारी पहले से भरी होगी, जिसे आप वेरिफाई और एडिट कर सकते हैं।
डेटा भरने के बाद, यूटिलिटी आपको फॉर्म के सभी जरूरी चीजों को भरने की सुविधा देगी। एक बार जब सभी जानकारी भर जाए, तो आप इसे वेरिफाई करके JSON फाइल बना सकते हैं। इस फाइल को ई-फाइलिंग पोर्टल पर अपलोड करके रिटर्न फाइल की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। टैक्स एक्सपर्ट का सुझाव है कि टैक्सपेयर्स को अपने बैंक डिटेल्स और चालान नंबर को ध्यान से जांचना चाहिए, ताकि कोई गलती न हो।
इसके अलावा, अगर कोई टैक्सपेयर ऑनलाइन मोड में रिटर्न भरना शुरू करता है और बाद में ऑफलाइन मोड में स्विच करना चाहता है, तो वह ‘इम्पोर्ट ड्राफ्ट ITR’ विकल्प का उपयोग कर सकता है। यह सुविधा ITR-1 और ITR-4 के लिए उपलब्ध है और टैक्सपेयर्स के लिए सुविधा देता है।
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इस साल ITR-1 और ITR-4 में कुछ नए वेरिफिकेशन नियम जोड़े गए हैं, जो गलत दावों को कम करने के लिए हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप हाउस रेंट अलाउंस (HRA) या धारा 80C, 80D, 80EEB जैसी कटौतियों का दावा कर रहे हैं, तो आपको अतिरिक्त जानकारी जैसे कि मकान मालिक का PAN, बीमा कंपनी का नाम, या लोन वेरिफिकेशन की तारीख देनी होगी। ये बदलाव इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा गलत दावों को रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए किए गए हैं।
टैक्स एक्सपर्ट द्वारा टैक्सपेयर्स को सलाह दी जाती है कि वे सही ITR फॉर्म का चयन करें, क्योंकि गलत फॉर्म चुनने से रिटर्न खारिज हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी आय में ऑनलाइन गेमिंग, क्रिप्टो या लॉटरी से आय शामिल है, तो आपको ITR-2 या अन्य उपयुक्त फॉर्म का उपयोग करना होगा, क्योंकि ITR-1 अब इनके लिए मान्य नहीं है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अन्य फॉर्म्स जैसे ITR-2, ITR-3, ITR-5, ITR-6, और ITR-7 के लिए यूटिलिटीज जल्द ही जारी की जाएंगी। तब तक, टैक्सपेयर्स को सलाह दी जाती है कि वे अपने डॉक्यूमेंट्स तैयार रखें और ई-फाइलिंग पोर्टल पर अपडेट्स की निगरानी करें।