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Income Tax Rebate : शेयर और म्युचुअल फंड से हुई कमाई पर क्या आपको मिलेगा रिबेट का फायदा?

यदि आपको लिस्टेड इक्विटी शेयर, इक्विटी-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड की ब्रिकी से शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन होता है तो उस गेन पर आपको 87A के तहत रिबेट का फायदा मिलेगा।

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अजीत कुमार   
Last Updated- June 06, 2023 | 7:17 PM IST

ITR Filing 2023 : नई टैक्स व्यवस्था (new tax regime) के तहत 7 लाख रुपये तक के टैक्सेबल इनकम (taxable income) पर आपको वित्त वर्ष 2023-24 से कोई टैक्स नहीं देना होगा। मतलब 3 लाख रुपये से लेकर 7 लाख रुपये तक की इनकम तक सरकार आपको इनकम टैक्स एक्ट, 1961, की धारा 87A के तहत 25 हजार रुपये का रिबेट (income tax rebate) देगी।

नई टैक्स व्यवस्था में बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट (basic exemption limit) को वित्त वर्ष 2023-24 से बढ़ाकर 2.5 लाख की जगह 3 लाख कर दिया गया है। जबकि 3 लाख से 6 लाख तक के इनकम पर 5 फीसदी, 6 से 9 लाख तक के इनकम पर 10 फीसदी, 9 से 12 लाख तक के इनकम पर 15 फीसदी, 12 से 15 लाख तक के इनकम पर 20 फीसदी और 15 लाख से ज्यादा के इनकम पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया है।

नई टैक्स व्यवस्था में सभी उम्र के टैक्सपेयर के लिए बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट एक समान है। मतलब सभी टैक्सपेयर 7 लाख तक के इनकम पर 87A के तहत 25 हजार रुपये तक का रिबेट लेने के हकदार हैं।

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वित्त वर्ष 2023-24 से पहले नई और पुरानी दोनों टैक्स व्यवस्थाओं में 5 लाख रुपये तक के इनकम पर 87A के तहत 12,500 रुपये तक के रिबेट का प्रावधान था।

बजट 2023 में पुरानी टैक्स व्यवस्था (old tax regime) में बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट और इनकम  टैक्स स्लैब (income tax slabs) को लेकर कोई बदलाव नहीं किया गया। यानी 5 लाख रुपये तक के इनकम पर धारा 87A के तहत रिबेट का प्रावधान पहले की तरह बरकरार है।

पुरानी टैक्स व्यवस्था में उम्र के आधार पर बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट तय किया गया है इसलिए 60 वर्ष से कम उम्र के टैक्सपेयर के लिए बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट के 2.5 लाख रुपये होने की वजह से अधिकतम 12,500 रुपये तक के रिबेट और 60 से ज्यादा लेकिन 80 वर्ष से कम उम्र के टैक्सपेयर के लिए बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट के 3 लाख रुपये होने की वजह से 10 हजार रुपये के रिबेट का प्रावधान है। पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 80 या इससे ज्यादा उम्र यानी सुपर सीनियर सिटीजन के लिए रिबेट का प्रावधान नहीं है।

पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स स्लैब भी पूर्ववत हैं मसलन 2.5 से 5 लाख तक के इनकम पर 5 फीसदी, 5 से 10 लाख तक के इनकम पर 20 फीसदी और 10 लाख से ज्यादा के इनकम पर 30 फीसदी।

लेकिन अगर आपको लिस्टेड इक्विटी शेयर  (listed equity share) या इक्विटी-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड (equity-oriented mutual fund) की बिक्री से कैपिटल गेन हुआ है तो क्या आप दोनों टैक्स व्यवस्थाओं में 87A के तहत इस गेन पर रिबेट का फायदा ले सकते हैं? आइए जानते हैं:

क्या कहते हैं नियम

यदि आपको ऐसे इक्विटी शेयर जिन्हें स्टॉक एक्सचेंज पर बेचा जाता है और इक्विटी-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड की ब्रिकी/रिडेम्पशन से शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (short-term capital gain यानी STCG ) होता है तो उस गेन पर आपको 87A के तहत रिबेट का फायदा मिलेगा। इक्विटी-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड वैसे म्युचुअल फंड हैं जहां इक्विटी यानी लिस्टेड कंपनियों के शेयर में एक्सपोजर 65 फीसदी से ज्यादा है। वैसे हाइब्रिड फंड ( hybrid fund) जहां इक्विटी में एक्सपोजर 65 फीसदी से ज्यादा है, टैक्स नियमों के मामले में इक्विटी फंड की कैटेगरी में ही आते हैं।

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लेकिन अगर लिस्टेड इक्विटी शेयर या इक्विटी-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड की बिक्री से लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (long-term capital gain यानी LTCG ) हुआ है तो आपको उस गेन के ऊपर 87A के तहत रिबेट का फायदा नहीं मिलेगा।

कैसे होती है शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन की गणना

नियमों के मुताबिक, एक वर्ष से कम अवधि में अगर आप लिस्टेड इक्विटी शेयर या इक्विटी म्युचुअल फंड बेचते यानी रिडीम करते हैं तो कैपिटल गेन/लॉस शॉर्ट-टर्म मानी जाएगी। लेकिन अगर आप एक वर्ष के बाद बेचते हैं तो पॉजिटिव/नेगेटिव रिटर्न लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन/लॉस मानी जाएगी।

कितना देना होता है शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स

शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर आपको 15 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 15.6 फीसदी) शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स देना होगा। जबकि सालाना एक लाख रुपए से ज्यादा के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर आपको 10 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 10.4 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होगा। ध्यान रहे कि सालाना एक लाख रुपये तक के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स का प्रावधान नहीं है। लिस्टेड इक्विटी शेयर या इक्विटी म्युचुअल फंड की बिक्री से होने वाले लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स पर इंडेक्सेशन (indexation) बेनिफिट नहीं मिलता।

उदाहरण से समझते हैं –

कई लोग यह समझते हैं कि लिस्टेड इक्विटी शेयर, इक्विटी-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड…. की बिक्री से होने वाले लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन को जोड़ने के बाद भी अगर टैक्सेबल इनकम 5 लाख या 7 लाख रुपये (पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 5 लाख जबकि वित्त वर्ष 2023-24 से नई टैक्स व्यवस्था के तहत 7 लाख) से कम है तो आपको कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी।

उदाहरण के तौर पर मान लीजिये किसी व्यक्ति (उम्र 60 वर्ष से कम) का टैक्सेबल इनकम वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान छूट और कटौती यानी एग्जेंप्शन और डिडक्शन के बाद 3 लाख रुपये है जबकि उसे इक्विटी म्युचुअल फंड के रिडेम्पशन से 1.5 लाख रुपए का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन हुआ।

इस मामले में क्योंकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन को मिलाने (3 लाख रुपये + 1.5 लाख रुपए = 4.5 लाख रुपए) के बाद भी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से कम है इसलिए कई लोगों को यह लग सकता है कि दोनों टैक्स व्यवस्थाओं में 87A के तहत टैक्स देनदारी नहीं बनेगी।

लेकिन ऐसा नहीं है। टैक्सपेयर को 50 हजार रुपये के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर 10.4 फीसदी (सेस मिलाकर) यानी 5,200 रुपये बतौर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) टैक्स चुकाना होगा। मतलब 50 हजार रुपये के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर सेक्शन 87A के तहत रिबेट का फायदा नहीं मिलेगा। इक्विटी म्युचुअल फंड के मामले में 1 लाख रुपये तक के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं लगता इसलिए यहां सिर्फ 50 हजार रुपये के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स लगेगा। लेकिन इस बात का ध्यान रखिए – टैक्सेबल इनकम की गणना में ग्रॉस लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (एक लाख मिलाकर) को शामिल किया जाता है न कि सिर्फ 1 लाख रुपये के ऊपर की राशि को।

First Published : June 6, 2023 | 11:33 AM IST