प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
ITR Filing 2025: पिछले कुछ सालों में भारत में बिटकॉइन, इथेरियम और अन्य क्रिप्टोकरेंसी में लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ी है। बहुत से निवेशकों ने इन डिजिटल करेंसी में पैसे लगाकर अच्छा मुनाफा कमाया है। लेकिन अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऐसे लोगों पर नजर रख रहा है, जिन्होंने अपनी क्रिप्टो इनकम को टैक्स रिटर्न में नहीं दिखाया। डिपार्टमेंट ने हाल ही में हजारों निवेशकों को नोटिस भेजे हैं और कुछ मामलों में उनके घरों और ऑफिस पर छापेमारी तक कर दी है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब ऐसे डेटा और तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है, जिससे वह हर क्रिप्टो लेनदेन को ट्रैक कर सकता है। खास बात ये है कि अब क्रिप्टो एक्सचेंज, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों से मिलने वाली जानकारी को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट मिलाकर देख रहा है। अगर आपकी क्रिप्टो इनकम रिकॉर्ड में है लेकिन आपने रिटर्न में नहीं दिखाई, तो आपको नोटिस मिल सकता है।
इस रिपोर्ट में हम आपको सरल भाषा में समझाएंगे कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट क्या कार्रवाई कर रहा है, क्रिप्टो इनकम पर टैक्स के नियम क्या हैं, और अगर आपको नोटिस मिल गया है तो क्या करना चाहिए। अगर आपने क्रिप्टो में निवेश किया है, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि अब चुप रहना भारी पड़ सकता है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हाल ही में उन लोगों को निशाना बनाया है, जिन्होंने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई को अपने इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं दिखाया। डिपार्टमेंट के पास अब ऐसी तकनीक और डेटा है, जिससे वह क्रिप्टो लेनदेन को ट्रैक कर सकता है। इसके लिए डिपार्टमेंट ने अपने ‘नज’ (NUDGE) फ्रेमवर्क का इस्तेमाल शुरू किया है, जो डेटा का गैर-हस्तक्षेप तरीके से उपयोग करके टैक्स चोरी पकड़ता है। इस फ्रेमवर्क के जरिए डिपार्टमेंट को क्रिप्टो एक्सचेंजों, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से जानकारी मिल रही है।
हाल के महीनों में, डिपार्टमेंट ने हजारों लोगों को नोटिस भेजे हैं, जिनमें पूछा गया है कि उन्होंने अपनी क्रिप्टो आय को क्यों नहीं घोषित किया। कुछ मामलों में तो डिपार्टमेंट ने सख्त कदम उठाते हुए लोगों के घरों और ऑफिस पर छापेमारी की है। ऐसी कार्रवाइयों में हार्डवेयर वॉलेट (जैसे पेन ड्राइव जैसे उपकरण, जिनमें क्रिप्टो स्टोर होती है) और पेपर वॉलेट (क्यूआर कोड और कीज वाला कागज) को जब्त किया गया है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 131 और 132 के तहत डिपार्टमेंट ने यह कार्रवाई की है, जिसमें अधिकारियों ने निवेशकों से उनके वॉलेट होल्डिंग्स, माइनिंग डेटा, विदेशी ट्रेडिंग और सभी लेनदेन का ब्योरा मांगा है।
इनकम टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक, भारत में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई को ‘वर्चुअल डिजिटल एसेट्स’ (VDA) के तहत टैक्स के दायरे में लाया गया है। साल 2022 में इनकम टैक्स एक्ट में संशोधन के बाद, क्रिप्टो से होने वाली आय पर 30% टैक्स (प्लस सेस और सरचार्ज) लगाया जाता है। इसके अलावा, हर क्रिप्टो लेनदेन पर 1% TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) भी लागू होता है। यह नियम क्रिप्टो बेचने, स्वैप करने या किसी अन्य तरीके से आय कमाने पर लागू होता है, चाहे वह भारतीय एक्सचेंज पर हो या विदेशी प्लेटफॉर्म पर।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब क्रिप्टो एक्सचेंज और वर्चुअल एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स (VASPs) से मिलने वाली जानकारी को इनकम टैक्स रिटर्न के साथ क्रॉस-चेक कर रहा है। अगर आपके रिटर्न में क्रिप्टो आय नहीं दिखाई गई, लेकिन TDS या एक्सचेंज डेटा में लेनदेन का रिकॉर्ड है, तो नोटिस मिलना तय है। इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति अपने हार्डवेयर वॉलेट की जानकारी या पासवर्ड साझा करने से मना करता है, तो इनकम टैक्स एक्ट की धारा 275B के तहत उसे दो साल तक की जेल हो सकती है।
डिपार्टमेंट ने हाल ही में ऑनलाइन फॉर्म ITR-B भी शुरू किया है, जो उन लोगों के लिए है, जिन्हें धारा 158BC के तहत नोटिस मिला है। यह धारा तब लागू होती है, जब सर्च या सीज ऑपरेशन में अघोषित आय पकड़ी जाती है। इस फॉर्म को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के ई-फाइलिंग पोर्टल पर जमा करना होता है। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर आपको नोटिस मिला है, तो जल्द से जल्द इसका जवाब देना और सभी लेनदेन का रिकॉर्ड जमा करना जरूरी है।
जैन के मुताबिक, अगर आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से क्रिप्टो आय को लेकर नोटिस मिला है, तो घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन समय पर कार्रवाई करना बहुत जरूरी है। सबसे पहले, अपने सभी क्रिप्टो लेनदेन का ब्योरा इकट्ठा करें। इसमें आपके वॉलेट का इतिहास, एक्सचेंज से लेनदेन का सारांश, TDS डिटेल्स और माइनिंग या स्टेकिंग से होने वाली आय शामिल होनी चाहिए। अगर आपने गलती से आय नहीं दिखाई, तो संशोधित रिटर्न (Revised ITR) दाखिल करने का विकल्प है। यह रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा आमतौर पर संबंधित वित्तीय वर्ष के खत्म होने के एक साल बाद तक होती है।
जैन कहते हैं, “नोटिस का जवाब देते समय पारदर्शिता बरतना सबसे जरूरी है। अगर आपने विदेशी एक्सचेंज पर ट्रेडिंग की है या हार्डवेयर वॉलेट में क्रिप्टो रखी है, तो उसकी पूरी जानकारी देनी होगी। अगर आप जानकारी छिपाते हैं, तो ब्लैक मनी एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है, जिसमें सात साल तक की जेल और भारी जुर्माना शामिल है।”
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब ब्लॉकचेन डेटा और डिजिटल ट्रेल्स का इस्तेमाल करके क्रिप्टो लेनदेन को ट्रैक कर रहा है। इसलिए, यह सोचना गलत है कि आपकी क्रिप्टो आय छिप जाएगी। अगर आपने अभी तक अपनी क्रिप्टो आय को रिटर्न में नहीं दिखाया है, तो तुरंत एक टैक्स एक्सपर्ट से संपर्क करें और अपने रिटर्न को अपडेट करें।
डिपार्टमेंट की यह कार्रवाई न केवल टैक्स चोरी रोकने के लिए है, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध गतिविधियों पर भी नजर रखने का हिस्सा है। सरकार क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने या पूरी तरह बैन करने पर भी विचार कर रही है, लेकिन तब तक टैक्स नियमों का पालन करना हर निवेशक की जिम्मेदारी है।