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Form 16B vs Form 16C: दोनों में क्या है फर्क? ITR फाइल करने से पहले जानें कब कौन-सा फॉर्म चुने

ITR Filing 2025: Form 16B और Form 16C में क्या अंतर है? प्रॉपर्टी की बिक्री और किराए से जुड़े TDS सर्टिफिकेट्स को आसान भाषा में समझें।

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ऋषभ राज   
Last Updated- June 10, 2025 | 5:00 PM IST

Form 16B vs Form 16C: देश में अभी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का दौर चल रहा है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 है। हालांकि, इसके बाद भी लोग ITR फाइल तो कर सकते हैं, लेकिन उन्हें इसके बदले जुर्माना देना पड़ सकता है। भारत में ITR फाइल करने के लिए कई तरह के अलग-अलग Forms की मदद ली जाती है। इनमें Form 16, Form 16A, Form 16B और Form 16C जैसे डॉक्यूमेंट्स शामिल हैं, जो टैक्स डिडक्शन और इनकम को रिकॉर्ड करने में टैक्सपेयर्स की मदद करते हैं। लेकिन अक्सर टैक्सपेयर्स Form 16B और Form 16C को लेकर भ्रमित हो जाते हैं। आइए, इन दोनों Forms के बारे में विस्तार से जानते हैं, इनके अंतर, सीमाओं और उपयोग को समझते हैं।

Form 16B क्या है?

Form 16B एक TDS (टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स) सर्टिफिकेट है, जो प्रॉपर्टी की बिक्री या खरीद से होने वाली आय के लिए जारी किया जाता है। यह Form उस व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने कोई प्रॉपर्टी (जमीन, फ्लैट या इमारत) बेची हो, बशर्ते उस प्रॉपर्टी की कीमत 50 लाख रुपये से अधिक हो। यह Form TDS की जानकारी देता है, जो प्रॉपर्टी खरीदने वाले ने बेचने वाले के लिए काटा होता है।

Form 16B में प्रॉपर्टी की बिक्री से संबंधित सभी जरूरी जानकारी होती है, जैसे सर्टिफिकेट नंबर, आखिरी अपडेट की तारीख और TDS का पैसा। यह Form इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में मदद करता है, खासकर उन लोगों के लिए जो प्रॉपर्टी बेचकर कैपिटल गेन कमाते हैं।

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Form 16C क्या है?

Form 16C भी एक TDS सर्टिफिकेट है, लेकिन यह किराए से होने वाली आय के लिए जारी किया जाता है। अगर कोई व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) किसी को किराया देता है और उस किराए पर TDS काटा जाता है, तो किराए देने वाला व्यक्ति Form 16C जारी करता है। यह Form किराए की आय और उस पर काटे गए टैक्स का ब्योरा देता है।

यह Form उन लोगों के लिए जरूरी है जो प्रॉपर्टी किराए पर देकर पैसे कमाते हैं और इनकम टैक्स रिटर्न में इस आय को शामिल करना चाहते हैं। यह Form सुनिश्चित करता है कि किराए पर काटा गया टैक्स ठीक से रिकॉर्ड हो और रिटर्न फाइल करते समय इसका इस्तेमाल किया जा सके।

Form 16B और Form 16C में अंतर

Form 16B और Form 16C में मुख्य अंतर उनके उपयोग के आधार पर है। Form 16B प्रॉपर्टी की बिक्री से होने वाली आय और उस पर काटे गए TDS के लिए है, जबकि Form 16C किराए से होने वाली आय और उस पर काटे गए टैक्स के लिए है। इसका मतलब है कि Form 16B का संबंध कैपिटल गेन से है, जो प्रॉपर्टी बेचने पर मिलता है, जबकि Form 16C का संबंध किराए की आय से है, जो नियमित आय का हिस्सा होती है।

दूसरा बड़ा अंतर यह है कि Form 16B केवल तभी लागू होता है, जब प्रॉपर्टी की कीमत 50 लाख रुपये से अधिक हो, जबकि Form 16C किराए की राशि पर निर्भर करता है, जिसके लिए TDS काटने की सीमा इनकम टैक्स नियमों के तहत तय की गई है। दोनों Forms का उद्देश्य टैक्स पारदर्शिता बनाए रखना है, लेकिन उनके लागू होने की स्थिति अलग-अलग है।

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Form 16B की सीमाएं

Form 16B की कुछ सीमाएं हैं। पहली बात, यह Form केवल उन प्रॉपर्टी लेनदेन के लिए लागू होता है, जिनकी कीमत 50 लाख रुपये से अधिक हो। अगर प्रॉपर्टी की कीमत इससे कम है, तो TDS लागू नहीं होता और Form 16B की जरूरत नहीं पड़ती। दूसरा, यह Form फार्मिंग लैंड की बिक्री पर लागू नहीं होता। इसके अलावा, Form 16B सिर्फ प्रॉपर्टी बेचने वाले को जारी किया जाता है, न कि खरीदने वाले को। इसका मतलब है कि खरीदार को इस Form के जरिए कोई टैक्स लाभ नहीं मिलता।

Form 16C की सीमाएं

Form 16C की भी अपनी सीमाएं हैं। यह Form केवल किराए की आय पर लागू होता है, जहां TDS काटा गया हो। अगर किराए की राशि इतनी कम है कि उस पर TDS नहीं काटा जाता, तो Form 16C जारी नहीं किया जाता। साथ ही, यह Form केवल उन लोगों के लिए है, जो किराए की आय को अपने इनकम टैक्स रिटर्न में शामिल करना चाहते हैं। अगर किराए देने वाला TDS काटना भूल जाए, तो किराएदार को Form 16C मिलने में दिक्कत हो सकती है, जिससे रिटर्न फाइल करने में परेशानी हो सकती है।

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कौन कर सकता है इन Forms का इस्तेमाल?

Form 16B का इस्तेमाल वे लोग कर सकते हैं, जिन्होंने 50 लाख रुपये से अधिक कीमत की प्रॉपर्टी बेची हो और उस पर TDS काटा गया हो। यह Form खासकर उन लोगों के लिए है, जो प्रॉपर्टी बेचकर कैपिटल गेन कमाते हैं और उसे अपने इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना चाहते हैं। इसमें व्यक्ति, HUF या अन्य टैक्सपेयर्स हो सकते हैं, जो प्रॉपर्टी बेचते हैं।

वहीं, Form 16C का इस्तेमाल वे लोग कर सकते हैं, जिन्होंने प्रॉपर्टी किराए पर देकर पैसा कमाया है और उस पर TDS काटा गया हो। इसमें व्यक्ति या HUF शामिल हो सकते हैं, जो किराए की आय को अपने इनकम टैक्स रिटर्न में शामिल करना चाहते हैं। यह Form उन लोगों के लिए जरूरी है, जो किराए से होने वाली आय को पारदर्शी तरीके से टैक्स रिटर्न में दिखाना चाहते हैं।

दोनों Forms का अपना-अपना महत्व

Form 16B और Form 16C, दोनों ही इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में अहम भूमिका निभाते हैं। ये Forms सुनिश्चित करते हैं कि आपकी आय और उस पर काटे गए टैक्स का सही रिकॉर्ड रखा जाए। Form 16B प्रॉपर्टी बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन को ट्रैक करने में मदद करता है, जबकि Form 16C किराए की आय को रिकॉर्ड करने में सहायक है। दोनों ही Forms टैक्स नियमों का पालन करने और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जरूरी हैं।

First Published : June 10, 2025 | 4:29 PM IST