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ऋण निपटान की आसानी बढ़ाएगी आपके क्रेडिट स्कोर की परेशानी

जो लोग ऋण भुगतान में चूक गए हैं अथवा चूक सकते हैं वे घबराने की बजाय यह समझें कि स्थिति से कैसे निपटें सकते हैं

Published by
संजय कुमार सिंह   
कार्तिक जेरोम   
Last Updated- November 15, 2024 | 10:01 PM IST

निजी क्षेत्र के ऐक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और आरबीएल बैंक ने क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत ऋण जैसे असुरक्षित ऋण से होने वाली गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए)में वृद्धि होने के बारे में बताया है। जो लोग ऋण भुगतान में चूक गए हैं अथवा चूक सकते हैं वे घबराने की बजाय यह समझें कि स्थिति से कैसे निपटें सकते हैं।

तनाव बढ़ाने वाले कारण

जरूरत से ज्यादा कर्ज लेने की वजह से कर्जदार सबसे ज्यादा तनाव में रहते हैं। एंड्रोमेडा सेल्स ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन के निदेशक और डिजिटल लेंडिंग के जानकार अरुण राममूर्ति का कहना है, ‘किसी व्यक्ति की मासिक किश्त उसकी शुद्ध आय के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है तो फिर उसके पास जरूरी खर्चों के लिए पर्याप्त रकम नहीं रहेगा।’

बहुत से लोग अपनी हैसियत से अधिक वाली जीवनशैली अपना रहे हैं। डिजिटल ऋण वसूली एजेंसी क्रेडिटास सॉल्यूशंस के सह-संस्थापक अंशुमन पंवार कहते हैं, ‘योलो (आप बस एक बार जीते हैं) वाला दर्शन हावी हो गया है और वित्तीय विवेक पीछे छूट गया है।’

क्रेडिट परामर्श देने वाली एथेना क्रेडएक्सपर्ट के संस्थापक सतीश मेहता का कहना है कि खासकर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र और स्टार्टअप कंपनियों में छंटनी से बहुत से कर्जदारों के लिए समय पर किश्त चुकाना मुश्किल साबित हो रहा है। ऋणदाता भी पुनर्भुगतान क्षमता का आकलन किए बगैर ऋण देकर गलती करते हैं। राममूर्ति ने कहा, ‘छोटे व्यक्तिगत ऋण, अभी खरीदें बाद में चुकाएं (बीएनपीएल) वाले कर्ज और चेक आउट कर्ज अक्सर ही जल्दबाजी में दे दिए जाते हैं और इससे कर्ज का बोझ बढ़ जाता है।’

अगर चूक की आशंका हो

अगर आप चूक करने की कगार पर हैं तो इससे बचने का तुरंत कोई उपाय निकालें क्योंकि चूक के बाद स्थिति सुधरने में वक्त लगता है। आप पर कितना बकाया है यह जानने के लिए अपने क्रेडिट कार्ड विवरण की समीक्षा करें। विलंब शुल्क से बचने के लिए केवल न्यूनतम राशि का भुगतान नहीं करें। मेहता का कहना है कि ऐसे में बकाया राशि पर 40 फीसदी तक ब्याज लग सकता है।

अपनी आय और व्यय का आकलन करें और गैर जरूरी खर्च कम करें। इसके बाद अपने क्रेडिट कार्ड ऋण को चुकाने के लिए किसी और कर्ज लेने का विचार करें। राममूर्ति का कहना है, ‘कम कीमत पर नया ऋण, दीर्घावधि के ऋण जैसे व्यक्तिगत ऋण, शेयरों, म्युचुअल फंड अथवा सावधि जमा के बदले मिलने वाला ऋण बकाया कर्ज को चुकाने के लिए फायदेमंद हो सकता है। इन ऋणों पर ब्याज दरें अमूमन क्रेडिट कार्ड ऋण पर लगने वाले ब्याज से आधे से भी कम होती हैं।’

अगर चूक हो जाए

ऋण नहीं चुकाने पर आपका क्रेडिट स्कोर काफी कम हो जाता है। राममूर्ति कहते हैं, ‘ऋण नहीं चुकाने पर कई सारी समस्याएं सामने आने लगती हैं, जैसे- खराब क्रेडिट स्कोर की वजह से आपको कोई नया ऋण नहीं मिलेगा और नया ऋण नहीं मिलने की वजह से स्कोर सुधारने का कोई मौका नहीं मिलेगा।’ ऋण चूक के कई साल बाद तक भी ऋण काफी अधिक ब्याज दर पर मिल सकता है।

एक बार चूक करने पर कई सारे दुष्परिणाम हो सकते हैं, इसलिए उनसे बचना भी जरूरी है। राममूर्ति का कहना है कि कर्ज चुकाने को प्राथमिकता देनी चाहिए। सबसे पहले आवास ऋण को तवज्जो दें उसके बाद अन्य उच्च लागत वाले कर्ज को चुकाएं।

मेहता सुझाव देते हैं कि बकाये भुगतान को खत्म करने के लिए अपनी बचत अथवा आपातकालीन कोष का उपयोग करना चाहिए। अगर आपके पास पैसे नहीं हैं तो ऋणदाता से मिलें और उन्हें चूक होने का कारण बताएं। खासकर, अगर नौकरी जाने की वजह से, स्वास्थ्य कारणों से अथवा किसी अन्य वास्तविक वजह से ऐसा हुआ है तो इसकी पूरी जानकारी दें।

राममूर्ति ने कहा, ‘ऋण पुनर्गठन योजना पर बातचीत का प्रयास करें। ऋणदाता संभवतः बकाया ऋण को सावधि ऋण में तब्दील कर सकता है, जिसे 36 से 48 महीने में चुकाया जा सकता है। ये खासकर उन कर्जदारों के लिए होता है तो सही मायने में ऋण चुकाना का इरादा रखते हैं।’ पंवार का सुझाव है कि ऋण चूक करने वालों को क्रेडिट कार्ड ऋण को कम ब्याज वाले ऋण में बदलने पर विचार करना चाहिए। भले ही ऋण पर चूक हो गया हो।

ऋण निपटान से बचें

किसी भी परिस्थिति में कर्जदार को एकमुश्त ऋण निपटान पर सहमत नहीं होना चाहिए। इसमें ऋणदाता ऋण का कुछ हिस्सा तो माफ कर देता है मगर इससे आपके क्रेडिट स्कोर पर काफी विपरीत असर पड़ता है।

राममूर्ति ने कहा, ‘भले ही इससे कर्ज से मुक्ति मिल जाती है, मगर क्रेडिट रिपोर्ट पर हमेशा सेटल्ड लिखा रहेगा, जिससे आपके क्रेडिट स्कोर पर लंबे अरसे तक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।’ अंततः आपको छह महीने के खर्च के बराबर एक आकस्मिक निधि बनाकर रखनी चाहिए। इससे कठिन परिस्थिति में समय पर किश्त चुकाने में मदद मिल सकती है।

First Published : November 15, 2024 | 10:01 PM IST