कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी एस रमेश ने मुंबई में सुंदर सेतुरामन के साथ साक्षात्कार में बताया कि वर्ष 2023 इक्विटी पूंजी बाजार (ईसीएम) गतिविधियों के लिए शानदार रहा और इस साल भी इसमें तेजी बनी रहेगी। उनका कहना है कि चुनाव से पहले निजी बाजार की गतिविधियों में कुछ सुस्ती देखी जा सकती है। उन्होंने जिम्मेदार तरीके से मूल्य निर्धारण की जरूरत पर भी जोर दिया, जिससे निवेशक पैसा कमा सकें। उनसे बातचीत के अंश:
पिछले साल एक खास बदलाव यह देखा गया कि ज्यादातर आईपीओ ने निवेशकों को कमाई का अवसर दिया। दूसरी बात, हमने स्थानीय निवेशकों में भी अच्छा भरोसा देखा, चाहे बात म्युचुअल फंडों, बीमा कंपनियों, परिवार कार्यालयों की हो या रिटेल की। निवेश बैंकर के तौर पर हमें जिम्मेदार तरीके से मूल्य निर्धारण पर ध्यान देने की जरूरत होगी, जिससे कि निवेशक कमाई कर सकें और बाजार में बने रहने के लिए उत्साहित हों। मेरा मानना है कि अगले 12-18 महीनों के दौरान इक्विटी पूंजी बाजार की गतिविधियां मजबूत रहेंगी। सौदों का आकार काफी बड़ा है। इसलिए मुझे कोई समस्या नहीं दिख रही है। बड़ी तादाद में आईपीओ आएंगे। हम स्थानीय और वैश्विक निवेशकों, दोनों से मिल रही प्रतिक्रिया से उत्साहित हैं। मेरा मानना है कि ब्लॉक डील की रफ्तार बनी रहेगी।
प्राथमिक बाजार शादी के सीजन की तरह है, जिसमें थोड़ा रुक-रुक कर उत्साह देखा जाता है। भारत और अमेरिका में चुनाव एक संक्षिप्त घटनाक्रम हो सकते हैं, जब आईपीओ लाने वाली कंपनियां यह महसूस करें कि यह समय बाजार में आने के लिहाज से उपयुक्त नहीं हो सकता है। कंपनियों और निवेशकों में मुख्य धारणा ढांचागत है। आईपीओ गतिविधियां थमने की संभावना नहीं है। आमतौर पर बाजार कारोबारी इस सिद्धांत पर चलते हैं कि जब कोई घटनाक्रम होता है तो हम आईपीओ लाना पसंद नहीं करते। यह सुरक्षा की दृष्टि से समझा जाता है। इस साल भी ऐसा देखा जा सकता है।
पिछले साल औद्योगिक, निर्माण और छोटे डिजिटल एवं सेवा क्षेत्रों के आईपीओ आए। इसलिए उनके आकार और औसत में कमी देखी गई। हमें उम्मीद है कि इस साल औसत आईपीओ आकार 1,500 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।
भारतीय बाजार काफी चढ़ गए हैं और यह खासकर मजबूत वृद्धि की वजह से है। भारत दुनिया में आर्थिक ताकत के लिहाज से सबसे बड़े देशों में शुमार है। यहां आर्थिक वृद्धि तेजी से मजबूत हो रही है। यह हाई-एंट्री और हाई-रिटर्न वाला बाजार है। दूसरी बात हमने पिछले 12 से 18 महीनों के दौरान उचित मूल्य निर्धारण देखा है।
यह बिक्री से जुड़ी गतिविधियों के लिए मायने रखता है। 2022 के अंत और 2023 के दौरान हमने जो प्रमुख रुझान देखा, वह प्राथमिक बाजारों में विविधता से जुड़ा हुआ था। हमने देखा कि खासकर घरेलू निवेशक बड़ी तादाद में नए थीम पर दांव लगाने को उत्साहित थे। वहीं एफपीआई ने मौजूदा ट्रैक रिकॉर्ड वाली कंपनियों में निवेश बढ़ाने पर जोर दिया। यदि आप बिक्री के सौदों को देखें तो पता चलता है कि घरेलू और एफपीआई की उचित भागीदारी दर्ज की गई।
पिछला वर्ष आकर्षक रहा। हमने बिकवाली और विलय-अधिग्रहण, दोनों से जुड़े सौदे किए। मेरा मानना है कि 2024 और 2025 में भी यह सिलसिला बना रहेगा।