निफ्टी 100 इंडेक्स के आधे शेयरों ने इस साल विश्लेषकों की तरफ से अपनी-अपनी लक्षित कीमतों में कटौती देखी है, जिसकी वजह आय की ढुलमुल रफ्तार और अनिश्चित आर्थिक माहौल है।
अदाणी ग्रीन एनर्जी, एफएसएन ई-कॉमर्स (नायिका), अदाणी पोर्ट्स ऐंड एसईजेड और इंडस टावर्स उन कंपनियों में शामिल हैं जिनकी लक्षित कीमतों में कैलेंडर वर्ष 2023 के पहले तीन महीनों में अधिकतम कटौती हुई है। यह जानकारी ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से मिली।
दूसरी ओर, केनरा बैंक, जेएसडब्ल्यू स्टील और बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयरों की लक्षित कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली है।
साल 2022 की दूसरी छमाही में 100 अग्रणी शेयरों में से करीब 40 फीसदी ने लक्षित कीमतों में कटौती का सामना किया था। विशेषज्ञों ने कहा, विश्लेषकों ने पिछले साल बाजार में खरीदारी के माहौल के बीच आक्रामक बढ़त के लक्ष्य व मूल्यांकन सामने रखे थे। अब वे इन दोनों मानकों में बदलाव कर रहे हैं।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा, शुरू में काफी आशावादी अनुमान थे और अब विश्लेषकों को अहसास हुआ है कि चीजें शायद उतनी अच्छी नहीं हैं।
कोविड के बाद उपभोक्ता सामान की काफी ज्यादा खरीदारी हुई थी, जिससे राजस्व व मुनाफे को मजबूती मिली। अब यह सामान्य स्थिति में आ गया है और ये चीजें बढ़त की नई दरों पर आधारित कीमत लक्ष्य में कुछ समायोजन जरूरी बनाती हैं।
हालिया नोट में बोफा सिक्योरिटीज ने कहा है कि उसे वित्त वर्ष 24 और वित्त वर्ष 25 के लिए आय में बढ़ोतरी के आमसहमति वाले अनुमानों में 50 फीसदी की कटौती की आशंका है।
उसे आय पर जोखिम मुख्य रूप से महंगाई पर लगाम कसने की खातिर फेड के रुख, ग्रामीण इलाके में रिकवरी को प्रभावित करने वाली गर्मी के मौसम की संभावना, शहरी मांग और जमा की ज्यादा दरें व डेट रिटर्न के कारण देसी म्युचुअल फंडों में सक्रिय निवेश पर असर के चलते नजर आ रहा है।
निफ्टी-50 इंडेक्स के लिए 12 महीने आगे का पीई अक्टूबर 2021 के 25 गुने के मुकाबले घटकर अभी 20 गुने के नीचे चला गया है। विश्लेषकों ने कहा कि स्मॉलकैप कंपनियों ने कई अवरोधों के बीच ज्यादा तेज गति से पीई की दोबारा रेटिंग देखी है।
भट्ट ने कहा, हमने दरों में बढ़ोतरी का आखिरी दौर नहीं देखा है और संभावना है कि दरों में बढ़ोतरी तत्काल सर्वोच्च स्तर नहीं पहुंचने वाली। साथ ही यूरोप में भूराजनीतिक तनाव अलग तरह का आयाम बना रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त वजहें हैं जो बाजार में कुछ गिरावट ला सकती हैं। यहां तक कि दिसंबर तिमाही के नतीजे या मार्च तिमाही को लेकर अनुमान (कुछ क्षेत्रों को छोड़कर) नरम हैं।
बाजार के विशेषज्ञों को लगता है कि आने वाले समय में और शेयर आय में कटौती का सामना कर सकते हैं क्योंकि तेल की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी कंपनियों के मार्जिन को चट कर सकती हैं।
भट्ट ने कहा, ज्यादा अहम कारक तेल की कीमतें होंगी क्योंकि यह भारत में महंगाई पर असर डालेगी। अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई की भाषा अहम होगी। कॉरपोरेट इंडिया के पास कीमत की शक्ति नहीं है, जिससे वह महंगाई या ब्याज दरों में बढ़ोतरी की स्थिति में लागत का भार उपभोक्ता पर डाल सके। अगर महंगाई के कारण कीमतें बढ़ती हैं तो कॉरपोरेट को इसका बड़ा हिस्सा समाहित करना होगा।