हाल में तेजी से बढ़ रहे कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट से देसी शेयर बाजार को अपने एक महीने के निचले स्तर से आज अच्छी वापसी करने में मदद मिली। इसके साथ ही अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में नरमी से भी निवेशकों की जोखिम लेने की क्षमता बढ़ी है।
सेंसेक्स 405 अंक चढ़कर 65,632 पर बंद हुआ और निफ्टी 110 अंक के लाभ के साथ 19,546 पर बंद हुआ। दोनों सूचकांक पिछले दो कारोबारी सत्र में करीब 1 फीसदी तक नीचे आ गए थे। 16 साल के उच्च स्तर 4.88 फीसदी पर पहुंचने के बाद 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल घटकर 4.74 फीसदी रह गया।
इस बीच ब्रेंट क्रूड के दाम में 6 फीसदी की गिरावट देखी गई और यह 85 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। पिछले हफ्ते ब्रेंट क्रूड की कीमतें करीब 98 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई थीं।
वैश्विक आर्थिक नरमी से उपभोग मांग कम होने की चिंता के मद्देनजर कच्चे तेल में गिरावट आई है। हाल में कच्चे तेल के दाम में तेजी और सितंबर अंत में अमेरिकी फेडरल रिजर्व के सतर्क बयान से शेयर बाजार पर दोहरी मार पड़ी थी।
विश्लेषकों ने कहा कि अगर तेल के दाम आगे भी नरम रहते हैं तो केंद्रीय बैंकों पर ब्याज दरें ऊंची रखने का दबाव थोड़ा कम होगा।
कुछ लोगों का मानना है कि बाजार में तेजी कमजोर पड़ सकती है क्योंकि अधिकतर निवेशक अभी भी ऊंची ब्याज के किप्रभाव और कंपनियों की आय पर इसके असर को लेकर चिंतित हैं।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘यह राहत भरी तेजी है। बीते कुछ दिनों में विदेशी निवेशकों ने जमकर बिकवाली की है। ऐसे में बाजार वापसी करने का मौका तलाश रहा था और कच्चे तेल तथा बॉन्ड यील्ड में नरमी से तेजी का अवसर मिल गया। लेकिन इसमें तेजी बने रहने की उम्मीद कम है। अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली नहीं थमी तो बाजार को ज्यादा राहत मिलने के आसार नहीं हैं।’
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 1,864 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों 521 करोड़ रुपये की शुद्ध लिवाली की।
अधिकारी होउ वे फूक ने कहा, ‘दरें 2007 के वैश्विक वित्तीय संकट के स्तर पर पहुंचने से और निवेश ग्रेड वाले बॉन्ड पर सालाना ब्याज आय 6 फीसदी के करीब पहुंचने से निवेशकों के लिए लाभांश प्रतिफल वाले शेयरों और नकदी जमा की तुलना में बॉन्ड पसंदीदा हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ ऐसा हुआ, जो बाजार में अव्यवस्था का कारण बन सकता है तो निवेश ग्रेड वाले बॉन्ड शेयरों में गिरावट के समय पोर्टफोलियो को सहारा दे सकते हैं।’
बॉन्ड यील्ड के अलावा निवेशकों की नजर कंपनियों के सितंबर तिमाही के नतीजों पर होगी। शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक के निर्णय से भी बाजार को दिशा मिल सकती है।
भट्ट ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक रीपो दर को यथावत रख सकता है। लेकिन उसका बयान ज्यादा महत्त्वपूर्ण होगा और सतर्क रुख बना रहता है तो बाजार थोड़ा निराश हो सकता है। आरबीआई नरम रुख अपनाने का जोखिम नहीं उठा सकता।’