भारत के बेंचमार्क शेयर सूचकांक- बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी- कैलेंडर वर्ष 2025 में एक अंक की बढ़त के साथ समाप्ति के लिए तैयार हैं। यह दशकों में उसके समकक्ष वैश्विक बाजारों की तुलना में सबसे खराब प्रदर्शन होगा। जहां निफ्टी 50 सूचकांक इस साल अब तक 10.7 प्रतिशत ऊपर है, वहीं सेंसेक्स की बढ़त 9.5 प्रतिशत पर सीमित रही है। इसकी वजह मुख्य रूप से अमेरिकी टैरिफ सहित वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के साथ-साथ कमाई में मामूली वृद्धि होना है।
गौरतलब है कि 2025 में सेंसेक्स और निफ्टी का रिटर्न वैश्विक समकक्षों से काफी कम रहा। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार एमएससीआई इंडिया इंडेक्स 1998 के बाद से सबसे बड़े अंतर से एमएससीआई एशिया पैसिफिक इंडेक्स से पीछे रहा। इसके अलावा, एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स के मुकाबले सूचकांक (एमएससीआई इंडिया इंडेक्स) का प्रदर्शन 1993 के बाद सबसे खराब है।
अलग-अलग देशों की बात करें तो जापान का निक्केई और दक्षिण कोरिया का कोस्पी 2025 में अब तक क्रमशः 28 प्रतिशत और 72 प्रतिशत ऊपर हैं। चीन का सीएसआई 300 इंडेक्स 17 प्रतिशत आंकड़ों से पता चलता है कि वॉल स्ट्रीट पर एसऐंडपी 500 इंडेक्स में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि टेक-हैवी नैस्डैक 100 में 21 प्रतिशत की तेजी आई है। विश्लेषकों ने 2025 में भारतीय शेयरों के खराब प्रदर्शन का कारण अमेरिकी टैरिफ, मामूली आय वृद्धि और घरेलू मोर्चे पर सरकार के कम पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) सहित कई अनिश्चितताओं को बताया है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में एवीपी- पीसीजी रिसर्च ऐंड एडवाइजरी, (फंडामेंटल) वेल्थ मैनेजमेंट नंदीश शाह के अनुसार लंबे समय तक आय में सुस्ती के कारण 2025 में भारतीय शेयरों ने एशियाई और समकक्ष उभरते बाजारों (ईएम) की तुलना में काफी खराब प्रदर्शन किया है।
विश्लेषकों के अनुसार 2025 के वैश्विक बाजार के रुझानों में से एक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के अधिक जुड़े रहे वाले बाजारों के प्रति वैश्विक फंडों का अनुकूल रवैया था। कोटक सिक्योरिटीज में इक्विटी रिसर्च के प्रमुख श्रीकांत चौहान का कहना है कि इस थीम के प्रति भारत के सीमित निवेश ने रिटर्न पर दबाव डाला।
गौरतलब है कि 2025 में एशिया में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश की दौड़ में चीन और जापान सबसे आगे थे, भले ही भारत के नेतृत्त्व में अधिकांश एशियाई बाजारों में वैश्विक फंडों की बिकवाली हुई।
ब्लूमबर्ग के अनुसार सितंबर 2025 तक चीन ने 9622.5 करोड़ डॉलर (नवीनतम डेटा) का निवेश आकर्षित किया। जापान में 12 दिसंबर तक 4697.9 करोड़ डॉलर का निवेश आया। इसके विपरीत भारत से लगभग 1,773.1 करोड़ डॉलर की विदेशी इक्विटी की निकासी हुई।
विश्लेषकों को उम्मीद है कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में बदलाव, ब्याज दरों में कमी, सामान्य मॉनसून, कई साल के निचले स्तर पर मुद्रास्फीति और कच्चे तेल की कीमतों में कमजोरी सहित कई अनुकूल कारकों से भारतीय बाजार वैश्विक समकक्षों की तुलना में कैलेंडर वर्ष 2026 में फिर तेजी दर्ज करेंगे।
कोटक सिक्योरिटीज ने अपने बेस केस में निफ्टी का दिसंबर 2026 का लक्ष्य 29,120 तय किया है, जो मौजूदा स्तर से लगभग 13 प्रतिशत तेजी का संकेत है। लेकिन एमके ग्लोबल ने कहा है कि भारतीय शेयर बाजारों में तेजी तभी आएगी जब भारत-अमेरिका व्यापार समझौता हो जाएगा, क्योंकि उससे भारतीय निर्यात पर शुल्क काफी कम हो जाएंगे।