शेयर बाजार

SEBI जल्द लाएगा F&O के लिए कड़े कायदे, हर साल निवेशकों को लगती है 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत

उद्योग के भागीदारों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर बाजार नियामक ने जुलाई में जारी परामर्श पत्र में सात उपाय प्रस्तावित किए थे।

Published by
खुशबू तिवारी   
Last Updated- September 04, 2024 | 10:57 PM IST

SEBI derivatives trading rules: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) डेरिवेटिव ट्रेडिंग के लिए जल्द ही सख्त नियम अधिसूचित कर सकता है। बाजार नियामक के इस कदम का उद्देश्य अटकलबाजी वाली ट्रेडिंग गतिवि​धियों को काबू में करना है क्योंकि इससे हर साल खुदरा निवेशकों को कुल 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लगती है।

उद्योग के भागीदारों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर बाजार नियामक ने जुलाई में जारी परामर्श पत्र में सात उपाय प्रस्तावित किए थे। मामले के जानकार तीन सूत्रों ने कहा कि सेबी की आगामी बोर्ड बैठक में इसे मामूली बदलाव के साथ लागू किया जा सकता है।

सूत्रों के अनुसार नियामक के पास प्रस्तावों को मंजूरी के लिए बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किए बिना ही अंतिम मानदंड जारी करने का भी प्रावधान है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि नियामक उन खुदरा निवेशकों के हित में जल्द से जल्द सुरक्षा तंत्र कायम करना चाहता है जो अक्सर इस क्षेत्र में अपना पैसा गंवाते रहते हैं।

इस बारे में पु​ष्टि के लिए सेबी को ईमेल किया गया मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।

सेबी के परामर्श पत्र पर 20 अगस्त की समयसीमा तक आम लोगों और प्रमुख हितधारकों सहित 6,000 से अधिक इकाइयों की प्रतिक्रियाएं आईं। सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने पिछले हफ्ते कहा था कि नियामक प्राप्त ढेर सारे सुझावों का विश्लेषण कर रहा है।

सेबी को उपायों का चरणबद्ध तरीके से लागू करना, ट्रेडरों के लिए योग्यता की शर्तें लगाना मानदंड और उच्च मार्जिन आवश्यकता तथा पोजीशन लिमिट से संबं​धित नियमों को थोड़ा आसान बनाने के सुझाव प्राप्त हुए हैं।

सेबी के प्रमुख प्रस्तावों में साप्ताहिक ऑप्शन अनुबंधों को प्रति एक्सचेंज एक सूचकांक तक सीमित करना, सौदे के निपटान के करीब उच्च मार्जिन की आवश्यकता तथा अनुबंध के आकार को बढ़ाना शामिल हैं। इसके साथ ही नियामक ने न्यूनतम अनुबंध आकार को मौजूदा 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 15-20 लाख रुपये करने का भी प्रस्ताव किया है। अनुबंध शुरू होने के छह महीने बाद इसे और बढ़ाया जा सकता है। ये सुझाव एक विशेषज्ञ कार्यसमूह की सिफारिशों पर आधारित थे।

घटनाक्रम के जानकार लोगों ने कहा कि मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (एमआईआई) ने सेबी के विचार पर सैद्धांतिक सहमति जताई है, वहीं एक्सचेंजों ने उच्च मार्जिन की जरूरत और पोजीशन लिमिट पर नजर रखने के प्रस्ताव पर अपनी चिंता से सेबी को अवगत कराया है।

एक सूत्र ने कहा, ‘मार्जिन की जरूरत से इस सेगमेंट में निवेशकों के प्रवेश करने की शर्तें अचानक काफी बढ़ जाएंगी। इसने सीमा पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया है।’ उद्योग संगठन के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि उन्होंने नियमों को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की सलाह दी है। उद्योग संगठन ने ट्रेडरों के लिए योग्यता शर्त तय करने की भी मांग की है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वे किसी विशिष्ट प्रमाणपत्र की आवश्यकता का सुझाव दिया है।

कई ब्रोकरों ने प्रस्तावित दिशानिर्देशों में प्रमुख बदलावों का सुझाव दिया है। इससे चिंता जताई जा रही है कि बदलाव ऑप्शन के प्रति अधिक रुझान ला सकते हैं, जो और जोखिम भरा हो सकता है। सूत्रों ने कहा कि विशेषज्ञ समूह इस बात पर नजर रखेगा कि नए उपाय ट्रेडिंग पैटर्न को कैसे प्रभावित कर रहे हैं। इसके साथ ही वह निवेशक सुरक्षा तथा बाजार की स्थिरता के बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनुवर्ती उपाय सुझाएगा।

हालांकि बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के बदलाव से बाजार पारिस्थितिकी तंत्र में एकाधिकार को बढ़ावा मिल सकता है।

एक अन्य टेक-आधारित ब्रोकर ने कहा कि नए निमयों से इस सेगमेंट में उसका राजस्व 25 से 30 फीसदी घट सकता है। आईआईएफएल सिक्योरिटीज की हालिया रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित सख्ती से नैशनल स्टॉक एक्सचेंज को 20 से 25 फीसदी आय का नुकसान हो सकता है।

First Published : September 4, 2024 | 10:49 PM IST