भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) से आग्रह किया है कि वह एएमसी रीपो क्लीयरिंग (ARCL) में बैंकों और प्राइमरी डीलरों को भी हिस्सा लेने के लिए कुछ मंजूरी दे। सेबी के कार्यकारी निदेशक प्रमोद राव ने कहा कि इनकी भागीदारी बढ़ने से एआरसीएल प्लेटफॉर्म पर लेन-देन बढ़ जाएंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले वर्ष जुलाई में एआरसीएल की शुरुआत की थी। इसका मकसद कॉर्पोरेट बॉन्ड रीपो बजार में लेन-देन को बढ़ावा देना था। राव ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान कॉर्पोरेट बॉन्ड रीपो बाजार में लेन-देन बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इस प्लेटफॉर्म पर हरेक महीने 10,000 करोड़ से 15,000 करोड़ रुपये के बीच लेन-देन हो रहे हैं।
कारोबारियों का कहना है कि एआरसीएल क्वालिफाइड सेंट्रल काउंटरपार्टी (क्यूसीसीपी) के रूप में वर्गीकृत नहीं हुआ है। इस कारण बैंक और प्राइमरी डीलर इसके लेन-देन में भाग नहीं ले सकते।
राव ने ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में कहा, ‘एआरसीएल में डीलरों और बैंकों को शिरकत करने की अनुमति देने के लिए हम आरबीआई से बातचीत कर रहे हैं। बैंक और डीलर भी अगर इसमें आते हैं तो यह बाजार और मजबूत होगा। एआरसीएल प्लेटफॉर्म पर बिना बैंकों और डीलरों के भी कारोबार काफी हो रहा है। हालांकि, ये दोनों आएंगे तो लेन-देन और बढ़ जाएंगे।’
राव ने कॉर्पोरेट बॉन्ड और डेट बाजार को मजबूत बनाने के लिए सेवी द्वारा उठाए गए कदमों की भी चर्चा की।