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सेबी ने इंडेक्स ऑप्शंस में इंट्राडे पोजीशन लिमिट सख्त की, बाजार की स्थिरता बढ़ाने का लक्ष्य

1 अक्टूबर से वायदा समतुल्य आधार पर इंट्राडे की शुद्ध पोजीशन की सीमा बढ़कर प्रति इकाई 5,000 करोड़ रुपये तक हो जाएगी

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- September 02, 2025 | 9:47 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सूचकांक विकल्पों (इंडेक्स ऑप्शन्स) में इंट्राडे पोजीशन सीमा के नियमन के लिए सख्त व्यवस्था शुरू की है। इसका मकसद सट्टेबाजी और बाजार में संभावित हेरफेर पर लगाम कसना है। 1 अक्टूबर से वायदा समतुल्य आधार पर इंट्राडे की शुद्ध पोजीशन की सीमा बढ़कर प्रति इकाई 5,000 करोड़ रुपये तक हो जाएगी। इससे पहले ट्रेडरों को कारोबारी सत्र के अंत में सिर्फ 1,500 करोड़ रुपये की सीमा का पालन करना होता था। लिहाजा, बेरोकटोक इंट्राडे पोजीशन की सुविधा मिल जाती थी।

इसके अतिरिक्त, इंट्राडे सकल पोजीशन की सीमा 10,000 करोड़ रुपये प्रति इकाई पर बरकरार रहेगी। यह लॉन्ग और शॉर्ट पोजीशन के लिए अलग-अलग है। सेबी ने 1 जुलाई से यह उपाय लागू किया था। डेल्टा आधारित या वायदा समकक्ष ओपन इंटरेस्ट की गणना में बदलाव मई में एक परिपत्र के जरिये लागू किया गया था।

यह बढ़ी हुई नियामकीय व्यवस्था बैंक निफ्टी सूचकांक में कथित हेरफेर को लेकर जेन स्ट्रीट समूह पर सेबी की हालिया कार्रवाई के बाद आई है। नई सीमाओं से ट्रेडिंग गतिविधियों, खासकर संस्थागत निवेशकों और प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग डेस्क के बीच, में नरमी की उम्मीद है।

अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों को निर्देश दिया है कि वे कारोबारी सत्र के दौरान कम से कम चार रैंडम पोजीशन स्नैपशॉट के जरिये इन इंट्राडे सीमा की निगरानी करें। गौरतलब है कि एक स्नैपशॉट बाजार बंद होने के समय दोपहर 2:45 से 3:30 बजे के बीच तब होना चाहिए, जब ट्रेडिंग वॉल्यूम आमतौर पर अधिकतम होता है। एक्सचेंजों को इन स्नैपशॉट्स को कैप्चर करते समय अंतर्निहित परिसंपत्तियों की कीमतों को भी ध्यान में रखना होगा।

ऐंजल ब्रोकिंग की डेरिवेटिव रिसर्च एनालिस्ट स्नेहा सेठ ने कहा, खुदरा ग्राहकों के लिहाज से बात करें तो इंडेक्स ऑप्शंस में इंट्राडे पोजीशन की सीमा सख्त बनाने से एक्सपायरी के दिनों में अस्थिरता कम होगी और कीमतों में बेतहाशा उतार-चढ़ाव रुकेगा। इससे सुरक्षित और नियंत्रित कारोबारी माहौल बनेगा। उन्होंने कहा, बड़े प्रतिभागियों की कम भागीदारी के कारण सटोरिया अवसर सीमित हो सकते हैं और तरलता में मामूली गिरावट आ सकती है, लेकिन ये उपाय अंततः छोटे ट्रेडरों को बड़े जोखिमों और इंट्राडे बाजार में अचानक होने वाले तेज उतार-चढ़ाव से बचाएंगे।

डेरिवेटिव के एक और वरिष्ठ विश्लेषक ने बताया कि इन बदलावों से बाजार का फोकस ऑटोमेशन और हेजिंग रणनीतियों की ओर हो जाएगा जिससे शुद्ध सट्टेबाजी के बजाय अधिक सोच-समझकर जोखिम लेने और दीर्घकालिक पोजीशन को बढ़ावा मिलेगा।

इससे पहले इंट्राडे सीमा लागू करने की योजना को स्थगित कर दिया गया था। लेकिन अनुबंध की एक्सपायरी के आसपास इंट्राडे वायदा समकक्ष भारी भरकम पोजीशनों के हाल के उदाहरणों और इससे जुड़ी बाजार अखंडता के जोखिमों को देखते हुए सेबी ने दुबारा से इस पर चर्चा शुरू की।

सेबी ने एक परिपत्र में कहा, अनुबंध की एक्सपायरी के दिन इंडेक्स ऑप्शनों में कुछ इकाइयों की बड़ी इंट्राडे फ्यूचर इ​क्विटी पोजीशन के उदाहरणों और बाजार अखंडता के लिए इसके जोखिमों के आधार पर इस बारे में स्टॉक एक्सचेंजों के साथ चर्चा की गई थी। इसमें इंडेक्स ऑप्शनों लिए इंट्राडे निगरानी ढांचे को मजबूत करने की बात शामिल थी।

नियामक ने इस बात पर जोर दिया कि इन उपायों का मकसद बाजार को स्थिर करना है। साथ ही तरलता मुहैया कराने वालों और बाजार निर्माताओं की भागीदारी को सक्षम बनाना है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी धीरज रेली ने कहा कि नई व्यवस्था ट्रेडिंग गतिविधियों को सीमित करने के लिए नहीं है बल्कि व्यवस्थित बाजार सुनिश्चित करने के बारे में है। उन्होंने कहा कि नई सीमा में जायज ट्रेडिंग और तरलता प्रावधान के लिए पर्याप्त गुंजाइश है। लिहाजा, वॉल्यूम पर बहुत अधिक असर की संभावना नहीं है।

एक्सपायरी के दिनों में पोजीशन सीमा का उल्लंघन करने पर जुर्माना या अतिरिक्त निगरानी जमा राशि ली जाएगी। यह 6 दिसंबर से प्रभावी होगी और स्टॉक एक्सचेंज इस दंड के बारे में फैसला करेंगे। एक्सचेंज सीमा से अधिक पोजीशन लेने वाली संस्थाओं के ट्रेडिंग पैटर्न की भी समीक्षा करेंगे और ऐसी पोजीशन पर स्पष्टीकरण मांगेंगे।

First Published : September 2, 2025 | 9:41 PM IST