भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रियल एस्टेट निवेश ट्रस्टों (रीट्स) को इक्विटी योजना के रूप में वर्गीकृत करने का फैसले किया है। इससे डेवलपरों और प्रायोजकों को नए रीट्स शुरू करने के लिए प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। उद्योग पर नजर रखने वालों और क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने ये बातें कही है।
ब्लैकस्टोन समर्थित नॉलेज रियल्टी ट्रस्ट के नवीनतम रीट के मुख्य परिचालन अधिकारी कैसर परवेज ने कहा कि इस कदम से ट्रेडिंग वॉल्यूम और मूल्य निर्धारण में सुधार होगा। इक्विटी इंडेक्स समावेशन के रास्ते निष्क्रिय और सक्रिय निवेश को आकर्षित करेंगे, जिससे तरलता और बढ़ेगी। मज़बूत बाजार पहुंच और निवेशकों की बढ़ती मांग भी डेवलपरों और प्रायोजकों को नए रीट उतारने के लिए प्रोत्साहित करेगी, जिससे कार्यालयों से लेकर लॉजिस्टिक्स, रिटेल और डेटा सेंटर तक परिसंपत्ति आधार का विस्तार होगा।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी, तरलता और मूल्यांकन में सुधार होगा और रीट बाजार में गहराई आएगी। भारतीय रीट एसोसिएशन को उम्मीद है कि शेयर बाजार रीट को शामिल करने के लिए सूचकांक पात्रता मानदंडों में संशोधन करेंगे। इससे पहले, इन योजनाओं को हाइब्रिड के रूप में वर्गीकृत किया जाता था।
भारत के पहले सूचीबद्ध ट्रस्ट एम्बेसी रीट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमित शेट्टी ने कहा, यह निवेशक भागीदारी को व्यापक बनाने, तरलता बढ़ाने और रीट्स को मुख्यधारा की परिसंपत्ति वर्ग के रूप में मजबूत करने के लिए उत्प्रेरक का कार्य करेगा।
इस वर्गीकरण से म्युचुअल फंड और संस्थागत निवेशकों के निवेश को बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद है। सेबी ने कहा कि रीट्स में इक्विटी जैसी खूबियां हैं – ज्यादा तरलता और वैश्विक बाजार परंपराओं के साथ ज्यादा तालमेल।
एनारॉक कैपिटल के सीईओ शोभित अग्रवाल के अनुसार इस कदम से बाजार अधिक तरल बनेगा, सूचकांक समावेशन संभव होगा, निष्क्रिय प्रवाह आएगा और रीट्स के बारे में निवेशकों की धारणा जटिल से सरल इक्विटी परिसंपत्तियों में बदल जाएगी।
अभी म्युचुअल फंड अपने एनएवी का 10 फीसदी तक रीट्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्टों में निवेश कर सकते हैं। इसमें किसी एकल इकाई की यूनिटों के लिए 5 फीसदी की सीमा है। इक्विटी ओरिएंटेड का पात्र बनने के लिए किसी फंड की कम से कम 65 फीसदी परिसंपत्तियां इक्विटी में होनी चाहिए।
रीट लॉबी ने व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सेबी द्वारा ‘रणनीतिक निवेशक’ श्रेणी का विस्तार किए जाने का भी स्वागत किया। इससे पहले सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों, बीमा निधियों, भविष्य निधि और पेंशन निधियों जैसी कई नियमन संस्थाओं को इससे बाहर रखा गया था।
ब्रुकफील्ड इंडिया रियल एस्टेट ट्रस्ट के प्रबंध निदेशक और सीईओ आलोक अग्रवाल ने कहा, यह नियामकीय प्रगति भारत के रीट बाजार के विकास को रफ्तार प्रदान करेगी, जिससे तरलता बढ़ेगी और भागीदारी में इजाफा होगा। हमें उम्मीद है कि इस कदम से भारतीय रीट को बेंचमार्क सूचकांकों में शामिल करने में आसानी होगी, जिससे अधिक निवेशक आकर्षित होंगे और व्यापक पूंजी बाजारों में इस योजना का आकर्षण बढ़ेगा।
माइंडस्पेस रीट के एमडी और सीईओ रमेश नायर ने कहा कि सेबी के फैसले से विकास के अगले चरण में तेजी आएगी और आय देने वाली परिसंपत्तियों में संस्थागत पूंजी के लिए भारत की अपील मजबूत होगी।
संशोधन के तहत रणनीतिक निवेशकों में अब सभी पात्र संस्थागत खरीदार शामिल हैं, जैसे सार्वजनिक वित्तीय संस्थान, कम से कम 25 करोड़ रुपये के कोष के साथ भविष्य निधि और पीएफआरडीए पंजीकृत पेंशन फंड, एआईएफ, राज्य औद्योगिक विकास निगम, पारिवारिक ट्रस्ट और 500 करोड़ रुपये से अधिक की निवल संपत्ति वाले सेबी पंजीकृत मध्यस्थ और भारतीय रिजर्व बैंक के साथ पंजीकृत मध्यम से शीर्ष स्तरीय एनबीएफसी।