शेयर बाजार

अगले दशक में खुदरा निवेश में नजर आएगी ग्रोथ

यह ‘नए युग’ बनाम ‘पुराने युग’ की बात नहीं है। यह यूजर्स की जरूरतों को समझने और उन्हें पूरा करने के बारे में है।

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समी मोडक   
Last Updated- November 24, 2025 | 9:07 AM IST

तीन दशक पुरानी ब्रोकरेज फर्म ऐंजल वन ने तकनीक और निवेशकों के परिवर्तित व्यवहार से उद्योग में हुए बदलाव में अपनी बढ़त बरकरार रखी है। ब्रोकरेज के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक दिनेश ठक्कर ने मुंबई में समी मोडक को दिए साक्षात्कार में बताया कि कंपनी सक्रिय ग्राहकों की संख्या में तीसरे स्थान पर कैसे पहुंची। साथ ही उन्होंने भारत के ब्रोकिंग परिदृश्य को आकार देने वाले संरचनात्मक बदलावों के बारे में बताया और कहा कि उन्हें विकास की एक और लहर की उम्मीद आखिर क्यों है। संपादित अंश:

किन चीजों से भारत के पूंजी बाजारों में वृद्धि हो रही है?

डेमोग्राफी और डिजिटल अपनाने से, भारत की जनसंख्या का डायनेमिक्स मौलिक है। 2015 के बाद मुद्रास्फीति पर नियंत्रण ने इक्विटी को अन्य परिसंपत्तियों के मुकाबले ज्यादा आकर्षक बना दिया। भारत के सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे आधार आधारित प्रमाणीकरण, यूपीआई और ईकेवाईसी ने टियर-2 शहरों में बाजारों को सुलभ बनाया, जिससे हम जैसे तकनीक संचालित कंपनियों को लाभ हुआ।

तकनीक संचालित प्रतिद्वंद्वियों के विरुद्ध ऐंजल वन किस प्रकार कड़ी प्रतिस्पर्धा में बनी हुई है?

यह ‘नए युग’ बनाम ‘पुराने युग’ की बात नहीं है। यह यूजर्स की जरूरतों को समझने और उन्हें पूरा करने के बारे में है। तकनीक तभी मायने रखती है जब वह वास्तविक समस्याओं का समाधान करे। यूजर्स को सबसे अच्छा अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिस्पर्धी का विश्लेषण द्वि‍तीयक मामला है। इसी सोच ने हमें चुस्त बनाए रखा है।

जब पारंपरिक कंपनियां पिछड़ रही थीं तो ऐंजल वन को सही तकनीक अपनाने में किससे मदद मिली?

पूंजी बाजार लंबे समय से तकनीक प्रधान रहे हैं। 1990 के दशक में भी हमने स्क्रीन आधारित ट्रेड का रुख किया और देश भर में बहुत छोटे एपर्चर वाले टर्मिनलों का विस्तार किया। असली अंतर मूल्य निर्धारण का था – ग्राहक हासिल करने और उनकी सेवा करने की लागत कम करने के लिए तकनीक का उपयोग। 2019 में प्रतिशत आधारित कमीशन से प्रति ऑर्डर निश्चित मूल्य निर्धारण की ओर कदम बढ़ाना परिवर्तनकारी था। डिजिटल अधिग्रहण ने अल्पकालिक राजस्व गिरावट को मात दे दी, जिससे ग्राहकों की संख्या 2019 के 12.9 लाख से बढ़कर 2024-25 में करीब 3.1 करोड़ हो गई।

क्या कम लागत वाली कीमत की रणनीति जोखिम भरी है?

हां। कीमतें कम करने से प्रति ग्राहक राजस्व को खतरा था। लेकिन हमारा अनुमान था कि प्रति ग्राहक 65 फीसदी की हानि के बावजूद 100 गुना ज्यादा ग्राहक हासिल करने से मुनाफा बढ़ेगा। इस भरोसे की छलांग ने हमें ज़बरदस्त वृद्धि के लिए तैयार किया, जो महामारी के दौरान और तेज हो गई।

क्या वृद्धि खुद के दम पर विस्तार पर या सक्रिय विपणन पर ज्यादा निर्भर था?

पूरी तरह से खुद के दम पर नहीं। प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण के लिए गूगल, प्ले स्टोर और एंड्रॉइड के जरिये भारी विज्ञापन की ज़रूरत थी, साथ ही वित्तीय
शिक्षा और क्षेत्रीय जुड़ाव की भी, जिससे महानगरों से आगे भी जुड़ाव गहरा होता गया।

नए ग्राहकों को ऐंजल वन के चयन को क्या प्रभावित करती है?

लागत मायने रखती है, लेकिन प्लेटफॉर्म का अनुभव (इंटेलिजेंस, वैयक्तिकरण) भी उतना ही मायने रखता है। एक बार जुड़ने के बाद यूजर्स बने रहते हैं। 2019 से पहले के ग्राहक (15-18 लाख) बने हुए हैं जबकि 2020-21 और 2022-23 के बीच हासिल आधे ग्राहक लेन देन जारी रखे हुए हैं, जो मजबूत जुड़ाव को दर्शाता है।

क्या यूपीआई ने ग्राहकों के व्यवहार को बदल दिया है और बैंक-ब्रोकर खाते की अपील को कम कर दिया है?

बिल्कुल। यूपीआई ने सभी को एकसमान अवसर प्रदान किया है – ब्रोकर ऐप्स पर भुगतान बैंकिंग प्लेटफ़ॉर्म जितना ही आसान है, जिससे ‘3 इन 1’ खातों की प्रासंगिकता कम हो गई है।

क्या बाजार का विस्तार स्थिर हो रहा है?

अभी नहीं। 21 करोड़ खातों में से कई निष्क्रिय हैं। खुदरा भागीदारी अभी भी कमजोर है। अगले दशक में आय बढ़ने और जागरूकता बढ़ने के साथ यह आधार कई गुना बढ़ जाएगा।

क्या डेरिवेटिव पर बाजार नियामक सेबी की कार्रवाई से कारोबारी वॉल्यूम का ट्रेंड प्रभावित हुआ है?

नियमन से अतिरेक कम हुए हैं। साप्ताहिक एक्सपायरी कटौती ने नए इंस्ट्रूमेंट के लिए गुंजाइश बनाई है। पिछले साल के शिखर से वॉल्यूम भले ही कम हुआ हो, लेकिन 2020-2022 की तुलना में यह अभी भी ऊंचा बना हुआ है, जिससे बाजार की स्थिरता और विश्वसनीयता मजबूत हुई है।

क्या भारत को डेरिवेटिव के लिए वित्तीय या जानकारी संबंधी नियंत्रण लगाना चाहिए?

शिक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन सभी शेयरधारकों को सभी उपकरणों तक पहुंच मिलनी चाहिए। धन या ज्ञान तक सीमित रहना आदर्श नहीं है, यूजर्स की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

First Published : November 24, 2025 | 9:07 AM IST