विदेशी ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनली ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत का इक्विटी बाजार वृद्धि चक्र में संभावित बदलाव को कम करके आंक रहा है। मौजूदा मूल्यांकनों में देश का सुधरता व्यापक बुनियादी आधार और आगामी आय में सुधार पूरी तरह नहीं झलकता है। अमेरिका मुख्यालय वाली इस कंपनी का मानना है कि आय और इक्विटी में वृद्धि अभी आनी बाकी है जो मजबूत घरेलू खपत, मजबूत जनसांख्यिकीय रुझानों, सक्रिय नीतिगत सुधारों और बढ़ते इन्फ्रा निवेश के बल पर होगी।
मॉर्गन स्टैनली को लग रहा है कि वैश्विक उत्पादन में भारत की बढ़ती हिस्सेदारी, मजबूत वित्तीय और मौद्रिक ढांचे, बढ़ते उद्यमी वर्ग, बेहतर सामाजिक परिणामों और बेहतर पूंजीगत खर्च चक्र की वजह से उसकी रेटिंग में सुधार की अच्छी संभावना है। यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब भारतीय बाजारों का उभरते बाजारों (ईएम) के अपने समकक्षों की तुलना में काफी खराब प्रदर्शन रहा है।
एमएससीआई ईएम इंडेक्स ने 2025 के सभी आठ कैलेंडर महीनों में सकारात्मक रिटर्न दिया है। यह (एक जनवरी से) अब तक 17 प्रतिशत बढ़ा है। इसके विपरीत भारतीय शेयर बाजार (जिनका ईएम पैमाने पर तीसरा सबसे बड़ा वेटेज है) अगस्त में लगातार दूसरे महीने गिरे और उन्होंने आठ महीनों में से केवल चार में ही बढ़त दर्ज की है। एक जनवरी से देखें तो निफ्टी 50 में 3 प्रतिशत से भी कम की वृद्धि हुई है और यह ईएम इंडेक्स से काफी पीछे है।
इस कमजोरी का एक असर विदेशी निवेशकों की बिकवाली के रूप में दिखा है। विदेशी निवेशकों ने सुस्त आय वृद्धि के बीच भारतीय इक्विटी में अपना निवेश घटाया है। भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ से आर्थिक अनिश्चिततता और ज्यादा गहरा गई है जिससे निवेशकों का भरोसा भी डगमगाया है। मॉर्गन स्टैनली ने रक्षात्मक और बाहरी चुनौतियों से जुड़े सेक्टरों की तुलना में घरेलू चक्रीय शेयरों को तरजीह दी है।
ब्रोकरेज ने वित्त, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी और औद्योगिक क्षेत्रों पर अधिक सकारात्मक रुख अपनाया है। ऊर्जा, सामग्री, यूटिलिटीज और हेल्थकेयर पर अंडरवेट नजरिया रखा है। मॉर्गन स्टैनली के इक्विटी रणनीतिकारों रिधम देसाई और नयनत पारेख ने कहा है, ‘यह समय वृहद कारकों पर ज्यादा ध्यान देने के बजाय समझदारी से शेयर चयन करने वालों के लिए अच्छा है।’