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Investment Strategy: ‘जोखिम है लेकिन मौका भी, बदलें अपनी रणनीति’, आनंद शाह ने निवेशकों को क्या सलाह दी?

आनंद शाह ने कहा कि टैरिफ उपायों की घोषणा में वैश्विक व्यापार और खपत को कमजोर करने की क्षमता है।

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- April 13, 2025 | 10:10 PM IST

हाल ही में डॉनल्ड ट्रंप की टैरिफ घोषणाओं ने बाजार में भारी बिकवाली की स्थिति पैदा कर दी। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी में पीएमएस और एआईएफ इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश अधिकारी आनंद शाह ने एक ईमेल साक्षात्कार में पुनीत वाधवा को बताया कि विविधता वाले विभिन्न इक्विटी फंडों (फ्लेक्सीकैप) में निवेश की रणनीति से निवेशकों के सामने समय से जुड़ा जोखिम कम होगा और वे बाजार में दांव लगा सकेंगे। बातचीत के मुख्य अंश:

अमेरिकी टैरिफ और उनके प्रभाव के कारण वर्ष 2025 के अधिकांश समय तक बाजारों में सुस्ती दिखेगी?

टैरिफ उपायों की घोषणा में वैश्विक व्यापार और खपत को कमजोर करने की क्षमता है जिससे निर्यात के लिए सामान तैयार करने वाले निर्माताओं के मार्जिन और कारोबार की मात्रा, दोनों पर दबाव पड़ेगा। इससे वृद्धि धीमी और धीमी मुद्रास्फीति की स्थिति बन सकती है खासतौर पर यदि देश घरेलू बाजारों की सुरक्षा के लिए बराबरी का शुल्क लागू करते हैं। हालांकि, यूरोप, चीन और कुछ हद तक भारत में सरकारें स्थानीय मांग का समर्थन करने के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन शुरू करके इसका मुकाबला कर सकती हैं, जिससे वैश्विक मंदी कुछ हद तक कम हो सकती है। इस संदर्भ में, घरेलू बाजारों पर ध्यान देने वाले कारोबारों को सबसे अधिक लाभ मिलने की संभावना है।

एक व्यापक बाजार दृष्टिकोण के लिहाज से हमारा मानना है कि मुनाफे के सामान्यीकरण का दौर काफी हद तक पीछे छूट गया है। आगे, वृद्धि संभवत: सालाना करीब 10-11 फीसदी नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को दर्शाएगी।  पिछले कई कुछ वर्षों से मूल्यांकन अधिक उम्मीदों को दर्शा रहे हैं ऐसे में निवेशकों को अपनी रिटर्न से जुड़ी उम्मीदों का समायोजन इसके ही मुताबिक करना चाहिए।

क्या बाजार मूल्यांकन अब खरीदारी के लिए आकर्षक हो गया है?

अमेरिकी टैरिफ पर बाजार की प्रतिक्रिया विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकती है। लार्जकैप सूचकांक बेहतर मूल्यांकन देते हुए प्रतीत हो रहे हैं। हालांकि  मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक और विशेष रूप से मिडकैप अब भी अपने ऐतिहासिक मूल्यांकन की तुलना में प्रीमियम पर कारोबार कर रहे हैं, जिससे वे अपेक्षाकृत जोखिम के आधार पर कम आकर्षक हो जाते हैं। केवल मूल्यांकन के आधार पर खरीदारी के संकेत पर जोर दिए जाने के बजाय निम्नतम स्तर पर आ चुके शेयरों के चयन पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। बाजार में कुछ चुनिंदा क्षेत्र अवसर देने के लिए तैयार दिखते हैं। हमारी निवेश रणनीति मौलिक रूप से मजबूत कारोबार की पहचान करने पर आधारित है जिनमें दीर्घकालिक आय वृद्धि की क्षमता हो।

वित्त वर्ष 2025 में जनवरी-मार्च तिमाही (चौथी तिमाही) की आमदनी के लिए आपकी क्या उम्मीदें हैं?

पूंजीगत व्यय वाले क्षेत्रों के जरिये आमदनी बढ़ने की संभावना है क्योंकि सरकार और निजी क्षेत्र दोनों से पूंजीगत खर्च में फिर से तेजी आने में मजबूत बैलेंसशीट और बेहतर परिचालन दक्षता का समर्थन मिला है। इसके विपरीत हम उपभोग आधारित क्षेत्रों में कम आय वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। कई विश्लेषक वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के लिए मामूली वृद्धि का अनुमान लगा रहे हैं। लंबी अवधि में, वित्त वर्ष 2026 के लिए आमदनी में सुधार दिखना चाहिए जो सरकारी खर्च और पूंजीगत व्यय में वृद्धि द्वारा समर्थित हो। संरचनात्मक रूप से, हम मानते हैं कि देश का कंपनी जगत नॉमिनल जीडीपी विकास के अनुरूप 10-12 प्रतिशत की आय वृद्धि दर बनाए रख सकता है।

एक फंड मैनेजर के तौर पर, इस वित्त वर्ष में आपकी सबसे बड़ी सफलता और असफलताएं क्या रही हैं?

इस वर्ष, हमारी दोबारा आवंटन की सक्रिय रणनीति अच्छी तरह से काम कर गई। हमने मिडकैप और स्मॉलकैप में निवेश कम कर दिया और बैंकिंग, दूरसंचार और औद्योगिक क्षेत्रों की कुछ चुनिंदा लार्जकैप कंपनियों में अपना पोजिशन कम कर दिया है। इन कदमों ने हमारे प्रदर्शन में सकारात्मक योगदान दिया है।

मौजूदा दौर में पहली बार के निवेशक के लिए आप किस तरह के परिसंपत्ति आवंटन रणनीति की सिफारिश करेंगे?

व्यापक आर्थिक माहौल अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है लेकिन हाल की तिमाहियों में वृद्धि चुनौतीपूर्ण रही है। बढ़े हुए सरकारी खर्च, मौद्रिक सुगमता और निजी पूंजीगत व्यय और खपत में सुधार से वित्त वर्ष 2026 के लिए अर्थव्यवस्था और वृद्धि के दृष्टिकोण में सुधार होना चाहिए।

First Published : April 13, 2025 | 10:10 PM IST