शेयर बाजार

शेयर बाजार में रोजाना पॉजिटिव बदलाव की उम्मीद करना बेमानी: Kalpen Parekh

कल्पेन पारेख का कहना है कि लंबी अवधि के निवेशकों को सिर्फ वृहद कारकों में बदलाव के कारण अपने फंड पोर्टफोलियो में कोई भी बदलाव करने से परहेज करना चाहिए।

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- May 27, 2024 | 9:45 PM IST

घरेलू और वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच मुख्य सूचकांकों को ऊंचे स्तर पर बने रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसी अनिश्चितता के बीच निवेशकों को क्या करना चाहिए?

डीएसपी म्युचुअल फंड (DSP Mutual Fund) के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी कल्पेन पारेख (Kalpen Parekh) ने एक ईमेल इंटरव्यू में पुनीत वाधवा को बताया कि लंबी अवधि के निवेशकों को सिर्फ वृहद कारकों में बदलाव के कारण अपने फंड पोर्टफोलियो में कोई भी बदलाव करने से परहेज करना चाहिए। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

-लोकसभा चुनावों से बाजार में उतार-चढ़ाव को बढ़ावा मिला है। आपके फंड प्रबंधक इस अनिश्चित दौर का सामना कैसे कर रहे हैं?

हमें यह समझना चाहिए कि कीमतों में उतार-चढ़ाव का स्वाभाविक क्रम है, और शेयर बाजार में रोजाना सकारात्मक बदलाव की उम्मीद करना अनुचित है। व्यवसाय की अंतर्निहित वैल्यू उनकी बाजार कीमतों के मुकाबले मजबूत बनी हुई है और कुछ क्षेत्र नई ऊंचाइयां छू रहे हैं।

हम मध्यस्थता के अवसरों की पहचान करने के लिए इन असमानताओं का लाभ उठाते हैं, जिसका लक्ष्य मध्यावधि से दीर्घावधि में मौलिक व्यावसायिक मूल्य के साथ बाजार की कीमतों के अंतर का लाभ उठाना है।

हम वाहन, विद्युत, रक्षा, रेलवे और आवास जैसे क्षेत्रों में संतुलित पोर्टफोलियो बनाएंगे और साथ ही बैंकिंग और बीमा जैसे उचित मूल्यांकन वाले क्षेत्रों में अपनी बड़ी पोजीशन बरकरार रखेंगे। हम उपभोक्ता वस्तु और
स्पेशियल्टी केमिकल जैसे चक्रीय बदलाव से गुजर रहे क्षेत्रों पर भी नजर रख रहे हैं।

-क्या बाजार में निवेश योग्य शेयरों और थीमों का चयन अब ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है?

हमारे लार्जकैप, डाइवर्सिफाइड, फोकस्ड और थीमेटिक फंडों ने पिछले दो साल में इंडेक्स प्रतिफल के मुकाबले बेहतर कमाई की। हम दुनिया के कई हिस्सों में अन्य भूराजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच बड़ा पूंजी प्रवाह देख रहे हैं। पूंजी प्रवाह बढ़ने से मूल्यांकन भी महंगे हुए हैं।

हम कंपनियों के बुनियादी सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित रखने और सही कीमतों पर अच्छी कंपनियों में निवेश से जुड़े रहने की कोशिश करते हैं।

-मौजूदा समय में बाजार मूल्यांकन से आप कितने सहज हैं?

रक्षा, रेलवे, इंजीनियरिंग, नवीन ऊर्जा और विद्युत क्षेत्र की कंपनियों में मूल्यांकन ऊंचाई पर हैं। मुनाफे में सुधार और शेयरों में तेजी से बढ़ता निवेश अब मूल्यांकन वृद्धि का जोखिम बढ़ा रहा है। इन क्षेत्रों में अब पूंजी पर प्रतिफल (आरओई) और नकदी प्रवाह को लेकर सुनिश्चित होना ज्यादा जरूरी है।

दूसरी तरफ, बड़े सूचकांक भार में शामिल बैंकों की कीमतें अच्छे बुनियादी आधार के बावजूद गिरी हैं या इनमें ठहराव बना हुआ है। स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियों में अच्छी तेजी देखी गई, जिससे मूल्यांकन महंगा हो गया। हम रुक-रुक कर निवेश और एसआईपी के जरिये निवेश को उपयुक्त मान रहे हैं।

-छोटे निवेशकों को अपने एमएफ पोर्टफोलियो किस तरह से पुन: संतुलित बनाने चाहिए?

भारत में, मुद्रास्फीति के बेहतर प्रबंधन की वजह से भारतीय बॉन्डों की मांग सुधर रही है और हमने अपने डेट फंडों में अवधि बढ़ाई है जिससे यह संकेत मिलता है कि ये निवेश करने के लिए अच्छी दरें हैं और हम उम्मीद करते हैं कि दरें स्थिर रहेंगी या गिरेंगी।

वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं कर्ज से जुड़ी हुई हैं और उन्हें दो साल पहले की तुलना में ऊंची दरों पर इस ऋण का भुगतान करने की आवश्यकता होगी। ये दरें भी दोनों दिशाओं (ऊपर या नीचे) में तेजी से अस्थिर रही हैं। केंद्रीय बैंक आक्रामक तरीके से सोना शामिल कर रहे हैं। ऐसे परिवेश में, सतर्कता बरतना जरूरी है।

First Published : May 27, 2024 | 9:43 PM IST