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आय में चिंता और FPI बिकवाली के बीच सेंसेक्स-निफ्टी में गिरावट, इन्फोसिस का सबसे खराब प्रदर्शन

सप्ताह में 1% की गिरावट, इन्फोसिस और ऐक्सिस बैंक ने गिरावट में सबसे ज्यादा योगदान दिया, जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बढ़त में किया नेतृत्व।

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- January 17, 2025 | 10:20 PM IST

कंपनियों की आय और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निरंतर बिकवाली की चिंता के बीच भारतीय शेयर सूचकांकों ने लगातार दूसरे साप्ताह गिरावट दर्ज की। सेंसेक्स ने शुक्रवार को 424 अंकों की गिरावट के साथ 76,619 पर कारोबार की समाप्ति की। निफ्टी 130 अंक गिरकर 23,182 पर टिका। इस हफ्ते दोनों सूचकांकों में एक फीसदी की गिरावट आई जो 17 नवंबर, 2024 के बाद साप्ताहिक गिरावट का सबसे लंबा सिलसिला है।

निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.2-0.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई। बीएसई में सूचीबद्ध फर्मों का कुल बाजार पूंजीकरण 31,400 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी के साथ 429 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। शुक्रवार को इंडेक्स की गिरावट में मोटे तौर पर इन्फोसिस, आईसीआईसीआई बैंक और ऐक्सिस बैंक का योगदान रहा।

5.7 फीसदी गिरने वाला इन्फोसिस सेंसेक्स की गिरावट में सबसे ज्यादा योगदान करने वाला और सेंसेक्स के शेयरों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला शेयर रहा। शुक्रवार को इन्फोसिस की गिरावट 18 नवंबर, 2024 के बाद इस शेयर की सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट है। सॉफ्टवेयर दिग्गज ने हालांकि वित्त वर्ष 25 के लिए राजस्व अनुमान में इजाफा किया है लेकिन विश्लेषकों ने उसकी आय की गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई है।

ऐक्सिस बैंक का शेयर 4.7 फीसदी गिरा और सेंसेक्स में दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन किया। इसने सेंसेक्स की गिरावट में तीसरा सबसे बड़ा योगदान किया। बैंक ने दिसंबर तिमाही में लोन लॉस प्रावधान में बढ़ोतरी की सूचना दी है जिसकी वजह नए कर्जों में चूक शामिल है। 2.6 फीसदी की उछाल दर्ज करने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने दिसंबर तिमाही में अनुमान से बेहतर शुद्ध लाभ दर्ज किया है और सेंसेक्स की बढ़त में सबसे ज्यादा योगदान इसीका रहा।

इस शेयर को अपग्रेड कर खरीद की रेटिंग देने वाले एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च ने कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के खुदरा कारोबार में कायापलट, नए ऊर्जा कारोबार की शुरुआत और डिजिटल कारोबार की रफ्तार में तेजी संभावित उत्प्रेरक हैं।

आय को लेकर चिंता, एफपीआई की बिकवाली और ट्रंप रे राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी नीतियों में बदलाव से होने वाले असर और फेडरल रिजर्व की दर कटौती पर अनिश्चितता से अक्टूबर 2024 के बाद से ही एफपीआई की बिकवाली शुरू हो गई है। शुक्रवार को एफपीआई 3,318 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे और घरेलू संस्थानों ने 2,573 करोड़ रुपये की खरीदारी की। इस महीने एफपीआई अब तक 42,499 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे हैं।

मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (वेल्थ मैनेजमेंट) सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि शेयर विशेष में खरीद-बिक्री के साथ देसी बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने की संभावना है क्योंकि तीसरी तिमाही के लिए कंपनियों के नतीजे आ रहे हैं। निवेशक दिसंबर तिमाही के नतीजों और प्रबंधन की टिप्पणी पर नजदीक से नजर रखेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर सोमवार को डॉनल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण और उसके बाद नीतिगत घोषणाओं का वैश्विक बाजार पर काफी असर रहेगा।

First Published : January 17, 2025 | 10:20 PM IST