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Stock Market: बिकवाली से फिसला बाजार, Sensex 796 अंक टूटकर 66,801 पर बंद

कच्चे तेल के बढ़ते दामों और मूल्यांकन की चिंता से सूचकांकों में आई बड़ी गिरावट

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- September 20, 2023 | 10:56 PM IST

देश के सबसे बड़े ऋणदाता एचडीएफसी बैंक के शेयर में जोरदार बिकवाली की वजह से प्रमुख सूचकांकों में आज तेज गिरावट देखी गई। बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी दोनों करीब 1.2 फीसदी नीचे आ गए। यह दो महीने के दौरान एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट है। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और शेयरों के मूल्यांकन को लेकर चिंता के साथ ही फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति के निर्णय से पहले बाजार में सतर्क रुख रहा।

सेंसेक्स 796 अंक टूटकर 66,801 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 232 अंक के नुकसान के साथ 19,901 पर बंद हुआ। 21 जुलाई के बाद दोनों सूचकांकों में आई यह सबसे बड़ी गिरावट है।

एचडीएफसी के साथ विलय से एचडीएफसी बैंक के महत्त्वपूर्ण वित्तीय अनुपातों पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका जताए जाने के बाद इसका शेयर 4 फीसदी नीचे आ गया। एचडीएफसी बैंक का सेंसेक्स और निफ्टी में सबसे ज्यादा भारांश है और दोनों सूचकांकों की गिरावट में आधे का योगदान इसी का रहा। इसके साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज में 2.2 फीसदी की गिरावट आई और सेंसेक्स की गिरावट में 163 अंक का योगदान इसकी वजह से आया।

एचडीएफसी बैंक का शेयर 1,564 रुपये पर बंद हुआ, जो विलय के एक दिन बाद बंद भाव 1,679 रुपये से भी कम है। नोमुरा ने अपने नोट में एचडीएफसी की कॉर्पोरेट लोन बुक में फंसे कर्ज बढ़ने और लेखा बदलावों से शुद्ध ब्याज मार्जिन में कमी और लागत-आय अनुपात ज्यादा रहने को लेकर चिंता जताई है।

नोमुरा ने कहा, ‘हमें एचडीएफसी बैंक की क्षमता पर भरोसा है लेकिन संप​त्ति पर रिटर्न और ऋण वृद्धि पर दबाव के कारण अगले 12 महीनों में इसके शेयर को बढ़ोतरी के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।’ नोमुरा ने एचडीएफसी बैंक के शेयर का लक्ष्य 1,970 रुपये से घटाकर 1,800 रुपये कर दिया है।

अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्या​धिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘बड़ा सवाल यह है कि क्या मार्जिन का दबाव एचडीएफसी बैंक तक ही सीमित रहेगा या अन्य बैंकों में भी इस तरह की समस्या है। विश्लेषक अभी यह पक्के तौर पर नहीं कह सकते।’

वै​श्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी भी मुद्रास्फीति और कंपनियों के मुनाफे पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ा रही है। बीते तीन हफ्तों में ब्रेंट क्रूड के दाम करीब 13 फीसदी बढ़ चुके हैं और यह 95 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। कच्चे तेल के बढ़ते दामों ने मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने की केंद्रीय बैंकों की मुश्किल और बढ़ा दी है। हालांकि ब्रिटेन में मुद्रास्फीति के 18 महीने के निचले स्तर पर आने से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की चिंता से थोड़ी राहत मिली है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज में रिटेल शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘कच्चे तेल के बढ़ते दाम ने निवेशकों को हतोत्साहित किया है क्योंकि इससे केंद्रीय बैंकों को दरें बढ़ाने या लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर बनाए रखने पर मजबूर होना पड़ सकता है।’

First Published : September 20, 2023 | 10:56 PM IST