भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों (आईपीओ) के लिए नियम आसान कर सकता है। वह कुछ और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को खुलासे से छूट दे सकता है तथा सौदे के ही दिन रकम खातों में भेजने की व्यवस्था को भी मंजूरी दे सकता है।
यह भी माना जा रहा है कि बाजार नियामक अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) एवं म्युचुअल फंडों को कुछ राहत दे सकता है। सेबी के निदेशक मंडल की अगली बैठक 15 मार्च को होनी है और उसमें इन सभी मसलों पर निर्णय लिए जा सकते हैं।
सार्वजनिक निर्गमों में सेबी प्रवर्तकों को सूचीबद्ध होने के बाद न्यूनतम 20 फीसदी अंशदान सुनिश्चित करने के लिए दूसरे रास्ते दे सकता है। इन मामलों की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि आईपीओ का मसौदा जमा करने के बाद भी निर्गम के आकार में बदलाव करने की छूट भी दी जा सकती है।
प्राइवेट इक्विटी की शेयरधारिता और अन्य गैर-व्यक्तिगत शेयरधारकों को प्रवर्तक की श्रेणी में रखे बगैर ही एमपीसी के तौर पर काम करने की अनुमति भी दे सकता है। सभी सूचीबद्ध कंपनियों को निर्गम जारी करने बाद बची हिस्सेदारी में बतौर एमपीसी कम से कम 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रखनी होगी। इसके अलावा सेबी सार्वजनिक निर्गम या राइट्स इश्यू के लिए 1 प्रतिशत अमानत राशि (सिक्योरिटी डिपॉजिट) की अनिवार्यता भी समाप्त कर सकता है।
सेबी सूचीबद्ध होने की बाध्यता एवं खूलासे और इश्यू ऑफ कैपिटल ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट दिशानिर्देश सरल बनाना चाहता है। ये सभी उपाय इसी मकसद से किए जाएंगे। जहां तक एफपीआई की बात है तो सेबी उन्हें मूल लाभकारी स्वामित्व पर की जाने वाली घोषणाओं से छूट दे सकता है। यह बात खासकर उन एफपीआई पर लागू होगी जिन्होंने चिह्नित प्रवर्तकों वाली कंपनियों में निवेश किया है या उन कंपनियों में जहां न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों का उल्लंघन नहीं होता है।
इसके अलावा एफपीआई की श्रेणी में रखे गए कुछ यूनिवर्सिटी फंडों को भी इस मोर्चे पर छूट दी जा सकती है। कुछ बड़े बदलावों के संबंध में घोषणाएं करने के लिए एफपीआई के लिए निर्धारित समयसीमा में भी छूट दी जा सकती है।
एफपीआई के साथ चर्चा के बाद बाजार नियामक 28 मार्च से सौदे के दिन ही रकम चुकाए जाने की व्यवस्था शुरू कर सकता है। माना जा रहा है कि शुक्रवार को होने वाली बैठक में इस निर्णय पर भी मुहर लग सकती है।
सूत्रों के अनुसार म्युचुअल फंड के लिए कारोबार आसान करने के उपायों पर सेबी विचार कर रहा है। इनमें समूह कंपनियों में शेयरों में निवेश करने वाले पैसिव फंडों को न्यूनतम 25 प्रतिशत निवेश सीमा से भी छूट दी जा सकती है। म्युचुअल फंडों को जिंस एवं विदेश में निवेश के लिए फंड प्रबंधक रखने की भी अनुमति दी जा सकती है।