लोक सभा चुनाव के नतीजों और एग्जिट पोल से पहले विदेशी संस्थागत निवेशक (एफएफआई) सहमे नजर आ रहे हैं। चुनाव के नतीजे 4 जून को आने हैं। गुरुवार को निफ्टी में 1 प्रतिशत गिरावट आने के बाद एफआईआई ने सूचकांक वायदा में काफी शॉर्ट पोजीशन ले लीं।
एफएफआई सूचकांक लॉन्ग-शॉर्ट रेश्यो अचानक फिसल कर 0.98 से 0.15 प्रतिशत पर आ गया। मई सीरीज के अनुबंध समाप्त होने के बाद इंडेक्स पर शॉर्ट पोजीशन 87.13 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई।
सूचकांक वायदा का ल़ॉन्ग-शॉर्ट पोजीशन रेश्यो तेजड़ियो और मंदडि़यों के दांव दर्शाता है। यह अनुपात कम रहने पर पता चलता है कि एफआईआई भारतीय शेयर बाजार को लेकर उत्साहित नहीं हैं जबकि अनुपात अधिक रहना उनके उत्साह को दर्शाता है। एनएसई के आंकड़ों के अनुसार निफ्टी, बैंक निफ्टी और मिडकैप निफ्टी में सबसे अधिक वायदा अनुबंध कारोबार होते हैं।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में इंस्टीट्यूशनल इक्विटी प्रमुख उन्मेश शर्मा कहते हैं, ‘चुनाव परिणामों को लेकर कोई भी जोखिम लेने को तैयार नहीं है, खासकर एफआईआई तो बिल्कुल नहीं। एफएफआई को लगता है कि भारतीय बाजार काफी महंगे हैं। मई अनुबंध के लिए हाल के एफऐंडओ एक्सपायरी ने बाजार में अनिश्चितता और घबराहट बढ़ा दी है। कारोबारी सतर्क हैं और लोकसभा चुनाव के परिणामों का इंतजार कर रहे हैं।’
इस महीने के शुरू में एफआईआई का उत्साह बाजार को लेकर थोड़ा नरम पड़ गया था। इससे लॉन्ग-शॉर्ट रेश्यो 16 मई को कम होकर 0.36 प्रतिशत रह गया था। हालांकि, निफ्टी के संभलने और रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद एफआईआई अपने शॉर्ट कवर करने को मजबूर हुए और कुछ समय के लिए निवेश किया। इस कारण लॉन्ग-शॉर्ट रेश्यो 28 मई को 1.17 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया था।
इस बीच, नकदी खंड में भी एफआईआई ने खूब बिकवाली की है। उन्होंने 30 मई तक 43,827 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की बिकवाली की है। जून 2022 के बाद यह किसी महीने एफआईआई की तरफ से की गई सबसे बड़ी बिकवाली थी। चालू कैलेंडर वर्ष में एफआईआई ने पहले पांच महीनों में 1.28 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की बिकवाली की है।
हालांकि, खुदरा निवेशक डेरिवेटिव बाजार में काफी आशावादी रुख के साथ आगे बढ़ रहे हैं। 30 मई तक खुदरा निवेशकों का लॉन्ग-शॉर्ट इंडेक्स वायदा अनुपात 2.24 प्रतिशत था जो बाजार को लेकर उनके मबजूत रुख का संकेत दे रहा था।
इसी तरह, खुदरा निवेशकों की किसी एक शेयर वायदा में लगभग 92.88 लॉन्ग पोजीशन हैं। मई में अब तक यह सबसे अधिक है। इसकी तुलना में एफआईआई शेयर वायदा लॉन्ग पोजीशन 55.82 प्रतिशत पर है।
हालांकि, एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शर्मा को लगता है कि एक रणनीति के तौर पर लोकसभा चुनाव के बात कुछ हद तक बाजार में मुनाफावसूली दिख सकती है। उन्होंने कहा कि बड़ी वैश्विक परिसंपत्ति वितरण इकाइयां और म्युचुअल फंड चुनाव परिणामों को इस नजरिये से नहीं देखते हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ रुका हुआ विदेशी निवेश एक छोटी अवधि के लिए भारतीय बाजार में आ सकता है। उन्होंने कहा कि मोटा रुझान यह है कि मूल्यांकन से जुड़ी चिंताओं के कारण चीन में निवेश बढ़ सकता है जबकि भारतीय बजार से कुछ हद तक रकम निकाली जा सकती है।